Corona vaccine-Covccine : जानें चिरंजीत पर भुवनेश्वर में क्यों होगा clinical trial, विरोध के बाद बेटे को मिला मां का आशीष
Corona vaccine clinical trial चिरंजीत की मां प्रमिमा धीबर को जब पता चला कि उनके बेटे पर वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल होगा तो वो डर गई। उन्हें अपने बेटे की चिंता सताने लगी।
दुर्गापुर [ हृदयानंद गिरि ]। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) 15 अगस्त, 2020 को कोरोना वैक्सीन लांच करना चाहता है। वैक्सीन का नाम है-कोवेक्सिन। इसे Bharat Biotech और ICMR ने मिलकर तैयार किया है। इस देसी कोरोना वैक्सीन-कोवेक्सिन की Human clinical trial की तैयारी चल रही है। इसके लिए पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर के प्राथमिक स्कूल के शिक्षक चिरंजीत धीबर का चयन किया गया है। ICMR ने चिरंजीत को तैयार रहने को कहा है। ट्रायल भुवनेश्वर के ISM & SUM Hospital में होगा। हालांकि पटना का भी विकल्प दिया गया था लेकिन चिरंजीत ने भुवनेश्वर को चुना। पटना के बजाय भुवनेश्वर चयन करने के लिए खास वजह रही।
यातायात सुविधा के कारण पटना के बजाय भुवनेश्वर का चयन
ICMR की तरफ से फोन कर चिंरजीत को तैयार रहने को कहा गया है। अब कभी भी बुलावा आ सकता है। Human clinical trial के लिए चयन किए जाने और फोन पर निर्देश प्राप्त होने के बाद चिरंजीत एवं उसके परिवार वाले खुश हैं। ट्रायल के लिए पटना एवं भुबनेश्वर के आइएसएम एंड एसयूएम अस्पताल का विकल्प दिया गया था, चिरंजीत ने आने-जाने (Convenience of traffic) की सुविधा को देखते हुए भुबनेश्वर के अस्पताल में जांच प्रक्रिया से गुजरने पर सहमति जताई है। अब अस्पताल की ओर से ट्रायल के लिए बुलावा आने का तैयार है। उन्हें उम्मीद है कि अगले सप्ताह ट्रायल के लिए भुबनेश्वर से बुलाया आएगा। चिरंजीत दुर्गापुर के कांकसा मानिकारा प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक है। उन्होंने कोलकाता के रवींद्र भारती विश्वविद्यालय से माध्यमिक की पढ़ाई की। उनके पिता तपन कुमार धीबर दुर्गापुर इस्पात संयंत्र के कर्मी है एवं मां प्रतिमा रूइदास गृहिणी है।
पहले चिरंजीत की मां ने किया विरोध
चिरंजीत की मां प्रमिमा धीबर को जब पता चला कि उनके बेटे पर कोरोना वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल होगा तो वो डर गई। उन्हें अपने बेटे की चिंता सताने लगी। चिंता यह कि परीक्षण के दाैरान कुछ अनहोनी न हो जाय। लेकिन बाद में खुद को संभाला। मानव सेवा और देश सेवा के लिए बेटे को क्लीनिकल परीक्षण के लिए तैयार रहने की अनुमति दी। गले लगाकर आशीर्वाद किया।
आइसीएमआर को भेजा था आवेदन
चिरंजीत धीबर बताते है कि 27 अप्रैल को आइसीएमआर, प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र भेजा। जिसमें बिना किसी शर्त के वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के लिए शरीर देने की बात मैंने कही थी। कोरोना संकट से पूर विश्व जूझ रहा है। वहीं वैज्ञानिक भी कोरोना संकट से उबरने के लिए वैक्सीन तैयार करने में जुटे है। संघ के आदर्श, एक शिक्षक होने के नाते यह कार्य करने की भावना आयी। ताकि वैज्ञानिकों को वैक्सीन की जांच में सुविधा मिले। अब आइसीएमआर की टीम ने वक्सीन की जांच के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है।
सात वर्ष से जुड़े संघ हैं से
चिरंजीत कहते है कि वे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी से काफी प्रभावित हुए। भाजपा नेताओं के राष्ट्र भक्ति से प्रेरित होकर इंटरनेट पर उनकी जीवनी खंगाली, जिसमें पता चला कि वे लोग आरएसएस से जुड़े थे। बस क्या थी, उन्होंने भी आरएसएस से जुड़ने का मन बनाया एवं दुर्गापुर नगर के शिवाजी शाखा से जुड़ गए। पिछले वर्ष उन्होंने एक वर्ष का प्रशिक्षण भी लिया। हालांकि वे आरएसएस के शिक्षक संगठन बंगीय नव उन्मेष शिक्षक संघ के प्रदेश इकाई के सदस्य भी है।
आज कोरोना से हर कोई परेशान है। मेरे बेटे ने जब खुद के शरीर को जांच के लिए देने की बात कही तब मैने विरोध किया। लेकन बीमारी के प्रभाव को टीवी, अखबारों में देखने के बाद मैं भी राजी हुई। मुझे विश्वास है कि ईश्वर उसकी रक्षा करेंगे एवं वैक्सीन की जांच भी सफल होगी।
-प्रतिमा धीबर, चिरंजीत की मां, दुर्गापुर