लोदना क्षेत्र में बीसीसीएल प्रबंधन की लापरवाही से बर्बाद हो रहा लाखों का कोयला

संस अलकडीहा बीसीसीएल लोदना क्षेत्र में कोयले का अथाह भंडार है। हर दिन सैकड़ों टन कोय

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 06:14 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 06:14 PM (IST)
लोदना क्षेत्र में बीसीसीएल प्रबंधन की लापरवाही से बर्बाद हो रहा लाखों का कोयला
लोदना क्षेत्र में बीसीसीएल प्रबंधन की लापरवाही से बर्बाद हो रहा लाखों का कोयला

संस, अलकडीहा : बीसीसीएल लोदना क्षेत्र में कोयले का अथाह भंडार है। हर दिन सैकड़ों टन कोयले का उत्पादन भी हो रहा है, लेकिन उत्पादित कोयले के रख-रखाव में प्रबंधन की लापरवाही से कोयला जलकर बर्बाद भी हो रहा है। एनटीएसटी परियोजना में हजारों टन कोयला आग की भेंट चढ़ रहा है। बीसीसीएल को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

लोदना क्षेत्र के जयरामपुर, लोदना, बागडिगी, बरारी, जियलगोरा आदि कोलियरियों के बंद होने के बाद एनटीएसटी-जीनागोरा परियोजना में ही अभी कोयला का उत्पादन हो रहा है। यहां का कोयला उत्पादन और उसके डिस्पैच पर ही कंपनी, क्षेत्र और मजदूरों का भविष्य निर्भर है। बंद कोलियरी के लगभग दो हजार सरप्लस मजदूर भी इसी पर निर्भर हैं। विभागीय व आउटसोर्सिंग से कोयले का यहां काफी मात्रा में उत्पादन हो रहा है। पिछले वर्ष कई माह तक कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन से कोयला उत्पादन व डिस्पैच प्रभावित हुआ था। कुछ माह पूर्व कोयला उत्पादन और डिस्पैच में सुधार होते ही फिर से कोरोना ने पैर पसार दिया। इसका असर फिर कोयला उत्पादन और डिस्पैच पर पड़ने की आशंका है।

दूसरी ओर पिछले तीन माह से प्रबंधन की ओर से उत्पादित कोयले को सुरक्षित स्थानों में जमा करने में अनियमितता बरती गई। इसकी वजह से कोयले के ढेर में आग लग गई। उत्पादित लाखों टन कोयले को भूमिगत आग से प्रभावित क्षेत्र में रख दिया गया। कोयले में आग पकड़ लेने से हमेशा धुआं निकल रहा है। एक डिपो में रखा कोयला जलकर राख में तब्दील हो गया है। दूसरे डिपो में भी डेढ़ माह से आग सुलग रही है। प्रबंधन की तरफ से कोयले में लगी आग को बुझाने के लिए फायर टैंकर और पाइपलाइन की आंशिक तौर पर व्यवस्था की गई है जिसकी वजह से अभी तक आग पर काबू नहीं पाया जा सका है। ऐसा प्रतीत होता है कि आग बुझाने के मामले में प्रबंधन गंभीर नहीं है।

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पूरा क्षेत्र अग्नि प्रभावित है। इसके बाद भी सजगता के साथ डिपो बनाया गया है। कोयला में लगी आग बुझाने को पानी का छिड़काव किया जा रहा है। ज्यादा कोयला बर्बाद नहीं हुआ है। जले कोयले की भी मांग बाजार में है। कोयले की सुरक्षा के प्रति प्रबंधन हमेशा सतर्क है।

- पंकज कुमार, परियोजना पदाधिकारी एनटीएसटी-जीनागोरा परियोजना।

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