लाकडाउन में झरिया में प्रदूषण का स्तर था शून्य, अब पहुंचा 165 एमजीसीएम
प्रदूषण के मामले में तो पहले से ही धनबाद देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में पहले पायदान पर है। धनबाद के झरिया सहित अन्य इलाके अधिक प्रदूषित हैं। नियमों को दरकिनार कर कोयला ट्रांसपोर्टिंग और झरिया में लगी आग से निकलने वाली गैस लोगों को सिर्फ बीमार कर रही है। इस ओर न तो बीसीसीएल का ध्यान है और न जिला प्रशासन और न ही झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कारगर उपाय कर रहा है। प्रदूषण की मार का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि धनबाद में प्रतिवर्ष 250 टीबी मरीज मिलते हैं। इनमें 30 फीसद प्रदूषण के कारण बीमार हो रहे हैं।
आशीष सिंह, धनबाद
प्रदूषण के मामले में तो पहले से ही धनबाद देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में पहले पायदान पर है। धनबाद के झरिया सहित अन्य इलाके अधिक प्रदूषित हैं। नियमों को दरकिनार कर कोयला ट्रांसपोर्टिंग और झरिया में लगी आग से निकलने वाली गैस लोगों को सिर्फ बीमार कर रही है। इस ओर न तो बीसीसीएल का ध्यान है और न जिला प्रशासन और न ही झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कारगर उपाय कर रहा है। प्रदूषण की मार का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि धनबाद में प्रतिवर्ष 250 टीबी मरीज मिलते हैं। इनमें 30 फीसद प्रदूषण के कारण बीमार हो रहे हैं। चिकित्सक मानते हैं कि पिछले तीन-चार वर्षों में इसमें दस फीसद की बढ़ोतरी हुई है।
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लाकडाउन से भी नहीं ले सके सबक
प्रदूषण किस तरह कम हो सकता है, लाकडाउन ने इसका बेहतर उदाहरण पेश किया। लाकडाउन के समय धनबाद में एयर क्वालिटी इंडेक्स पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर शून्य तक पहुंच गया था। वहीं इस समय पीएम 2.5 औसतन 145 तो पीएम 10 का स्तर 165 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) है। जिले में कई ऐसी जगह है, जहां पीएम 10 की मात्रा अत्यधिक बढ़ चुकी है। इसमें बैंक मोड़, धनसार, झरिया आदि का इलाका प्रमुख तौर पर शामिल है। जेएसपीसीबी के पर्यावरण विशेषज्ञ संजय श्रीवास्तव कहते हैं कि पीएम 10 को रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर होता है। पीएम 10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए। कई जगह यह 200 तक पहुंच गया है।
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फाइलों में कैद एक्शन प्लान
2010 में सीपीसीबी ने एयर क्वालिटी इंडेक्स जारी किया था। इसमें धनबाद को देश के 43 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में 13वें स्थान पर रखा था। इसके बाद 2011 में डब्ल्यूएचओ ने दुनिया के प्रदूषित शहरों की एक सूची जारी की। इसमें भारत के 33 शहरों को भी शामिल किया गया। इनमें धनबाद 11वें स्थान पर था। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने धनबाद में 31 मार्च 2012 तक किसी भी तरह का उद्योग लगाने पर रोक भी लगा दी थी। बाद में स्थिति में कुछ सुधार होने के बाद रोक हट गई। इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण को लेकर धनबाद एक्शन प्लान बना। लगभग एक दशक से यह प्लान फाइलों में कैद है। धनबाद में प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए कार्ययोजना के लिए 1463 करोड़ खर्च का आकलन तैयार किया गया था। कार्ययोजना आज तक धरातल पर नहीं उतरी। 2017 में भी प्रदूषण पर जारी रिपोर्ट में धनबाद को देश के प्रदूषित शहरों में 24वें नंबर पर रखा गया। इस रिपोर्ट के बाद धनबाद में उच्च स्तरीय बैठक कर दुबारा एक्शन प्लान बनाने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय को भी तीन वर्ष बीत गए।
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प्रदूषणजनित बीमारियां
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डा एसएन जफरुल्लाह कहते हैं कि कोल डस्ट के कारण सांस संबंधित बीमारियां अस्थमा, सिलकोसिस, टीबी एवं लंग्स जैसी बीमारियां हो रहीं हैं। ज्यादातर रोगी इसी के आते हैं। प्रतिवर्ष लगभग 250 टीबी के मरीज मिल रहे हैं, इसमें 30 फीसद धूलकण की अधिकता की वजह से इस बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। डस्ट से एलर्जी वाले मरीजों को यह और अधिक प्रभावित कर रहा है। नेत्ररोग की बीमारी भी बढ़ रही है। आंख में पीलापन आ रहा है। प्रदूषित हवा के कारण पानी भी प्रदूषित हो रहा है। इसके कारण दो साल से कम उम्र के बच्चों में डायरिया, हैजा बीमारी हो रही हैं। लोगों में गैस, बदहजमी की शिकायत मिल रही है। प्रदूषित पानी में स्नान के कारण चर्म रोग हो रहा है।
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प्रदूषण के प्रमुख कारक
- प्रदूषण का बड़ा कारण ओपनकास्ट कोलियरियां, इसकी वजह से धूल कण हवा में तैर रहे हैं।
- वायु प्रदूषण का मुख्य स्त्रोत बीसीसीएल, ईसीएल, सीसीएल के खदान में हो रहे उत्पादन एवं कोल ट्रांसपोर्टेशन। नियमों का पालन नहीं।
- वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैस सल्फर डाइआक्साइड, नाइट्रोजन डाइआक्साइड और धूल के कण आरएसपीएम (रेस्पाइरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) एवं एसपीएम (सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) मिलकर इसमें इजाफा कर रहे हैं।
- अधिक नुकसान सड़क पर उड़ती हुई धूल है। कोलियरी क्षेत्र से निकलने वाले कोयला लदे ट्रक धनबाद शहर को प्रदूषित करने में महत्वपूर्ण निभा रहे हैं।
- जिला परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2009 से लेकर अक्टूबर 2021 तक तीन लाख 90 हजार गाड़ियां धनबाद की सड़कों पर धुआं उड़ा रही हैं।
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केस स्टडी-एक
झरिया के लिलोरीपथरा बालूगद्दा निवासी बिहारी यादव की 60 वर्षीय मां को जहरीली गैस से घुटन की शिकायत हुई। स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। सेहत में सुधार नहीं हुआ तो इलाज के लिए पटना ले जाया गया। वहां भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। डाक्टरों ने घर ले जाकर देखभाल करने की बात कही है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि लगातार जहरीली गैस के बीच रहने को विवश हैं। घरों से गैस रिसाव हो रहा है।