Lockdown में लड़खड़ाते बार-रेस्टूरेंट को संभालने में जुटी सरकार, शर्तों पर खरे उतरे तो लाइसेंस शुल्क माफ
जिले में कुल 22 बार संचालकों ने इसके लिए लाइसेंस लिया हुआ है। जिससे विभाग को सालाना लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की कमाई होती है। जबकि कुल कारोबार पर हर साल विभाग के खाते में 10 से 15 करोड़ रुपये आते हैं।
धनबाद, जेएनएन। कोरोना संक्रमण और इससे बचाव के लिए लॉकडाउन के कारण बार-रेस्टूरेंट का धंधा लड़खड़ा गया है। ज्यादातर बार संचालकों की हालत लाइसेंस शुल्क चुकता करने की नहीं है। इनका एसोसिएशन झारखंड सरकार से लाइंसेंस शुल्क माफ करने की मांग करता रहा है। अब सरकार ने राहत दी है। इसका फायदा धनबाद के बार संचालकों को भी मिलेगा। हालांकि सरकार ने लाइसेंस शुल्क माफ करने के लिए कुछ शर्तें भी लगा रखी हैं। लॉकडाउन उल्लंघन का जिस भी बार-रेस्टूरेंट पर मुकदमा कायम हुआ है उनका लाइसेंस शुल्क माफ नहीं होगा।
धनबाद में 22 बार-रेस्टूरेंट
धनबाद सहित राज्य में बार संचालन करने वालों को राज्य सरकार ने काफी राहत दी हे। इसके तहत पिछले वित्तीय वर्ष के दो तिमाही का लाइसेंस शुल्क चालू वित्तीय साल में समायोजित करने का ऐलान किया है। सरकार की इस घाेषणा से घाटे में चल रहे बार संचालकों ने खुशी जताते हुए कहा कि इसके लिए वे लोग लगातार सरकार से मांग कर रहे थे। अब जाकर सरकार ने उनकी मांगे सुन ली है। अब एकहद तक उनके नुकसान की भरपाई हो पाएगी। इसके लिए उन्होंने सरकार का आभार जताया। वहीं इस बाबत सहायक उत्पाद अधीक्षक उमा शंकर सिंह ने बताया कि पिछले साल मार्च में लगे लॉकडाउन के कारण वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार के आदेश के आलोक में जिले के सभी 22 बार पूर्ण रूप से बंद रहे थे। जिसको लेकर इसके संचालकों ने लाइसेंस फी जमा करने में अपनी असमर्थता जताते हुए फी माफी की गुहार सरकार से की थी। उसी के परिपेक्ष्य में सरकार ने पिछले साल लिए गये लाइसेंस फी को इस साल के दो तिहाई फी में समायोजित करने का आदेश दिया है। लेकिन इसका लाभ केवल उन्हीं बार संचालकों को मिलेगा जिन्होंने पिछले साल लाइसेंस फी जमा किया हाेगा। साथ ही वैसे बार संचालक भी इसका लाभ उठा सकते हैं जिनके खिलाफ लॉक डाउन उल्लंघन का कोई मामला कहीं भी दर्ज नहीं होगा।
उत्पाद विभाग को डेढ़ करोड़ की होती कमाई
धनबाद जिले में कुल 22 बार संचालकों ने इसके लिए लाइसेंस लिया हुआ है। जिससे विभाग को सालाना लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की कमाई होती है। जबकि कुल कारोबार पर हर साल विभाग के खाते में 10 से 15 करोड़ रुपये आते हैं। सरकार के इस निर्णय से विभागीय अधिकारी लगभग एक करोड़ रुपये का नुकसान केवल लाइसेंस फी के मद मे ही होने की बात कह रहे हैं। जबकि पूरे कारोबार पर कुल नुकसान लगभग 10 करोड़ रुपये तक जाने की आंशका उन्होंने व्यक्त की।