इटंक का हाल; खिसियानी बिल्ली खंभा नोंचे ! आंतरिक कलह में दूसरे को दोषी ठहरा रही INTUC
मंगलवार को कोलकाता हाई कोर्ट में इंटक के फेडरेशन इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स एसोसिएशन की ओर से वाद दायर किया गया। इसमें कोल इंडिया चेयरमैन सभी अनुषंगी कंपनियों के सीएमडी के साथ ही जेबीसीसीआइ-11 में शामिल चार केंद्रीय श्रमिक संगठनों को भी पार्टी बनाया गया है।
धनबाद, जेएनएन : मंगलवार को कोलकाता हाई कोर्ट में इंटक के फेडरेशन इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स एसोसिएशन की ओर से वाद दायर किया गया। इसमें कोल इंडिया चेयरमैन, सभी अनुषंगी कंपनियों के सीएमडी के साथ ही जेबीसीसीआइ-11 में शामिल चार केंद्रीय श्रमिक संगठनों को भी पार्टी बनाया गया है। इससे इन श्रमिक संगठनों में खासी नाराजगी है। कुछ श्रमिक संगठन फिलहाल इस पर चुप्पी साधे हुए हैं तो कुछ ने साफ कहा कि वे इसका संज्ञान लेने के मूड में नहीं। हालांकि कुछ करारा जवाब देने की रणनीति भी बना रहे हैं। संगठनों का कहना है कि इंटक खिसियानी बिल्ली की तरह खंभा नोंच रही है।
जेबीसीसीआइ-10 में भी बनाया था पार्टी :
एटक के लखन लाल महतो का कहना है कि इंटक ने जेबीसीसीआइ-10 में हुए मुकदमे में भी अन्य श्रमिक संगठनों को पार्टी बनाया था। उस दौरान हमने संज्ञान नहीं लिया। इस बार भी नहीं लेंगे। उनकी लड़ाई में हमें पैर फंसाने की हमारी इच्छा नहीं है। उन्हें प्रबंधन से लड़ना चाहिए, सरकार से लड़ना चाहिए। अपने अंदर कलह शांत नहीं हो रहा तो दूसरों को इसमें घसीट रहे। इससे उन्हें कुछ हासिल नहीं होने वाला। अभी केस रजिस्टर्ड हुआ है। यह स्वीकृत होगा या नहीं यह भी तय नहीं है। पहले बहस तो हो।
करारा जवाब मिलेगा :
इधर सीटू के जेबीसीसीआइ सदस्य डीडी रामानंदन ने बताया कि जब पार्टी बनाया है तो मुकदमा लड़ा जाएगा। हमारे भी वकील कोर्ट में रहेंगे। उन्हें जवाब दिया जाएगा। संयुक्त मांगपत्र में इंटक की राय नहीं लेने के सवाल पर रामानंदन का कहना था कि जो ऊहापोह कोल इंडिया के सामने है वही हमारे पास भी है। चार इंटक में हम किसे बुलाएं और किसे नहीं। उन्हें पहले अपना विवाद सुलझाना चाहिए। वे हमपर सरकार से मिले होने का आरोप लगा रहे, कोल इंडिया पर सरकार के साजिश के तहत काम करने का आरोप लगा रहे। इससे उन्हें कुछ हासिल होने वाला नहीं। हमारी दिली इच्छा है कि इंटक शामिल हो। चारों यूनियनों ने इस दिशा में ईमानदारी से प्रयास भी किया। अब उनका सिरफुटौव्वल ही नहीं रुक रहा तो कोई क्या कर सकता है। इंटक का यह कदम बेमतलब का है और विवाद बढ़ाने वाला है।
अनलॉक नहीं होने से बैठक की संभावनाओं पर वज्रपात :
सभी श्रमिक संगठन इस उम्मीद में थे कि झारखंड सरकार की ओर से अनलॉक-4 की घोषणा की जाएगी। कुछ छूट दिया जाएगा ताकि रांची में जेबीसीसीआइ-11 की बैठक करायी जा सके। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। पहली जुलाई तक के लिए लॉकडाउन की यथास्थिति बनाए रखी गई। इससे सारी उम्मीदों पर वज्रपात हो गया है। सीटू नेता डीडी रामानंदन के मुताबिक प्रबंधन व यूनियन दोनों की तैयारी पूरी है। यदि ढील दी गई होती तो जून में ही पहली बैठक हो जाती। अब जुलाई का इंतजार है। पश्चिम बंगाल में दो जुलाई तक लॉकडाउन है। कोलकाता में भी बैठक नहीं हो सकती।