JBCCI-11 में नो एंट्री पर भड़के इंटक सचिव ललन चाैबे, सभी मजदूर संगठनों को बताया भारतीय मजदूर संघ का पिछलग्गू
काेल इंडिया में सबसे बड़ा श्रमिक संगठन इंटक ही है। उसे साजिशन बाहर कर दिया गया है। यह सरकार की साजिश के तहत की गई है ताकि उन्हें अपनी बात मनवाने में काेई अड़चन न रहे। काेल इंडिया वेतन बढ़ाेतरी का अपना एजेंडा तैयार कर चुकी है।
धनबाद, जेएनएन। जेबीसीसीआइ-११ में जाे भी संगठन शामिल हैं सभी भारतीय मजदूर संघ के पिछलग्गू बन गए हैं। भारतीय मजदूर संघ जाे कहती है सभी संगठन उसमें सिर्फ हामी भरते हैं। इनसे जेबीसीसीआइ में कुछ नहीं हाेने वाला। कहना है इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) के राष्ट्रीय सचिव ललन चाैबे का। चाैबे के मुताबिक इस बार जेबीसीसीआइ-११ में सरकार की मंशा ही नहीं है कि किसी तरह की बहस हाे। सबकुछ हड़बड़ी में किया जा रहा है। यही वजह है कि अभी तक एक भी बैठक जेबीसीसीआइ-११ की हुई नहीं और संगठनों ने कामन एजेंडा काेल इंडिया काे साैंप दिया। कायदे से ताे यह तब साैंपा जाना था जब बैठक शुरू हाेती। अभी ताे गठन से पहले ही संगठनाें ने बैठक कर सब कुछ तय कर लिया है।
केंद्र सरकार की साजिश
चाैबे के मुताबिक आज भी काेल इंडिया में सबसे बड़ा श्रमिक संगठन इंटक ही है। उसे साजिशन बाहर कर दिया गया है। यह सरकार की साजिश के तहत की गई है ताकि उन्हें अपनी बात मनवाने में काेई अड़चन न रहे। काेल इंडिया वेतन बढ़ाेतरी का अपना एजेंडा तैयार कर चुकी है। उसे श्रमिक संगठनाें के बीच बैठक में रखा जाएगा और बीएमएस पहले उस पर हस्ताभर करेगी फिर हिंद मजदूर सभा, एटक व सीटू के सदस्य उस पर हस्ताक्षर करेंगे मामला खत्म। मजदूराें का ठगा जाना तय है। यह सबकुछ काेल इंडस्ट्री में प्रबंधन व निजी कंपनियाें के वर्चस्व काे स्थापित करने का हथकंडा मात्र है।
त्रिपाठी पहले यह ताे बताएं कि प्रमुख वह हैं या फाैजी
केके तिवारी गुट के अध्यक्ष केएन त्रिपाठी की ओर से एकता की पहल काे नकारते हुए चाैबे ने कहा कि पहले त्रिपाठी यह ताे साबित करें कि वही केके तिवारी गुट के अध्यक्ष हैं। अभी ताे उनका ही पद संदिग्ध है। वजह यह कि रामेश्वर सिंह फाैजी ने कुछ दिनाे पहले दावा किया था कि त्रिपाठी काे उन्हाेंने ही अध्यक्ष मनाेनीत किया था। उन्हाेंने त्रिपाठी काे विवाद हाेने पर निकालने का भी पत्र जारी किया था। त्रिपाठी का गुट स्वयं विवाद ग्रस्त है ऐसे में वे पहले अपना विवाद सुलझाएं उसके बाद अन्य गुटाें की चिंता करें। चाैबे के मुताबिक इंटक निबंधित संस्था है। अदालताें का निर्णय भी हाे चुका है। सरकार की साजिश की वजह से काेल इंडिया मामले काे लटकाए हुए है। हम इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं और जल्द ही परिणाम सामने आएगा। उन्हाेंने कहा कि इंटक एक है और अन्य किसी गुट का काेई अस्तित्व नहीं है। जाे अलग-अलग गुट की बात कह रहे चाहे वह केके तिवारी हों या दुबे सभी फर्जी हैं।