Dhanbad: नगरीकरण के दौर में कतरास की आबादी और क्षेत्रफल दोनों बढ़ी, लेकिन अपेक्षित विकास नही
नगरीकरण के दौर में कतरास की जनसंख्या में कई गुना बृद्धि हुई। क्षेत्रफल का भी काफी विस्तार हुआ। समय के बदलते कालखंड में तेलियाबान्ध दिलावर नगर टन्डा तिलाटांड पावर हाउस के पीछे सैकडों लोगों ने अपना आशियाना बनाया लेकिन योजनाबद्ध तरीके से नही।
संवाद सहयोगी, कतरास: नगरीकरण के दौर में कतरास की जनसंख्या में कई गुना बृद्धि हुई। क्षेत्रफल का भी काफी विस्तार हुआ। समय के बदलते कालखंड में तेलियाबान्ध, दिलावर नगर, टन्डा, तिलाटांड पावर हाउस के पीछे सैकडों लोगों ने अपना आशियाना बनाया, लेकिन योजनाबद्ध तरीके से नही। जरूरत के मुताबिक लोग अपना घर बनाते चले गए। नगर निगम के गठन 15 साल पूरा हो गए। 2006 से लेकर अब तक निगम ने कतरास को विकसित शहर की श्रेणी में लाने के लिए ठोस योजना नही तैयार की।
स्ट्रीट लाइट, कुछ मोहल्लों में सड़क, नाली जरूर बनवाए। नाली के पानी की निकासी के बारे में ध्यान नही दिया। शहर के मुख्य सड़क के बगल में जो नाला है, वह अंगेजी शासन काल मे बना था। जल निकासी की व्यवस्था नही किए जाने से बारिश के दिनों में राजगंज रोड जलमग्न हो जाता है। शहर में जलापूर्ति की व्यवस्था 98 साल पुरानी है। जरूरत के मुताबिक कुछ जर्जर पाईप बदले गए हैं। यह कहना गलत नही होगा कि निगम के मापदंड के अनुरूप शहर के विकास समुचित विकास के लिए हर पहलुओं को रख ठोस कदम उठाने होंगे। -- शहरी आबादी को देखते हुए अविभजित बिहार में प्रशासकीय तंत्र ने 1982 में कतरास को अधिसूचित क्षेत्र का दर्जा दिया था, जिसमें कतरास, सलानपुर, तिलाटांड़, भटमुड़ना, छाताबाद शामिल था। दो दशक पूर्व हुए जनगणना के मुताबिक उक्त क्षेत्र की आबादी 51 हजार आस पास थी। फिलवक्त कई हजार आबादी बढ़ गयी है। शहर के विकास और यहां के लोगों को मौलिक सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी निगम की कतरास अंचल इकाई की है।