Jharkhand Madhupur By-Election 2021: हफीजुल की हिफाजत होगी या बहेगी गंगा की धार, जनता फैसला करने को तैयार

Jharkhand Madhupur By-Election 2021 मधुपुर में सर्वाधिक मतदाता अल्पसंख्यक है। कुल 91 हजार। यूपीए गठबंधन के दावा पर यकीन करे तो 1.5 लाख मुस्लिम आबादी है। मारगोमुंडा प्रखंड में सबसे अधिक। आदिवासी मतदाता भी 31 हजार है। झामुमो मुसला और आदिवासी को अपना मान रहा है।

By MritunjayEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 09:30 AM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 09:38 AM (IST)
Jharkhand Madhupur By-Election 2021: हफीजुल की हिफाजत होगी या बहेगी गंगा की धार, जनता फैसला करने को तैयार
झामुमो प्रत्याशी हफीजुल और भाजपा प्रत्याशी गंगा नारायण ( फाइल फोटो)।

मधुपुर [ अश्विनी रघुवंशी ]। मधुपुर उप चुनाव के लिए प्रचार समाप्त होने में महज एक घंटा शेष है। मधुपुर चौक की चाय दुकान पर लोग इकट्ठा है। सबकी जुबान पर यही हैं? कि झामुमो और भाजपाें सीधी टक्कर है। यह सच भी है। झामुमो के हफीजुल हसन और भाजपा के गंगा नारायण सिंह चुनावी रण में आमने-सामने हैं। हफीजुल का शाब्दिक अर्थ हैं? रक्षक। कैबिनेट मंत्री हफीजुल हसन की विरासत की सियासत को अभी खुद रक्षा की जरुरत हैं? तो गंगा नारायण को पता हैं? कि अभी नहीं तो कभी नहीं। हफीजुल के लिए सीएम हेमंत सोरेन ने भी खूब पसीना बहाया हैं? तो गंगा नारायण के लिए भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने भी गलियों की खूब खाक छानी है। हफीजुल और गंगा नारायण ने खूब पसीना बहाया है।

निर्दलीय खेल बनाने-बिगाड़ने में सक्षम

झामुमो और भाजपा दोनों को तनाव दे रहे हैं-निर्दलीय उम्मीदवार अशोक ठाकुर और उत्तम यादव। अशोक ठाकुर ब्राह्मण बिरादरी से हैं। दोनों निर्दलीय उम्मीदवारों की सामाजिक छवि बेहतर है। निर्दलीय अधिक मत पाएंगे तो हफीजुल खुद को मुनासिब हालत में पाएंगे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो गंगा नारायण जयश्री राम का जयकारा लगाते दिख जाएंगे। मधुपुर विधानसभा क्षेत्र का क्षेत्रफल बड़ा है। देवीपुर, मधुपुर, करौ, मारगोमुंडा के साथ देवघर प्रखंड के छह पंचायतों को यह समेटा हुआ है तो मधुपुर नगर पर्षद भी इसी के दायरे में है। 409 बूथ है। सहायक बूथ मिला कर 487। 322090 मतदाता। 

मधुपुर में सर्वाधिक अल्पसंख्यक मतदाता

मधुपुर में सर्वाधिक मतदाता अल्पसंख्यक है। कुल 91 हजार। यूपीए गठबंधन के दावा पर यकीन करे तो 1.5 लाख मुस्लिम आबादी है। मारगोमुंडा प्रखंड में सबसे अधिक। आदिवासी मतदाता भी 31 हजार है। झामुमो मुसला और आदिवासी को अपना मान रहा है। भाजपा के राज पलिवार दो बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं। वे इस बार उम्मीदवार नहीं बनाए गए हैं। पुराने रिकार्ड भाजपा की उम्मीद जगा रहे हैं। गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे, सारठ विधायक रणधीर सिंह एवं देवघर विधायक नारायण दास की तिकड़ी ने मधुपुर में विजय का मधु चखने के लिए वो सब कुछ किया है, जो चुनावी राजनीति में होता है।यूपीए गठबंधन में बादल पत्रलेख, मिथिलेश ठाकुर, प्रदीप यादव और दीपिका पांडेय ने खूब मेहनत की है। चुनाव प्रचार समाप्त हो गया है। अब 17 अप्रैल को मतदान कर जनता दोनों के भाग्य का फैसला कर देगी। 

मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तभी मधुपुर उप चुनाव को बेहद संजीदगी से लिया था जब आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो ने सम्मेलन किया था। मधुपुर सीट पर दावा करते हुए उस वक्त सुदेश महतो ने ऐलान किया था कि संथाल परगना में झामुमो का सियासी किला हिला देंगे। उसी वक्त हेमंत सोरेन के कान खड़े हो गए थे। हाजी हुसैन अंसारी के उत्तराधिकारी हफीजुल हसन को उन्होंने कैबिनेट मंत्री बना दिया। सोच साफ थी कि चुनाव मैदान में उतरने के पहले हफीजुल हसन सार्वजनिक चेहरा हो जाय। हरेक चुनावी सभा में हेमंत सोरेन बोले भी कि हमने मधुपुर की जनता को कैबिनेट मंत्री दिया। अब मधुपुर की जनता झामुमो के एक विधायक दे। चुनाव प्रचार की समाप्ति हुई तो हफीजुल आश्वस्त दिखे। दावा किया, बड़े अंतर से जीतेंगे। विधायक भी बनेंगे। कैबिनेट मंत्री भी बने रहेंगे।महज कुछ महीने पहले तक गंगा नारायण को उम्मीदवार बनाने के लिए आजसू मधुपुर सीट पर दावा ठोंक रही थी। आजसू का दावा छूट गया तो गंगा नारायण भाजपा से जुड़ गए। 

गंगा के सिर पर निशिकांत दुबे का हाथ

गंगा नारायण के सर पर गोड्डा सांसद डॉक्टर निशिकांत दुबे ने हाथ रख दिया। पूर्व मंत्री राज पलिवार आश्वस्त थे कि उन्हें उम्मीदवार बनाया जाएगा। अधिकतर भाजपा कार्यकर्ता भी। आखिरकार गंगा नारायण को कमल छाप का चिह्न मिल गया। गोड्डा सांसद ने इस चुनाव को खुद के सम्मान से जोड़ दिया। यहां तक बोल गए कि मधुपुर में सिर्फ भाजपा का विधायक नहीं चुना जाएगा बल्कि झारखंड में भाजपा सरकार का मार्ग भी मधुपुर के लोग प्रशस्त करेंगे। बाबूलाल मरांडी ने भी सौ से अधिक चुनावी सभाओं और कार्यकर्ता सम्मेलन में शिरकत की। तमाड़ उप चुनाव की यादें ताजा कराने की कोशिश की। बोले कि तमाड़ में जिस तरह मुख्यमंत्री रहते शिबू सोरेन होरे थे, उसी तरह मधुपुर में कैबिनेट मंत्री रहते हफीजुल हसन की हार होगी। धुआंधार चुनाव प्रचार के बीच यदि कोई खामोश रहा तो वो हैं पूर्व मंत्री राज पलिवार। उनकी खामोशी भी बोल रही है, लोगो की जुबान पर। और इन सबके बीच हिंदू-मुस्लिम भी खूब हो रहा है। मधुपुर के मिजाज पर पूर्व मंत्री कृष्णानंद झा शायरी में करते हैं, सियासत की आड़ में मजहब को न बांटिए जनाब, सुबह की पूजा और शाम की अजान, दोनों ही कुबूल है हमें।

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