Coal India: जेबीसीसीआइ-11 में 'नो एंट्री' से इंटक बेचैन, चेयरमैन से मिल बेरमो विधायक ने कोर्ट जाने की दी चेतावनी

इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन के अध्यक्ष कुमार जयमंगल सिंह व राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ के महामंत्री एके झा ने कोलकाता में कोल इंडिया अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक प्रमोद अग्रवाल से मुलाकात की और अपना दावा प्रस्तुत किया।

By MritunjayEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 10:51 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 10:51 AM (IST)
Coal India: जेबीसीसीआइ-11 में 'नो एंट्री' से इंटक बेचैन, चेयरमैन से मिल बेरमो विधायक ने कोर्ट जाने की दी चेतावनी
कोल इंडिया मुख्यालय कोलकाता ( फाइल फोटो)।

धनबाद, जेएनएन। जेबीसीसीआइ-11 में प्रतिनिधित्व को लेकर रविवार को परिस्थितियां तेजी से बदलीं। इंटक से संबद्ध इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन के अध्यक्ष कुमार जयमंगल ङ्क्षसह व राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ के महामंत्री एके झा ने कोलकाता में कोल इंडिया अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक प्रमोद अग्रवाल से मुलाकात की और अपना दावा प्रस्तुत किया। उनको बताया कि जब कोल इंडिया ने ही उन्हें चेकऑफ सिस्टम से कंपनी में 48,900 मजदूरों की सदस्यता की राशि सौंपी तो जेबीसीसीआइ-11 से कैसे बाहर रखा है। झा ने बताया- सदस्यता के मुद्दे पर ही प्रबंधन से बात की। प्रबंधन स्वयं मानता है कि कोल इंडिया का सबसे बड़ा श्रमिक संगठन इंटक है। लिहाजा उसे इंटक प्रतिनिधियों के लिए खाली सीटें सौंपनी चाहिए।

ब्रजेंद्र ने बढ़ाया तापमान : इधर राकोमसं के कार्यकारी अध्यक्ष व इंडियन नेशनल माइंस फेडरेशन के उपाध्यक्ष ब्रजेंद्र प्रसाद ङ्क्षसह ने ट््वीट कर जेबीसीसीआइ-11 के मुद्दे पर श्रमिक संगठनों का पारा चढ़ा दिया। उन्होंने दावा किया कि प्रबंधन व सरकार की राजनीति की वजह से इंटक को प्रतिनिधित्व के लिए कोलकाता हाई कोर्ट में जाना पड़ा है। यह भी लिखा कि फेडरेशन अध्यक्ष कुमार जयमंगल पूरे जोश से लगे हैं। इंटक से जुड़े श्रमिकों को जल्द ही खुशखबरी सुनने को मिलेगी।

जयमंगल ने किया इन्कार : हालांकि इसके तत्काल बाद जयमंगल ने इससे इन्कार किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने या फेडरेशन ने अभी किसी हाई कोर्ट में कोई अपील नहीं की है। अभी उससे पहले की प्रक्रिया की जा रही है। वे रणनीति नहीं खोलेंगे। एक सप्ताह के अंदर सबकुछ साफ हो जाएगा।

अदालत आखिरी उम्मीद : इधर एके झा ने बताया कि प्रबंधन से जो बातचीत हुई उसके बाद उन्हें आशा है कि अधिकार मिलेगा। अभी हमने प्रबंधन को समय दिया है। उसका सही निर्णय नहीं होता है तो कोलकाता हाई कोर्ट जाएंगे।

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