Indian Navy Day 2021: जानें 4 दिसंबर को क्या मनाया जाता नाै सेना दिवस, भारत की सुरक्षा में इसकी कितनी अहमियत

1971 को बांग्लादेश की मुक्ति के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ी थी। उस युद्ध के घटनाक्रम में 4 दिसंबर की तारीख को भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची नौसैनिक अड्डे पर हमला कर उसे तबाह कर दिया था। इसी उपलक्ष्य में नाै सेना दिवस मनाया जाता है।

By MritunjayEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 10:38 AM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 09:07 PM (IST)
Indian Navy Day 2021: जानें 4 दिसंबर को क्या मनाया जाता नाै सेना दिवस, भारत की सुरक्षा में इसकी कितनी अहमियत
समुद्र में बढ़ती भारत की नाै सेना की ताकत ( फाइल फोटो)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। भारत के लिए 4 दिसंबर का दिन बहुत ही खास है। भारतीय नाैसेना दिवस जो है। हर साल इस तारीख को भारतीय नाैसेना दिवस मनाया जाता है। भारत के लिए नौसेना का महत्व आज जितना है उतना शायद पहले कभी नहीं था। लेकिन इस महत्व को शायद ही कभी सही तरीके समझा गया। इसकी वजह यह है कि भारत पर हमले और खतरे रहे वह जमीन के रास्ते से ज्यादा हुए। भारतीय इतिहास में उत्तर पश्चिम से हुए हमलों की घटनाओं से भरा पड़ा है। लेकिन भारत की समुद्री सीमा बहुत विशाल है और आज के अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में इसकी सुरक्षा और भारतीय नौसेना का महत्व दोनों ही ज्यादा और संवेदनशील हो गया है। 4 दिसंबर को मनाया जा रहा नौसेना दिवस केवल एक ऐतिहासिक घटना की सालगिरह ही नहीं, बल्कि भारतीय नौसेना को सही परिपेक्ष्य में देखने का भी दिन है। झरिया की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने ट्वीट कर पराक्रमी नाैसेना के प्रति आभार प्रकट किया है। 

भारतीय नौसेना दिवस पर हमारी पराक्रमी नौसेना का हर भारतीय नागरिक की तरफ से आभार प्रकट करती हूं।#नौसेना_दिवस #NavyDay2021 pic.twitter.com/AvwiJ7yu2K— Purnima Niraj Singh (@purnimaasingh) December 4, 2021

4 दिसंबर को ही क्यों

भारत में नौसेना दिवस हर साल चार दिसंबर को मनाने के पीछे नौसेना की खास उपलब्धि है। 1971 को जब बांग्लादेश की मुक्ति के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ी थी। उस युद्ध के घटनाक्रम में 4 दिसंबर की तारीख को भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची नौसैनिक अड्डे पर हमला कर उसे तबाह कर दिया था। इसकी सफलता की याद में इस दिन को मनाया जाता है। 

निर्णायक साबित हुआ था वह हमला

ये भारतीय नौसेना की ताकतवर और चुस्त रणनीति का नतीजा था कि पाकिस्तान भौंचक्का रह गया था। और इसके बाद युद्ध में पाकिस्तान को संभलने का मौका नहीं मिला था। उस समय भारत और पाकिस्तान की जमीन की सीमा बांग्लादेश के साथ होने की वजह से बहुत ही ज्यादा थी. इसलिए पाकिस्तान के लिहाज से नौसेना की अहमियत केवल यही थी कि पश्चिम पाकिस्तान नौसेना के जरिए ही पूर्वी पाकिस्तान को सामान भेज सकता था। 

1971 में बहुत बड़ी थी भारतीय नौसेना की भूमिका

लेकिन पाकिस्तान की उम्मीद के खिलाफ भारत ने उसे नौसेना के जरिए चौंका कर जो बैकफुट पर धकेला, उसके बाद पाकिस्तान के संभलने का मौका नहीं मिला। इतना ही नहीं भारतीय नौसना की रणनीति का ही नतीजा था कि पश्चिमी पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान तक कोई भी मदद अपने नौसेना के जरिए नहीं पहुंचा सका।

नौसेना स्वर्णिम विजय वर्ष

साल 2021 में 1971 के युद्ध की जीत की स्वर्ण जयंती है। इसी लिए इस बार इस दिन को भारतीय नौसेना स्वर्णिम विजय वर्ष के रूप में मना रही है। भारतीय नौसेना की स्थापना ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1612 में की थी जिसे बाद में रॉयल इंडियन नेवी का नाम दिया गया और आजादी के बाद 1950 से इसे भारतीय नौसेना का नाम दिया गया। 

बदलता रहा था नौसेना दिवस

भारत में नौसेना दिवस इससे पहले रॉयल नेवी के ट्रॉफैग्लर डे के साथ मनाया जाता था। 21 अक्टूबर 1944 को रॉयल इंडियन नेवी ने पहली बार नौसेना दिवस मनाया था। इसे मनाने का उद्देश्य आम लोगों में नौसेना के बारे में जागरूकता बढऩा था। 1945 से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नौसेना दिवस 1 दिसंबर को मनाया जाने लगा था। इसके बाद 1972 तक नौसेना दिवस 15 दिसंबर कोमनाया जाता रहा और 1972 से अभी इसे 4 दिसंबर को ही मनाया जाता रहा है।

4 पाकिस्तानी जहाज हुए थे ध्वस्त

4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस को ऑपरेशन ट्रिडेंट की सफलता की याद में मनाया जाता है जिसके तहत ही भारतीय नौसेना ने करांची बंदरगाह तहस नहस किया था। इस दिन भारतीय नौसेना पाकिस्तान के चार जहाजों को डुबो दिया था जिसमें उसका प्रमुख जहाज पीएनएस खैबर भी शामिल था। इस ऑपरेशन में सैंकड़ों पाकिस्तानी नौसैनिक मारे गए।  आज भारतीय नौसेना के व्यापक परिपेक्ष्य में काम करने की जरूरत है। चीन अपने महत्वाकांक्षी विस्तारवादी नीति तो लागू कर भारत के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन रहा है। वह हिंद महासागर में अपने उपस्थिति बढ़ा कर पूर्वी एशिया के साथ भारतीय समुद्री सीमाओं से लगे देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसा रहा है। इसमें श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार शामिल हैं. भारत भी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ मिल कर चीन की प्रभुत्व कम करने का प्रयास कर रहा है। 

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