लिलौरी मंदिर स्थित कतरी नदी तट पर श्रमिक नेता का हुआ अंतिम संस्कार, मजदूरों ने दी विदाई

निचितपुर एटक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष यूनाइटेड कोल वर्कर्स यूनियन के बीसीसीएल रीजनल कमेटी के अध्यक्ष व बीसीसीएल वेलफेयर बोर्ड के सदस्य केके करण की शुक्रवार को मौत हो गई। उनके असमय निधन की खबर पाकर ईस्ट बसुरिया कोल डंप कॉलोनी स्थित आवास के बाहर यूनियन नेताओं व मजदूरों की भीड़ जुट गई।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 09:10 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 09:10 PM (IST)
लिलौरी मंदिर स्थित कतरी नदी तट पर श्रमिक नेता का हुआ अंतिम संस्कार, मजदूरों ने दी विदाई
लिलौरी मंदिर स्थित कतरी नदी तट पर श्रमिक नेता का हुआ अंतिम संस्कार, मजदूरों ने दी विदाई

संवाद सहयोगी, निचितपुर : एटक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, यूनाइटेड कोल वर्कर्स यूनियन के बीसीसीएल रीजनल कमेटी के अध्यक्ष व बीसीसीएल वेलफेयर बोर्ड के सदस्य केके करण की शुक्रवार को मौत हो गई। उनके असमय निधन की खबर पाकर ईस्ट बसुरिया कोल डंप कॉलोनी स्थित आवास के बाहर यूनियन नेताओं व मजदूरों की भीड़ जुट गई। शनिवार को उनका अंतिम संस्कार लिलौरी स्थान स्थित कतरी नदी तट पर किया गया। छोटा पुत्र चंद्रप्रकाश कर्ण ने मुखाग्नि दी। कोल डंप कॉलोनी स्थित आवास पर विधायक सह एटक के केंद्रीय सचिव ढुलू महतो पहुंचे और पार्थिव शरीर पुष्प अर्पित किया। कहा कि यह मजदूरों के लिए बहुत बड़ी क्षति है। वे मजदूरों के अधिकार के लिए हमेशा आवाज उठाते रहे थे। जीएम (वेलफेयर) आहुति स्वाई, गोंदुडीह कोलियरी के प्रबंधक जीएल धुर्वे, यूनियन के रीजनल उपाध्यक्ष विनोद मिश्रा सहित राजीव कुमार मिश्रा, मो. शरीफ राजवली यादव, छोटू राम इंदर भुईयां, सुरेंद्र केशरी, संजय चौधरी, अनुज पासवान, शिवचरण महंत, रजलाल राय, कंचन दत्ता, दिवाकर प्रसाद सिंह, प्रदीप कुमार पासवान, राजेश कुमार आदि ने पुष्प अर्पित किया। श्रमिक प्रतिनिधियों ने भी जताया शोक

संस, कतरास: एटक के सचिव सह मजदूर नेता केके कर्ण के निधन से कतरास कोयलांचल के श्रमिक व श्रमिक प्रतिनिधियों ने शोक जताया। शनिवार को रामकनाली स्थित बीसीकेयू कार्यालय में शोक सभा आयोजित की दो मिनट का मौन रखकर ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। जहां लोगों ने कोविड नियमों का पालन करने हुए शोक जताया। यूनियन के नेता हलधर महतो व राजेंद्र प्रसाद राजा ने अलग-अलग कहा कि वे एक इमानदार व कर्मठ नेता खो दिया है। उनके निधन से मजदूर आंदोलन का एक मजबूत पिलर गिर गया है। मौके पर कंचन महतो, मोना महतो, मानिक महतो, सुरेश महतो, गोवर्धन महतो आदि मौजूद थे।

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