धनबाद में सादगी के साथ मनाया महावीर जयंती का त्याेहार Dhanbad News

जिले में महावीर जयंती का त्याेहार आज रविवार को सादगी के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान महावीर के जन्माेत्सव के तौर पर मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के 13वें दिन महावीर स्वामी का जन्म हुआ था।

By Atul SinghEdited By: Publish:Sun, 25 Apr 2021 09:58 AM (IST) Updated:Sun, 25 Apr 2021 10:28 AM (IST)
धनबाद में सादगी के साथ मनाया महावीर जयंती का त्याेहार Dhanbad News
जिले में महावीर जयंती का त्याेहार आज रविवार को सादगी के साथ मनाया जा रहा है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

धनबाद, जेएनएन:  जिले में महावीर जयंती का त्याेहार आज रविवार को सादगी के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान महावीर के जन्माेत्सव के तौर पर मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के 13वें दिन महावीर स्वामी का जन्म हुआ था। शहर में काेराेना के बढ़ते संक्रमण काे देखते हुए इस साल भी  सरकारी गाइडलाइन के अनुसार जैन मंदिराें में भक्ताें के बिना आराधना की जाएगी। मंदिर खुले रहेंगे, लेकिन सिर्फ पूजारी व मंदिर कमेटी के कुछ सदस्य ही पूजा में शामिल हाेंगे। मंदिराें में भक्ताें के प्रवेश पर राेक रहेगी। काेराेना संक्रमण की चेन काे ताेड़ने के लिए इस साल भी जुलूस, शाेभा यात्रा नहीं निकाली जाएगी। जबकि, महावीर जयंती पर हर साल शहर के अलग-अलग जैन मंदिराें से धूमधाम से शाेभा यात्रा निकलती थी। लगातार दूसरे साल महावीर जयंती पर शाेभा यात्रा नहीं निकलेगी। पिछले साल लाॅकडाउन के दाैरान भी महावीर जयंती पर मंदिर भी पूरी तरह बंद थे।

-जैन धर्म के तीर्थंकर हैं भगवान महावीरः

भगवान महावीर काे जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर के रूप में माना गया है। ये उन 24 लोगों में से हैं, जिन्होंने तपस्या से आत्मज्ञान की प्राप्ति की थी। कहा जाता है कि तीर्थंकर वह लोग होते हैं जो इंद्रियों और भावनाओं पर पूरी तरह से विजय प्राप्त कर लेते हैं।

अहिंसा दिवस के रूप में मनाई जाती हैः

महावीर जयंती अहिंसा दिवस के रूप में मनाई जाती है। बताया गया कि हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के 13वें दिन महावीर स्वामी का जन्म बिहार के कुंडग्राम में हुआ था। मान्यता है कि इन्हें जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर के रूप में माना जाता है। ये उन 24 लोगों में से हैं जिन्होंने तपस्या से आत्मज्ञान की प्राप्ति की थी। कहा गया है कि तीर्थंकर वह लोग होते हैं जो इंद्रियों और भावनाओं पर पूरी तरह से विजय प्राप्त कर लेते हैं। महावीर स्वामी ने आत्मज्ञान की तलाश में 30 वर्ष की उम्र में ही अपना घर-बार छोड़ दिया था। उन्होंने 12 वर्ष तक कठोर तपस्या की और दीक्षा ग्रहण की। तप के पश्चात ही भगवान महावीर को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई और वो तीर्थंकर कहलाए। 

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