धनबाद का पेठा दे रहा आगरे के मशहूर पेठे को टक्कर, इन वजहों से बना खास
आगरा दो चीजों के लिए दुनिया भर में मशहूर है। पहला ताज महल व दूसरा वहां के बने खुशबूदार और रसदार पेठा। आगरा का यह खास मिठाई पूरे देश में मशहूर है। आगरा के पेठा मिठाई को कोयलांचल का पेठा टक्कर दे रहा है।
सुमित राज अरोड़ा, झरिया: आगरा दो चीजों के लिए दुनिया भर में मशहूर है। पहला ताज महल व दूसरा वहां के बने खुशबूदार और रसदार पेठा। आगरा का यह खास मिठाई पूरे देश में मशहूर है। आगरा के पेठा मिठाई को कोयलांचल का पेठा टक्कर दे रहा है।
लोगों को वर्षों से यहां के पेठे का स्वाद आगरा के पेठे का स्वाद को भूला दिया है। कम कीमत में यहां के बने पेठे ने अपनी एक अलग ही जगह बना ली है। संचालकों की माने तो दीपावली से लेकर होली तक झरिया कोयलांचल में दरभंगा से दर्जनों कारीगरों को बुला कर यहां पेठा बनाने का काम करते है।
कारीगरों का रहना, खाना पीना की सभी व्यवस्था कारखाना संचालक करते है। पेठा कारोबारी लोगों के डिमांड पर केवड़ा फ्लेवर का भी पेठा बनाया जाता है। जिसकी कीमत साधारण पेठा से थोड़ी महंगी होती है। संचालकों की माने तो शर्दी के मौसम में लोगों को पेठा काफी पसंद आता है।
तीन माह की इसकी बिक्री में काफी तेजी रहती है। समय पर दुकानदारों को पहुंचाने के लिए सुबह से रात तक काम किया जाता है। होली के बाद से इसकी रफ्तार कम होती है। जिस वजह से पेठा का काम कम हो जाता है। बंगाल, यूपी व बिहार से सादा पेठा को मंगवाकर उससे पेठा की मिठाई बनाई जाती है। कारोबारियों की माने तो बंगाल का सादा पेठा का मिठाई सबसे स्वादिष्ट होता है। थोक में पेठा मिठाई की कीमत 60 से 65 रुपये व खुदरा में 70 से 80 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।
1948 में शुरू हुआ था झरिया के आगरा का मशहूर पेठा बनाने का काम:
दिल्ली के रहने वाले सरदारी लाल आजादी से पहले आगरा से पेठा लाकर दिल्ली में बेचा करते थे। इसी से उनके परिवार वालाें का भरण पोषण होता था। सरदारी लाल पेठा बनाने की विधि की जानकारी आगरा से लेकर अपने से पेठा बनाने का काम शुरू किया। जिसके बाद पेठा का कारोबार सरदारी लाल के पुत्र आम प्रकाश ने संभाला। आम प्रकाश ने वर्ष 1948 में झरिया पहुंचे। झरिया में छोटी सी जगह में उन्होंने पेठा की मीठाई का काम सबसे पहले बनाने का शुरू कर दिया। धीरे धीरे लोगों में पेठा का स्वाद पसंद आने लगा। जिसके बाद पेठा का कारोबार ने रफ्तार ले ली। आम प्रकाश के गुजर जाने के बाद पेठा का कारोबार उसके पुत्र झरिया निवासी राजा अरोड़ा ने संभाल लिया। राजा अरोड़ा ने बताया कि पेठा बनाने का कारोबार पूर्वजों से चला आ रहा है। पूर्वजों के इस परंपरा को संभाल कर रखा हुआ हुं। राजा ने बताया कि पेठा की मिठाई बनाने के दौरान किसी प्रकार का कोई केमिकल का प्रयोग नही होता। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर भी नही पढ़ता।