कोल इंडिया में पदोन्नति के कैडर स्कीम में बदलाव पर आदोलन करेगी इनमोसा Dhanbad News
ओवरमैन को अधिकारी वर्ग में पदोन्नति के विषय पर गहरी साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा कि कोल इंडिया प्रबंधन ने माइनिंग सुपरवाइजर्स को गैर-अधिकारी से अधिकारी वर्ग में पदोन्नति पर जिस तरह का कैडर पॉलिसी का सारांश वर्णित कर लागू करने का विचार कर रही है।
धनबाद, जेएनएन : इनमोसा के उप महामंत्री कुश कुमार सिंह के नेतृत्व में बीसीसीएल इनमोसा सदस्यों ने कोल इंडिया की ओर से गैर-अधिकारी से अधिकारी वर्ग में पदोन्नति के कैडर स्कीम में संशोधन करने पर रोष प्रकट किया।
कुश कुमार सिंह ने कहा कि कोल इंडिया प्रबंधन माइनिंग सरदार एवं ओवरमैन को अधिकारी वर्ग में पदोन्नति के विषय पर गहरी साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा कि कोल इंडिया प्रबंधन ने माइनिंग सुपरवाइजर्स को गैर-अधिकारी से अधिकारी वर्ग में पदोन्नति पर जिस तरह का कैडर पॉलिसी का सारांश वर्णित कर लागू करने का विचार कर रही है। यह किसी भी सूरत में इनमोसा के हित में नहीं है। कुश कुमार ने कहा कि अगर प्रबंधन यह पॉलिसी पारित कर देती है तो माइनिंग सुपरवाइजर को अधिकारी वर्ग में पदोन्नति ना के बराबर मिलेगी।
उन्होंने कहा कि माइनिंग सुपरवाइजर कोयला उत्पादन में फ्रंट लाइन मैनेजर कहलाते हैं और आज इस कोविड-19 महामारी में अपनी जान की बाजी लगाकर वॉरियर्स की तरह देश के लिए निर्बाध ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए लगातार कोयला उत्पादन में लगे हुए हैं। पूर्व में 40 फीसद डिपार्टमेंटल वैकेंसी को घटाकर 35 फीसद कर दिया गया है और इस बार के कैडर संशोधन में सब कुछ समाप्त हो जाएगा। कर्मचारियों को अधिकारी बनने के लिए स्नातक होने पर 15 वर्ष बाद या डिप्लोमा होने पर 18 वर्ष बाद ही आवेदन का अधिकार मिलेगा। नन टेक्निकल एवम् टेक्निकल माइनिंग सुपरवाइजर को पूर्व में बिना सेकंड क्लास सर्टिफिकेट के भी अधिकारी बनने का मौका मिलता था पर अब अधिकारी बनने की सारी संभावनाएं समाप्त हो जाएंगी। इनमोसा इसका पुरजोर विरोध करता है। उच्च प्रबंधन को आगाह करता है कि अगर प्रबंधन मनमानी करती है तो इनमोसा आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
कुश कुमार सिंह ने कोल इंडिया चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल से अपील की कि इस विषय को गंभीरता से लेते हुए तत्काल प्रभाव से इसे स्थगित किया जाए।
इस दौरान एमपी चौहान, अशोक कनौजिया , विजय यादव, नवनीत सिंह, पार्थ मंडल, शिव शंकर महतो, बीगु साव, आनंद मोरिया, अभिलेख प्रसाद, शाहिद अनवर, उमाकांत राय आदि ने भी विरोध जाहिर किया।