मिलिए Dhanbad की झूलन गोस्वामी से, महिला किक्रेट में पैठ जमाने के लिए कर रही जी तोड़ मेहनत
भारत में किक्रेट एक धर्म है और सचिन को उसका भगवान माना जाता है। पुरुषों में किक्रेट का खुमार का तो सबके सर चढ़ का बोलता ही है। अब इसमें महिलाएं भी शामिल हो गई है। धनबाद की महिला किक्रेटर है जो झुलन की तरह गेंद करना चाहती है।
जागरण संवाददाता, धनबाद : हमारे देश में क्रिकेट को लेकर जबरदस्त क्रेज है। हर गली मोहल्ले में क्रिकेट खेला जाता है। पुरुषों के साथ ही अब महिला क्रिकेट को भी उतनी तवज्जो दी जा रही है। आज भारतीय महिला क्रिकेट की स्टार खिलाड़ी झूलन गोस्वामी का जन्मदिन है। धनबाद में भी महिला क्रिकेट को तेजी से बढ़ावा मिल रहा है। यहां की महिला खिलाड़ी भी स्टेट लेवल में खेल रही हैं और ये भी झूलन गोस्वामी की तरह बनना चाहती हैं। आइए इन खिलाडियों से झूलन के बारे में विस्तार से जानते हैं। क्रिकेट खिलाड़ी दुर्गा कुमारी मुर्मू कहती हैं कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पुरुष क्रिकेट टीम के लिए यह फैन फॉलोविंग ज्यादा है, लेकिन धीरे-धीरे ही सही, यह रुझान अब महिला क्रिकेट टीम की तरफ भी बढ़ रहा है। क्रिकेट को इस ऊंचाई तक पहुंचाने में बेशक खिलाड़ियों का अहम योगदान होता है और हर खिलाड़ी के पीछे होती है, उसके संघर्ष की कहानी। ऐसी ही कुछ कहानी है महिला क्रिकेट टीम की खिलाड़ी झूलन गोस्वामी की भी है।
झूलन गोस्वामी भारतीय क्रिकेट टीम का एक बड़ा नाम बन चुकी हैं। पश्चिम बंगाल स्थित नदिया जिले में 25 नवम्बर 1982 को जन्मी झूलन के लिए यह सफर आसान नहीं था। उन्हें बचपन से स्पोर्ट्स में रुचि थी। उनकी मां को उनका गली में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलना बिलकुल पसंद नहीं था। फिर भी आसपास के लड़कों के साथ टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलती रहती। झूलन जब गेंद फेंकती तो गति बहुत धीमी रहती। लड़के उनका मजाक उड़ाते। लड़कों को सबक सिखाने के लिए झूलन ने ठान लिया कि वह एक तेज और शानदार गेंदबाज बनकर रहेंगी। झूलन के शहर में क्रिकेट की कोई सुविधा न होने के कारण उन्हें इसे सीखने के लिए कोलकाता आना पड़ता था। झूलन रोज सुबह पांच बजे उठकर चकदाह से सियालदाह के लिए ट्रेन पकड़ती और फिर वहां से बस से सफर कर 7:30 बजे तक क्रिकेट प्रैक्टिस पर पहुंचती थी। इसकर बाद 9:30 के बाद उन्हें दो घंटा सफर कर स्कूल जाना पड़ता था।
रूमा कुमारी महतो बताती हैं कि झूलन ने एमआरएफ एकेडमी से ट्रेनिंग ली। 15 साल की उम्र में, उनकी गेंदबाजी ने सिलेक्टर्स का ध्यान खींचा। झूलन को पहली बार भारतीय महिला क्रिकेट टीम में इंग्लैंड के खिलाफ जनवरी 2002 में वनडे सीरीज खेलने का मौका मिला। उन्होंने 120 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करते हुए, स्टेडियम में बैठे हर शख्स ध्यान अपनी और खींच लिया। झूलन ने सातओवर में सिर्फ 15 रन दिए और दो महत्वपूर्ण विकेट चटकाए। इस मैच में भारत को जीत हासिल हुई। आज झूलन गोस्वामी विश्व की दूसरी सबसे तेज गेंदबाज मानी जाती हैं। इसके साथ ही, इंटरनेशनल क्रिकेट में 2000 से ज्यादा ओवरों की गेंदबाज़ी करने वाली दुनिया की इकलौती महिला गेंदबाज हैं। इतना ही नहीं महिला वनडे क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज भी झूलन गोस्वामी ही हैं। उन्होंने कुल 333 अंतरराष्ट्रीय विकेट लिए हैं।