झारखंड अभिभावक संघ को भी मिले जिला स्तरीय शिक्षण शुल्क समिति कमेटी में प्रतिनिधित्व

धनबाद झारखंड अभिभावक संघ की जिला कमेटी ने शुक्रवार को उपायुक्त एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी से मुलाकात की। इस दौरान झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 के तहत जिला स्तरीय शिक्षण शुल्क समिति के गठन के संबंध में सुझाव दिया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Aug 2021 08:41 PM (IST) Updated:Fri, 27 Aug 2021 08:41 PM (IST)
झारखंड अभिभावक संघ को भी मिले जिला स्तरीय शिक्षण शुल्क समिति कमेटी में प्रतिनिधित्व
झारखंड अभिभावक संघ को भी मिले जिला स्तरीय शिक्षण शुल्क समिति कमेटी में प्रतिनिधित्व

जागरण संवाददता, धनबाद : झारखंड अभिभावक संघ की जिला कमेटी ने शुक्रवार को उपायुक्त एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी से मुलाकात की। इस दौरान झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 के तहत जिला स्तरीय शिक्षण शुल्क समिति के गठन के संबंध में सुझाव दिया। संघ के जिलाध्यक्ष कैप्टन प्रदीप मोहन सहाय ने बताया कि सदस्य के तौर पर निजी विद्यालय के प्राचार्य को रखने का जो प्रारूप है, उसमें ना सिर्फ सीबीएसई मान्यता प्राप्त विद्यालय के प्राचार्य को बल्कि आइसीएसइ मान्यता प्राप्त विद्यालय के प्राचार्य को रखना भी सही होगा। वैसे सभी तरह के प्राचार्य जिनके ऊपर पूर्व में भी शुल्क को लेकर आरोप लगे हैं, उन्हे इस समिति से दूर रखा जाए। सहोदया के अकाउंट्स की देखरेख करने वाले प्राचार्य को मनोनीत करना गलत है। वो अपने संगठन सदस्यों के हित में ही रहेंगे। अभी हाल में ही बोर्ड रिजल्ट के बाद उनके ऊपर उनके विद्यालय के सैकड़ों बच्चों ने गलत पैसा लेने का आरोप भी लगाया था जिसपर मारपीट भी हुई थी। जिस विद्यालय का खाता-बही पूरी तरीके से स्वच्छ हो, वैसे ही विद्यालय के प्राचार्य को इसका सदस्य बनाना चाहिए। इस समिति में जो अभिभावक सदस्य होंगे उनका मनोनयन झारखंड अभिभावक संघ, धनबाद जिला कमेटी के द्वारा होना चाहिए। समिति में अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए एक अलग प्रावधान भी होना चाहिए, ताकि कोई भी अभिभावक सुलभतापूर्वक अपनी आपत्ति दर्ज कर सकें। यह अधिनियम जनवरी 2019 से ही प्रभावी हैं। इसलिए पारित होने के समय से लेकर अभी तक के सभी शुल्क को समायोजित किया जाना चाहिए तथा अधिक वसूले गए शुल्क को वापस करवाना चाहिए। अधिनियम के अनुसार केवल शिक्षण शुल्क ही लेने की ही अनुमति है तथा सभी तरह के खर्चों को कुल आठ कारक खर्च तत्वों के आधार पर ही शिक्षण शुल्क का विनियमन होना है। सभी तरह के अन्य शुल्क जैसे वार्षिक शुल्क, कंप्यूटर शुल्क, डायरी शुल्क, परीक्षा शुल्क, नामांकन शुल्क आदि को खत्म कर देना चाहिए। अकाउंटेंट सदस्य वैसे होने चाहिए जिन पर पूर्व में कोई आरोप ना हो तथा किसी भी विद्यालय से उनका कोई संबंध ना हो ताकि निष्पक्ष जांच एवं कार्यवाही हो सकें। इस मौके पर संतोष सिंह, प्रमोद रंजन, उमेश कुमार, मनोज सिन्हा, सुर्यभुषन, राजेश , शिवाजी आदि मौजूद थे।

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