Giridih में शौचालय निर्माण के दाैरान गिरी दीवार, एक मजदूर की माैत

गिरिडीह के पांडेयटोला में शौचालय निर्माण के दाैरान हादसा हो गया। दीवार टूटकर गिर गई। इसके नीचे मजदूर दब गए। माैके पर ही एक मजदूर की माैत हो गई। इस हादसे में एक मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गया।

By MritunjayEdited By: Publish:Tue, 07 Sep 2021 01:55 PM (IST) Updated:Tue, 07 Sep 2021 02:03 PM (IST)
Giridih में शौचालय निर्माण के दाैरान गिरी दीवार, एक मजदूर की माैत
हादसे के बाद निर्माणाधीन शौचालय के पास जुटी भीड़ ( फोटो जागरण)।

जागरण संवाददाता, गिरिडीह। शौचालय की टंकी निर्माण के दौरान दीवार गिरने से दब कर एक मजदूर की मौत हो गई, जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया। घटना मंगलवार की है। पांडेयटोला निवासी जय प्रकाश उपाध्याय के यहां शौचालय की टंकी का निर्माण कराया जा रहा था। मजदूर उसमें काम कर रहे थे। इसी क्रम में टंकी की करीब 10 फीट खड़ी दीवार गिर गई। इसमें दबने से 32 वर्षीय सुमंत राय की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पंकज राय गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे प्राथमिक उपचार के बाद का गावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से बाहर रेफर कर दिया गया है। उसकी भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। मृतक व घायल दोनों गावां के रहने वाले हैं । घटना के बाद स्वजन शव को घर ले गए। घटना की सूचना अभी तक पुलिस को नहीं दी गई है। मृतक के स्वजनों का रो-रो कर बुरा हाल है।

चिलखारी नरसंहार में रमेश और कुंवर आरोप गठित

चिलखारी नरसंहार के नामजद आरोपित नक्सली रमेश मंडल उर्फ साकिम दा और कुंवर यादव के खिलाफ न्यायालय में आरोप गठन किया गया है। जिसे बाद न्यायालय ने अभियोजन को साक्ष्य पेश करने का आदेश दिया है। रमेश मंडल और कुंवर यादव के खिलाफ नरसंहार में शामिल होने का आरोप है।

गिरिडीह की सबसे बड़ी नक्सली घटना

यह मामला देवरी थाने के चिलखारी गांव का है। इस नक्सली कांड में सूबे के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के बेटे अनूप मरांडी समेत 20 लोगों की हत्या गोली मारकर की गई थी। 26 अक्टूबर 2007 की रात भाकपा माओवादियों ने चिलखारी फुटबाल मैदान में बीस लोगों को गोली मारकर हत्या कर दी थी। चिलखारी में फुटबाल टूर्नामेंट के फाइनल के दिन आदिवासी यात्रा कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें मुख्य अतिथि बाबूलाल मरांडी का भाई नुनूलाल मरांडी था। यात्रा कार्यक्रम के दौरान सोरेन ओपेरा के कालाकारों का कार्यक्रम जारी था। इस दौरान भाकपा माओवादियों के दस्ते ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर मंच को कब्जे में ले लिया। कोई कुछ समझ पाता इससे पहले ही पुलिसिया वर्दी में माओवादियों ने मंच पर चढ़ माइक से नुनूलाल मरांडी को सामने आने की चेतावनी दी और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। अगली पंक्ति में बैठे अनूप मरांडी, सुरेश हांसदा, अजय सिन्हा, आयोजक मनोज किस्कू, मुन्ना हेंब्रम, चरकू हेंब्रम, केदार मरांडी, अनिल अब्राहम मरांडी, उस्मान अंसारी, सुशील मरांडी समेत बीस लोगों की इस हमले में मौत हो गई थी। इस मामले में 2011 में जीतन मरांडी समेत चार नक्सलियों को जिला जज वन की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। बाद में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने चारों को बरी कर दिया था।

13 यूपीए में नहीं मिली अभियोजन मंजूरी

मार्च 2017 से जेल में इस मामले में बंद नक्सली रमेश मंडल के खिलाफ 13 यूपीए में अभियोजन मंजूरी नहीं मिली। करीब साढ़े चार साल बाद न्यायालय में 13 यूपीए की धारा को छोड़कर अन्य धाराओं में आरोप गठन किया गया।

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