Jharkhand Assembly Election 2019: झरिया में धधक रहीं आग की लपटें, लोग-बाग को निगलने को तैयार

आग बढ़ती गई नतीजा आरएसपी कॉलेज को झरिया से बेलगढि़या शिफ्ट कर दिया गया। आरएसपी परिसर में स्थित माडा का मुख्य जलागार खतरे में है शहर में आग घुस रही है।

By Edited By: Publish:Sat, 07 Dec 2019 02:10 AM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 02:16 AM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: झरिया में धधक रहीं आग की लपटें, लोग-बाग को निगलने को तैयार
Jharkhand Assembly Election 2019: झरिया में धधक रहीं आग की लपटें, लोग-बाग को निगलने को तैयार

झरिया, जेएनएन। ऐतिहासिक शहर झरिया करीब ढाई सौ वर्ष पुराना है। देश की इस कोल कैपिटल में 1916 को भौंरा में आग लग गई। जो वक्त के साथ फैलती गई। यह आग आज कई बस्तियों को निगल चुकी है। झरिया शहर को भी निगलने को तैयार है। भूधंसान, गोफ, मकानों में दरार व हवा में जहरीली गैस यहां की पहचान बन चुकी है। बावजूद न तो कोयला कंपनी बीसीसीएल ने आग बुझाने के पुरजोर उपाय किए न ही जनप्रतिनिधियों ने बड़ी कोशिश।

आग बढ़ती गई, नतीजा आरएसपी कॉलेज को झरिया से बेलगढि़या शिफ्ट कर दिया गया। आरएसपी परिसर में स्थित माडा का मुख्य जलागार खतरे में है, शहर में आग घुस रही है। भूमिगत आग ने कई लोगों की जान भी ली है, तो कई दिव्यांग हो गए। झरिया शहर की सीमा इंदिरा चौक, घनुडीह, कोयरीबांध, कुकुरतोपा व लिलोरीपथरा तक आग पहुंच चुकी है। भूधंसान, गोफ व गैस रिसाव की घटनाएं हो रही हैं। बारिश में हालात और खराब होते है। आउटसोíसंग कंपनियों की ओर से हो रहे कोयला खनन के दौरान ब्लास्टिंग से बस्तियों के मकान कांप उठते हैं। कोयलांचल की 595 साइटों में आग, भू-धंसान व गैस रिसाव से लोग प्रभावित हैं। बीसीसीएल प्रबंधन केवल क्षेत्र के खतरनाक होने की अपील जारी कर अपनी जिम्मेदारी से किनारा कर लेता है। इन खतरनाक इलाकों में हजारों परिवार रह रहे हैं। कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता। बीसीसीएल प्रबंधन दावा करता है कि जमीनी आग को बहुत हद तक काबू में किया गया है, लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और है। जनप्रतिनिधि ने भी झरिया की आग को बुझाने के लिए पहल नहीं की।

केस स्टडी-एकः 24 मई 2017 को इंदिरा चौक में बबलू खान और उनका पुत्र रहीम खान जमींदोज हो गया। सड़क के किनारे उसकी दुकान के सामने गोफ होने से दोनों अंदर समा गए। दोनों की लाश भी नहीं निकाली जा सकी।

केस स्टडी-दोः19 अगस्त 2017 को मोहरीबांध में भूधंसान हुआ। दर्जनों घर गिर गए। कोलकर्मी रामप्रवेश प्रसाद सिन्हा की मां भगवनिया देवी की मलबे में दबने से मौत हो गई।

केस स्टडी- तीनः छह फरवरी 2016 को सुदामडीह चीफ हाउस कॉलोनी में जमीन धंसने से हरि प्रसाद की पत्नी जीरा देवी जमींदोज हो गई। काफी प्रयास के बाद जीरा के शव को निकाला गया।

केस स्टडी-चारः17 सितंबर 2015 को कोयरीबांध कुकुरतोपा में रहनेवाली 12 वर्षीय मुस्कान कुमारी शौच के लिए गई थी। अग्नि प्रभावित क्षेत्र में गोफ में गिरकर जख्मी हो गई। उसका चिकित्सक को एक पैर व एक हाथ काटना पड़ गया। आग को काबू में करने के नाम पर रकम जरूर अरबों खर्च कर दी गई पर फलाफल सभी जानते हैं।

ये इलाके प्रभावित

झरिया का इंदिरा चौक, फुलारीबाग, लिलोरीपथरा, घनुडीह, कुजामा, मोहरीबांध, नार्थ तिसरा, साउथ तिसरा, जीनागोरा, कुजामा, लोदना, बागडीगी, जयरामपुर, दोबारी रजवार बस्ती, एना बस्ती, शिमलाबहाल बस्ती, कुकुरतोपा, भगतडीह माडा कॉलोनी, सुदामडीह चिप हाउस, भौंरा, चासनाला, बरारी, मोदीभीठा भूमिगत आग की चपेट में हैं।

आग के बीच रहने को मजबूर हैं। गैस रिसाव भी होता है। जमींदोज होने का भी खतरा है। 50 वर्षों से यहां रहरहे हैं। कभी भी हादसा हो सकता है।

- सुरेश शर्मा, लिलोरीपथरा झरिया।

दादा दुखी सोनार 60 साल पहले आये थे। उस समय आग नहीं थी। पिता जानकी सोनार भी यहीं जन्मे। मेरा भी जन्म यहीं हुआ। एक दशक से घर के पास से आग निकल रही है। हमारा रोजगार देकर पुनर्वास हो।

- शंभू वर्मा, लिलोरीपथरा झरिया।

40 साल पहले जब हम शादी कर यहां आये थे तो बहुत हरियाली थी। मन लगता था। एक दशक से क्षेत्र में घर के पास ही आग निकल रही है।

- शांति देवी, लिलोरीपथरा झरिया।

80 वर्ष से यहां घर है। तब आग नहीं थी। धीरे-धीरे आग घर के पास आ गई। प्रशासन व प्रबंधन की लापरवाही से परिवार के साथ खतरनाक क्षेत्र में रहने को मजबूर हैं।

- मुन्ना खान, इंदिरा चौक झरिया । भूधंसान की घटनाएं वर्ष 2006 में शिमलाबहाल बस्ती में मीरा कुमारी अपने घर में जमीन फटने से जमींदोज हो गई। वर्ष 2008 में चासनाला साउथ कॉलोनी इंदिरा चौके के पास रिटायर सेलकर्मी उमाशंकर त्रिपाठी जमीन फटने से समा गये। वर्ष 2015 में बीजीआर दोबारी परियोजना में काम करने आये तमिलनाडु के दिवाकर जमींदोज हो गए। वर्ष 2015 में डेको परियोजना चासनाला में कार्य के दौरान मशीन के साथ विनोद दास जमीन के अंदर चला गया। वर्ष 2008 में धर्मनगर झरिया में भू धंसान के कारण सुंदरी देवी नामक महिला जमीन के अंदर चली गई। वर्ष 2008 में कुजामा कोलियरी में ज्योति कुमारी नामक बालिका जमीन के फटने से उसके अंदर समा गई। वर्ष 1997 में धर्मनगर झरिया में गीता कुमार नामक एक बालिका जमीन के फटने से अंदर चली गई।

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