Dhanbad: आइसीयू में जिंंदगी व मौत के बीच झूल रही ब्रिटिश शासनकाल की कतरास जलापूर्ति योजना
कतरास शहर में जलापूर्ति की व्यवस्था करीब एक सौ साल पुरानी है। यहां के लोगों को शुद्ध जल उपलब्ध कराने के लिए ब्रिटिश शासनकाल के दौरान 1915 में योजना को धरातल पर उतारने की शुरुआत हुई थी। तोपचांची झील में जलाशय और पानी को परिष्कृत करने की व्यवस्था हुई।
संवाद सहयोगी, कतरास: कतरास शहर में जलापूर्ति की व्यवस्था करीब एक सौ साल पुरानी है। यहां के लोगों को शुद्ध जल उपलब्ध कराने के लिए ब्रिटिश शासनकाल के दौरान 1915 में योजना को धरातल पर उतारने की शुरुआत हुई थी। तोपचांची झील में जलाशय और पानी को परिष्कृत करने की व्यवस्था हुई। बिना मोटर के कंडयूट और होम पाइप के जरिए झील से तिलाटांड जलाशय में पानी लाने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई। तिलाटांड से तेतुलमारी सिजुआ अंगरपथरा होते हुए कतरास शहर के कई मोहल्लों में पाइप लाइन बिछाया गया। 1924 में जलापूर्ति शुरू हुई।
कतरास के लोगों को तोपचांची झील का पानी मिलने लगा। कालांतर में इस योजना को अत्यधिक उपयोगी बनाने के लिए अन्य पाइप बिछाए गए। यहां तक कि भटमुड़ना, सोनारडीह, खरखरी तक पाइप बिछाए गए ताकि वहां के लोगों को भी झील का पानी मिल सके।लेकिन तंत्र की उपेक्षात्मक नीति के चलते सोनारडीह, भटमुड़ना, खरखरी के लोगों को झील का पानी नसीब नही हुआ।
कतरास शहर में जलापूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ना तो झामाडा और ना ही नगर निगम ने अब तक कोई ठोस कदम बढ़ाया। यह सच है कि पिछले वर्षों में आवश्यकता को देखते हुए कुछ छोटे पाईप बदले गए। लेकिन कतरी नदी से छताबाद पुल तक 10 इंच का पाइप नही बदल गया। यह पाईप कई जगह नाली से गुजर रहा है। मोहल्लों में आपूर्ति की जाने वाली पाईप भी कई जगह नाली के गंदगी से गुजर रही है। विभागीय कर्मी की माने तो जुगाड़ तंत्र पर जलापूर्ति की जा रही है।
जर्जर पाईप की सुधि लेने वाला कोई नही है। लो प्रेशर और मोटर के इस्तेमाल के चलते रानीबाजार सहित पड़ोस मोहल्लों के कई घरों में पानी नही पहुंच रहा है। अनेक लोगों को प्रयाप्त मात्रा में पानी नही मिल रहा है। छताबाद- मालकेरा रोड में कटहल धौड़ा तक पाइप लाइन बदलने की जरूरत है। कारण यह कि भूसतह से पाईप काफी नीचे चले जाने के चलते जलापूर्ति सुचारु रूप से नही हो पाती है। कतरास शहर की जलापूर्ति वयवस्था को दुरुस्त करने के लिए योजना तैयार कर उसको धरातल पर उतारने की जरूरत है।
करीब दो दशक पूर्व जमुनिया जलापूर्ति योजना को धरातल पर उतारकर कतरास बाजार, सलानपुर, गुहिबांध सहित दर्जन भर मोहल्लों में जलापूर्ति की जा रही है।