बाल शिवा से छत्रपति बनने की महागाथा

धनबाद भव्य मंच रंग बिरंगी रोशनी भारी आवाज नृत्य संगीत और दमदार प्रस्तुति का शुक्रवार क

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Feb 2019 08:41 AM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 08:41 AM (IST)
बाल शिवा से छत्रपति बनने की महागाथा
बाल शिवा से छत्रपति बनने की महागाथा

धनबाद : भव्य मंच, रंग बिरंगी रोशनी, भारी आवाज, नृत्य, संगीत और दमदार प्रस्तुति का शुक्रवार को गवाह बना धनबाद का गोल्फ मैदान। मौका था छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवनी पर आधारित नाटक 'जाणता राजा' के मंचन का। तीन घंटे के अंदर बाल शिवा से छत्रपति शिवाजी महाराज बनने की पूरी गाथा को पुणे से आए कलाकारों ने मंच पर जीवंत प्रस्तुति दी। इसमें हाथी, घोड़ा, उंट और बैलगाड़ी का उपयोग किया गया। कुल मिलाकर जाणता राजा की प्रस्तुति धनबाद के लिए अद्भूत थी।

नाटक की शुरुआत शिवाजी के जन्म से पूर्व उनके पिता द्वारा मुगलों की वफादारी निभाने से होती है। जो मां जीजा को पसंद नहीं। जन्म के बाद से ही मां जीजा ने शिवा को राष्ट्रहित, समाज हित, नारी सम्मान व रक्षा का पाठ पढ़ाया। जैसे-जैसे शिवाजी बड़े होते गए, वैसे-वैसे स्वराज स्थापना का जोश बढ़ता गया। युवा अवस्था में ही शिवाजी ने मुगलों के कई किलों पर कब्जा किया। अफजल खान को मौत के घाट उतारना, आगरा से मिठाई के डब्बे में छुपकर फरार होना और औरंगजेब को भी यह मानने पर मजबूर करना कि शिवाजी आखिर एक वीर योद्धा है। जिसकी नीति और नियत ने शिवाजी को फतह दिलायी। नृत्य-गीत की जबरदस्त भरमार : नाटक के बीच में गीत-संगीत के कई रूप देखने को मिले। महाराष्ट्र का पारंपरिक नृत्य लावणी की मस्त तान जहां थी, वहीं कव्वाली भी सुनने को मिली। इसके अलावा कविता पाठ और मां दुर्गा की आरती ने इस नाटक में चार चांद लगा दिया। संस्कृत के श्लोक भी हिन्दी से भरे संवादों ने भारत के गौरव को परिलक्षित कर दिया।

सूत्रधार की जुबानी पूरी कहानी : जाणता राजा का मंचन कई मायनों में उत्कृष्ट रहा। शिवाजी महाराज के न्याय को लेकर भी कई दृश्य दर्शकों के दिलों को छू गए। गलती करने पर शिवाजी महाराज ने अपने सगे रिश्तेदार मामा और प्रधानमंत्री को भी सजा देने में देरी नहीं की। नाटक मंचन के दौरान यह भी दिखाया गया कि शिवाजी महाराज को अपना राष्ट्र और लोग प्यारे थे, नाकि सोने से जड़ित सिंहासन। काशी के पंडित और मां की आज्ञा से वे राज सिंहासन पर बैठे।

आरती के समय लोगों ने जला दी मोबाइल की बत्ती : नाटक मंचन के प्रारंभ में ही एक ऐसा मौका आया कि दर्शकों ने अपनी-अपनी मोबाइल फोन का लाइट जला कर मां दुर्गा की आरती की। यह दृश्य भी देखने लायक था।

शहीद के परिवारों ने किया उद्घाटन : नाटक का उद्घाटन शहीद जवानों के परिवारों के द्वारा किया गया। इस दौरान शहीद मेजर संजय कुमार वर्मा की पत्‍‌नी प्रेरणा वर्मा, धनबाद के पूर्व एसपी शहीद रणधीर वर्मा की पत्‍‌नी सह पूर्व केंद्रीय मंत्री रीता वर्मा और शहीद शशिनाथ के पिता रामेश्वर पांडेय व माता ललीता देवी समेत विधायक राज सिन्हा, ढुलू महतो, फूलचंद मंडल, एसएसपी कौशल किशोर समेत धनबाद जिले के तमाम व्यापारी व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पदाधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम आयोजक के रूप में मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल और इसकी पूरी परिकल्पना आरएसएस के राष्ट्रीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक की रही। दीप प्रज्जवलन के बाद 'ये मेरे वतन के लोगों..' और मां दुर्गा की आरती के माध्यम से कार्यक्रम की शुरूआत की गई।

सरकारी स्कूल के बच्चों ने भी नाटक का देखा : मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल ने सरकारी स्कूल के बच्चों को निश्शुल्क प्रवेश देने की घोषणा की थी। इसके तहत काफी संख्या में स्कूली बच्चे भी नाटक देखने के लिए पहुंचे थे। इन बच्चों के कारण पीछे का स्टेडियम पूरा भरा हुआ था।

लोगों का कम रहा रुझान : नाटक मंचन के दौरान आगे और पीछे की सीटें भरी हुई थीं, जबकि बीच में एक तरफ पूरी कुर्सियां खाली रहीं। उम्मीद की जा रही है कि शनिवार से नाटक देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ होगी।

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जाणता राजा नाटक शिवाजी महाराज की जीवनी पर आधारित है और इनका जीवन आज के दौर में भी प्रासंगिक है। शिवाजी महाराज के जीवन का हर भाग प्रेरणा देता है। शिवाजी महाराज ऐसे राजा हुए जिन्होंने सबसे पहले नौसेना का निर्माण किया।

- अनिल ओक, आरएसएस के राष्ट्रीय सह व्यवस्थापक

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