वेतन न मिलने से नाराज झमाडा कर्मियों ने एमडी का कार्यालय घेरा, गेट के पास ही धरने पर बैठे

झारखंड खनिज विकास क्षेत्र प्राधिकार यानी झमाडा के 617 नियमित और लगभग 700 सेवानिवृत्त कर्मियों की स्थिति बेहद खराब है। 46 माह का बकाया तो चल ही रहा है इधर लॉकडाउन के दौरान का भी वेतन नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि

By Atul SinghEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 02:36 PM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 02:36 PM (IST)
वेतन न मिलने से नाराज झमाडा कर्मियों ने एमडी का कार्यालय घेरा, गेट के पास ही धरने पर बैठे
झारखंड खनिज विकास क्षेत्र प्राधिकार यानी झमाडा के 617

जागरण संवाददाता, धनबाद : झारखंड खनिज विकास क्षेत्र प्राधिकार यानी झमाडा के 617 नियमित और लगभग 700 सेवानिवृत्त कर्मियों की स्थिति बेहद खराब है। 46 माह का बकाया तो चल ही रहा है, इधर लॉकडाउन के दौरान का भी वेतन नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि नियमित वेतन भुगतान को लेकर बुधवार को जामाडोबा के कर्मी झमाडा कार्यालय वेतन मांगने पहुंच गए। माडा एमडी दिलीप कुमार से मिलने का प्रयास किया, लेकिन मिलने नहीं दिया गया। इससे नाराज कर्मी माडा एमडी कार्यालय के सामने ही धरने पर बैठ गए। नारेबाजी भी की, जब तक वेतन नहीं मिलेगा या लिखित आश्वासन नहीं दे दिया जाता तब तक धरना जारी रहेगा।

जनता मजदूर संघ झमाडा इकाई के अध्यक्ष राजू बाल्मीकि और संयुक्त सचिव राकेश कुमार सिंह ने कहा कि जामाडोबा में 320 करोड का वाटर प्लांट बनाया जा रहा है, लेकिन कर्मियों को देने के लिए माडा के पास पैसे नहीं है। छठ पूजा, दुर्गा पूजा यहां तक की दीवाली में भी कर्मियों को वेतन नहीं दिया गया, जबकि अधिकारियों ने अपना वेतन उठा लिया। ऐसी दोहरी नीति क्यों अपनाई जा रही है। यदि कर्मी वेतन नहीं ले रहे हैं तो अधिकारी भी वेतन ना लें। माडा को बाजार फिर से करोड़ों की आय होती है। यह पैसा कितना आ रहा है और कहां जा रहा है, इसका कोई हिसाब किताब नहीं है। अक्टूबर-नवंबर का वेतन अभी तक नहीं मिला है। हमारी मांग है की दो महीने का वेतन तत्काल मिले, वेतन नियमित हो और बैकलॉग यानी 46 माह का वेतन भी किस्तों में मिले। इसके साथ ही 10 सूत्री मांगों का लिखित आश्वासन मिले। जब तक ऐसा नहीं होगा हम यहां से टस से मस नहीं होंगे। इस अवसर पर सुभाष रावत, रहमान, मकसूदन रावत, श्रवण सिंह, दुर्गा रावत आदि मौजूद थे।

सेवानिवृत्त कर्मियों को पावना के तौर पर मिला दो किस्त

झमाडा के साथ सेवानिवृत्त कर्मियों को बकाया पावना भी नहीं मिल पा रहा है। किसी कर्मी का 20 लाख, किसी का 30 तो किसी का 40 लाख रुपये बकाया है। इस वर्ष इन्हें सिर्फ दो किस्त ही मिले हैं। वह भी 50-50 हजार का। यदि हर साल ऐसे ही किस्त मिलती रही तो अगले 10 साल तक इनके पावना का भुगतान नहीं हो पाएगा। धरने पर बैठे कर्मियों ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पावना भुगतान की भी मांग की है।

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