MGMHSS Bokaro: कमाल के बच्चे... बना दिया स्मार्ट इरिगेशन सिस्टम

शिक्षक और छात्रों ने बताया कि करीब एक माह पहले यह प्रोटोटाइप बनकर तैयार हुआ है। इस सिस्टम के तहत खेत में बेहतर जल निकासी व्यवस्था बनाना पहली प्राथमिकता है जो जल संरक्षण पिट से जुड़ेगी। बारिश का पानी खेत से निकलकर पिट में इक्टठा होगा।

By MritunjayEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 08:52 AM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 08:52 AM (IST)
MGMHSS Bokaro: कमाल के बच्चे... बना दिया स्मार्ट इरिगेशन सिस्टम
ऋतुराज व ऋषिका ने स्मार्ट इरिगेशन सिस्टम का प्रयोगशाला में माडल विकसित किया।

राममूर्ति प्रसाद, बोकारो। बोकारो के एमजीएम हायर सेकेंड्री स्कूल के दो बच्चों ने कमाल कर दिया। ऋतुराज व ऋषिका ने स्मार्ट इरिगेशन सिस्टम का प्रयोगशाला में माडल विकसित किया है। इसके जरिए खेत को जरूरत के अनुरूप न केवल पानी मिलेगा, अतिवृष्टि के दौरान फसल को नुकसान से बचाया जा सकेगा। इससे पानी का सदुपयोग हो सकेगा, बर्बादी नहीं होगी। दोनों छात्रों ने विज्ञान शिक्षक गिबीन थामस की देखरेख में स्कूल की अटल टिंकरिंग लैब में माडल तैयार किया है। यह माडल प्रयोगशाला में हर परीक्षण में खरा उतरा है। खास बात ये कि विज्ञान के सिद्धांतों पर बना यह सिस्टम बाल विज्ञानियों ने बनाया है।

शिक्षक और छात्रों ने बताया कि करीब एक माह पहले यह प्रोटोटाइप बनकर तैयार हुआ है। इस सिस्टम के तहत खेत में बेहतर जल निकासी व्यवस्था बनाना पहली प्राथमिकता है जो जल संरक्षण पिट से जुड़ेगी। बारिश का पानी खेत से निकलकर पिट में इक_ा होगा। खेत में पानी नहीं भरेगा। इससे फसल को नुकसान से बचा सकेंगे। यहां संरक्षित बारिश जल फसल की सिंचाई के वक्त काम में लाया जाएगा। इस सिस्टम में एक उपकरण लगाया गया है। इसमें मिट्टी की नमी मापने का सेंसर व आर्डिनो बोर्ड होगा। जब सेंसर खेत की मिट्टी में नमी को महसूस नहीं करेगा तो आर्डिनो बोर्ड को एक्टिव करेगा। बोर्ड से मिले संदेश से मोटर पंप चालू हो जाएगा। मोटर पंप का पाइप जल संरक्षण पिट से जुड़ा होगा। पिट से पानी निकल कर मोटर पंप से खेत में पहुंचने लगेगा। जब खेत में मानक के अनुसार नमी हो जाएगी तो सेंसर की सूचना पर आर्डिनो बोर्ड से निकला संदेश सिस्टम को बंद कर पानी आपूर्ति रोक देगा। मोटर पंप बंद हो जाएगा। इसे तैयार करने में लगभग 15 हजार रुपये का खर्च आएगा। ड्रेनेज सिस्टम खेत के क्षेत्रफल के अनुरूप विकसित किया जा सकेगा।

ऋतुराज व ऋषिका ने विज्ञान शिक्षक की देखरेख में अटल टिंकरिंग लैब में इसे विकसित किया है। सारे मानकों पर शिक्षक ने इसे परखा है। वर्षा जल का शानदार सदुपयोग हो सकेगा। इससे किसानों को लाभ होगा। दोनों छात्रों ने बेमिसाल काम किया है।

-फादर रेजी सी वर्गीस, प्राचार्य, एमजीएम हायर सेकेंड्री स्कूल, बोकारो

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