Covid-19 से डर गए झमाडा के प्रबंध निदेशक, तीन महीने से नहीं आ रहे कार्यालय

वाल्मीकि ने कहा कि झमाडा में पैसे की कमी नहीं है फिर भी कर्मचारियों का बकाया वेतन भुगतान सेवानिवृत्त व मृत कर्मियों का बकाया भुगतान नहीं किया जा रहा है। बहुत से काम पेंडिंग पड़ गए हैं। एमडी के नहीं होने पर निचले अधिकारी भी सुनने को तैयार नहीं हैं।

By MritunjayEdited By: Publish:Mon, 12 Jul 2021 09:24 AM (IST) Updated:Mon, 12 Jul 2021 09:24 AM (IST)
Covid-19 से डर गए झमाडा के प्रबंध निदेशक, तीन महीने से नहीं आ रहे कार्यालय
झारखंड एरिया खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार ( फाइल फोटो)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। झमाडा के प्रबंध निदेशक जान बूझकर कर्मियों की समस्याएं नहीं सुन रहे। समाधान तो दूर की बात है। भारतीय कर्मचारी मजदूर यूनियन के प्रदेश सचिव सह विशाल फोर्स के अध्यक्ष विशाल वाल्मीकि ने कहा कि कर्मचारियों से जुड़े मामले को लेकर पांच जुलाई को पत्र दिया था। अधिकारी मिलना तो दूर बात भी नहीं करना चाहते हैं। झमाडा के प्रबंधन निदेशक पिछले तीन माह से कार्यालय नहीं आ रहे हैं। कार्यालय में पूछने पर पता चला कि कोविड की वजह से साहब नहीं आ रहे हैं। ठेकेदार व अन्य लाभुकों से घर में ही मिलकर अपने हित का काम कर रहे हैं। हर फाइल दफ्तर से घर पहुंच रही है, लेकिन साहब कार्यालय आने की जहमत नहीं उठा रहे।

वाल्मीकि ने कहा कि झमाडा में पैसे की कमी नहीं है फिर भी कर्मचारियों का बकाया वेतन भुगतान, सेवानिवृत्त व मृत कर्मियों का बकाया भुगतान नहीं किया जा रहा है। बहुत से काम पेंडिंग पड़ गए हैं। एमडी के नहीं होने पर निचले अधिकारी भी सुनने को तैयार नहीं हैं। कोई दिन ऐसा नहीं होता है जिस दिन दर्जनों लोग बिना काम करवाए कार्यालय से लौट रहे हों। ऐसे में तो पूरी व्यवस्था ही चौपट हो जाएगी। यदि शीघ्र माडा कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए यूनियन से वार्ता कर समाधान नहीं निकाला गया तो आंदोलन करने को बाध्य होंगे। इसकी संपूर्ण जिम्मेवारी मर्डर प्रबंधन की होगी। यहां बता दें कि जलापूर्ति समेत ग्रामीण क्षेत्रों के कई नक्शे पेंडिंग है। झमाडा कार्यालय का निर्माण भी धीमी गति से चल रहा है।

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