कहीं देखा है ऐसा जुनून! ये हेलमेट दान करते ताकि किसी का जवान बेटा नहीं मरे

मनोज अक्सर सड़क पर तेज रफ्तार रफ्तार से गुजरते युवकों को समझाते हैं। हेलमेट नहीं पहने युवकों को रोकते हैं। अपने बेटे यश की कहानी बताकर हेलमेट लगाने के लिए प्रेरित करते हैं।

By mritunjayEdited By: Publish:Tue, 19 Feb 2019 05:15 PM (IST) Updated:Tue, 19 Feb 2019 05:15 PM (IST)
कहीं देखा है ऐसा जुनून! ये हेलमेट दान करते ताकि किसी का जवान बेटा नहीं मरे
कहीं देखा है ऐसा जुनून! ये हेलमेट दान करते ताकि किसी का जवान बेटा नहीं मरे

धनबाद, सौरभ सिंह । धनबाद और बोकारो जिले की सीमा स्थित चास के लोहा कारोबारी मनोज कुमार की जितनी भी तारीफ की जाय कम होगी। 12 जनवरी 2017 को उनके सत्रह साल के पुत्र यश की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। कारण था सर पर हेलमेट नहीं होना। इस घटना ने मनोज को तोड़ दिया था। दुखी मनोज के मन में तब विचार आया कि बेटा तो चला गया। अब किसी और का बेटा दुर्घटना में जान से हाथ न धो बैठे, इसके लिए कुछ करना चाहिए। बस इसके बाद से मनोज कुमार ने हेलमेट दान शुरू किया। ताकि किसी और परिवार को जवान बेटा नहीं खोना पड़े। वे अक्सर सड़क पर निकलते हैं। जो बाइक सवार हेलमेट नहीं पहने होते हैं, उन्हें वे मुफ्त में हेलमेट देते हैं। मनोज कुमार दो साल में अब तक 800 हेलमेट का दान कर चुके हैं। इस पुनीत काम में समाज के कई लोग उनकी मदद कर रहे हैं। 

मनोज ने बताया कि अक्सर सड़क पर देखता हूं कि युवक तेज रफ्तार से जा रहे हैं। हेलमेट भी नहीं लगाए हैं। तब उनको रोकते हैं। उसे समझाते हैं। अपने बेटे यश की कहानी बताकर हेलमेट लगाने के लिए प्रेरित करते हैं। उससे कहते हैं कि यदि बेटा हेलमेट लगाए होता तो शायद जिंदा होता। उनकी इस मुहिम से आज करीब 125 लोग जुड़ चुके है। उनके सहयोग से मनोज दो साल में करीब 800 हेलमेट बांट चुके हैं। उनकी गाड़ी में हमेशा एक हेलमेट रहता है। बेटे के मृत्यु की तिथि को हेलमेट  वितरण की तिथि के रूप  में मनाते हैं। 

दोस्तों के साथ बैठे थे तभी आई खबर : बेटे के बारे में बताते हुए मनोज की आंखों में आंसू भर आए। उन्होंने कहा कि घर से थोड़ी दूर पर कुछ दोस्तों के साथ बैठा था। तभी एक व्यक्ति ने बताया कि गली के पास ही एक्सीडेंट में एक लड़का जख्मी हो गया है। हम अपने दोस्तों के साथ वहां गए। देखा कि वह कोई नहीं मेरा अपना बेटा यश था। इस दुर्घटना में उसकी जान चली गई। बहुत कोशिश के बाद भी बेटे को नहीं बचा पाए। बेटा कभी भी बिना हेलमेट के नहीं चलता था। लेकिन उस दिन घर से पास ही कुछ काम से जाना था इस लिए ऐसे ही चला गया था।बेटे की याद में बनाई यश वी फार यू संस्था : बेटे की मौत के बाद लोगों को जागरूक करने का फैसला लिया। तय किया कि हेलमेट निश्शुल्क बांटेंगे। इस  मुहिम में दोस्तों ने भी साथ दिया। हम सात दोस्तों ने मिलकर यश वी फार यू नामक संस्था की नींव रखी। इसके बाद समाज के और लोगों को भी यह प्रयास अच्छा लगा और लोग जुड़ते गए। 

घर-घर जाकर महिलाओं को बताते हेलमेट का महत्व : मनोज ने चास में करीब दौ सो घरों में जाकर वहां रहने वालों को हेलमेट का महत्व बताया। महिलाओं को इसके लिए विशेष तौर पर जागरूक करते हैं। क्योंकि वे अपने पति, बच्चे और परिवार की जिम्मेदारी बखूबी निभाती हैं। बिना नाश्ता या खाने के वे उनको घर से बाहर नहीं निकलने देती। उनको समझाया कि हेलमेट के बिना घरवालों को बाहर न निकलने दें। मनोज की पूरी टीम सप्ताह में एक दिन घर-घर जाकर यह मुहिम चलाती है। 

chat bot
आपका साथी