झरिया व पुटकी इलाके में 10 दिनों से आंशिक जलापूर्ति

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By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 05:05 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 05:05 AM (IST)
झरिया व पुटकी इलाके में 10 दिनों से आंशिक जलापूर्ति
झरिया व पुटकी इलाके में 10 दिनों से आंशिक जलापूर्ति

जासं, झरिया-जामाडोबा : जामाडोबा जल संयंत्र के पास दामोदर नदी में जलकुंभी, शैवाल के आने से जलापूर्ति में काफी परेशानी आ रही है। जलकुंभी नदी में लगे इंटेकवेल के फुटबॉल में पहुंचकर जाम हो जा रहा है। इस कारण झरिया शहर व कोलियरी क्षेत्र के वन व टू क्षेत्र सहित पुटकी इलाके में 10 दिनों से आंशिक जलापूर्ति हो रही है। अधिक समस्या होने पर जलापूर्ति ठप हो जा रही है। झमाडा कर्मियों ने बताया कि कुछ दिनों से नदी में पानी के बहाव के साथ जलकुंभी, शैवाल व कचड़ा अधिक आने लगे हैं। इससे नदी में लगे चार इंटेकवेल भल्व के फुटबॉल जाम हो रहे हैं। झमाडा के कर्मी मोटर पंप को बंद कर हर दो घंटे में सफाई करते हैं। इसके बाद रुक रुक कर संयंत्र के 12 एमजीडी व नौ एमजीडी में जल भंडारण होता है। इसके बाद झरिया व पुटकी के जलागार में पानी छोड़ा जाता है।

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क्यों आ रहा है नदी के पानी में जलकुंभी व शैवाल :

कुछ दिनों से क्षेत्र में हो रही बारिश के कारण नदी के जल स्तर में वृद्धि हुई है। पानी का बहाव भी तेज हुआ। इस कारण अन्य फैक्ट्री व नाले के जलकुंभी, शैवाल व कचरा पानी के साथ बहकर नदी में आ गया है। जलकुंभी संयंत्र के इंटेकवेल के पास आकर जमा हो जाता है।

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बारिश से कितना बढ़ा पानी का लेयर

झमाडा कर्मियों ने कहा कि बारिश से पूर्व नदी में पानी का लेयर 455 आरएल था। इसमें छह इंच की बढ़ोतरी हुई है। पानी का लेयर 455.5 आरएल हो गया। कहा कि लेयर को बरकरार रखने के लिए 10 लाख की लागत से अस्थाई बांध बनाया गया था। बांध के किनारे कचड़ा व जलकुंभी से बचाव के लिए जाली लगाई गई थी। गुरूवार को आई तेज हवा, आंधी व बारिश में वह बह गई।

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कर्मियों की कमी से सफाई में हो रही परेशानी

झमाडा कर्मियों बताया कि प्रत्येक पाली में नौ सफाई कर्मी की जरूरत है। यहां तीन सफाई कर्मी ही प्रत्येक पाली में हैं। पूर्व में विभाग की ओर से पुटकी, गोविदपुर, चिरकुंडा से नौ कर्मियों का स्थानांतरण कर यहां लाया गया था, लेकिन पुन: विभाग ने उसे वापस भेज दिया।

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जल भंडारण में बिजली आपूर्ति भी बनी बाधक

कर्मियों ने बताया कि डीवीसी की ओर से बिजली काटना भी जल भंडारण में बाधक बन रही है। एक मई को 30 मिनट, दो मई को एक घंटा 45 मिनट, तीन मई को तीन घंटा, चार मई को एक घंटा 25 मिनट, पांच मई को तीन घंटा 55 मिनट, छह मई को दो घंटा 50 मिनट बिजली नहीं रही। एक बार बिजली जाने के बाद जल भंडारण किया हुआ पानी नदी में वापस चला जाता है।

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उपायुक्त के माध्यम से तेनुघाट से पानी छोड़ने को कहा जाएगा,ताकि नदी में जमा जलकुंभी, शैवाल यहां से बहकर दूर चला जाए। अस्थाई बांध की भी मरम्मत की जाएगी। जनता को सुचारू रूप से जलापूर्ति की जाएगी।

इंद्रेश शुक्ला, तकनीकी सदस्य झमाडा।

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