Cyber Crime Hub Jamtara: हैलो...थाने से पुलिस छापेमारी को निकल रही है...सावधान हो जाओ !

पुलिस की टीम अपने मुखबिरों की सूचना पर छापेमारी को तो निकलती है लेकिन इन शातिरों के मुखबिर पुलिस तंत्र से कई बार कहीं बेहतर निकलता है। इनके मुखबिर फोन पर ही इस बात की जानकारी दे देते हैं कि पुलिस की टीम छापेमारी को निकल रही है।

By MritunjayEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 11:01 AM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 11:01 AM (IST)
Cyber Crime Hub Jamtara: हैलो...थाने से पुलिस छापेमारी को निकल रही है...सावधान हो जाओ !
साइबर अपराध से होती जामताड़ा की पहचान ( प्रतीकात्मक फोटो)।

कौशल सिंह, जामताड़ा। हैलो...थाने से पुलिस की टीम छापेमारी के लिए निकल रही है...सावधान हो जाओ! जी हां, ऐसे काल यहां आए दिन साइबर के शातिरों की मुखबिरी करने वालों के आते-जाते रहते हैं। यह ठिकाना है, साइबर क्राइम का कैपिटल कहे जाने वाला जामताड़ा। साइबर अपराध के लिए कुख्यात जामताड़ा में इन शातिरों और पुलिस के बीच तूं डाल-डाल मैं पात-पात का खेल चलता रहता है।

पुलिस की टीम अपने मुखबिरों की सूचना पर छापेमारी को तो निकलती है, लेकिन इन शातिरों के मुखबिर पुलिस तंत्र से कई बार कहीं बेहतर निकलता है। इनके मुखबिर फोन पर ही इन शातिरों को इस बात की जानकारी दे देते हैं, कि पुलिस की टीम छापेमारी को निकल रही है, सावधान हो जाओ या अपना ठिकाना बदल लो। ऐसे में छापेमारी को लाव-लस्कर लेकर पहुंची पुलिस टीम को अक्सर खाली हाथ ही लौटना पड़ता है। इतना ही नहीं, सूत्रों के मानें तो पुलिस के थानों के आसपास भी इनकी मौजूदगी रहती है और पुलिस टीम के पहुंचने से पहले ही शातिर आसानी से सतर्क हो जाते हैं।

गांव के बुजुर्ग और चौराहों पर मौजूद छोटे दुकानदार निभाते हैं मुखबिर की भूमिका

साइबर क्राइम करनेवाले शातिरों का पैसे के बलबूते सूचना तंत्र इस कदर मजबूत हो चुका है कि गांव की गलियों से लेकर शहर के कोने-कोने तक इनके मुखबिरों की आवाजाही आसान हो जाती है। ज्यादातर मामलों में गांव के बुजुर्ग और गांव के आसपास के छोटे और चलते फिरते दुकानदार इनके झांसे और लोभ में पड़ कर इनकी मुखबिर बन जाते हैं। फिर इन तक पुलिस के आने की सूचना आसानी से पहुंच जाती है। गांव की गलियों, चौक चौराहे, चाय-पान की दुकानों पर ठगों के मुखबिर तैनात रहते हैं। ये पुलिस की गतिविधियों की जानकारी शातिरों तक पहुंचाते हैं। गांव की दुकानों और चौराहों पर बैठनेवाले कई छोटे और चलते-फिरते फेरी वालों और बुजुर्गों को भी इन साइबर अपराधियों ने मोबाइल तक मुहैया करवा रखा है। जिससे की पुलिस के आने की सूचना इन्हें पलभर में ही मिल जाए। इतना ही नहीं इन मुखबिरों को पुलिस की पल-पल की खबर देने के एवज में साइबर अपराध करनेवाले शातिर महीने में खर्चा-पानी के नाम पर पैसे देते रहते हैं। ताकि इनका सूचना तंत्र मजबूत बना रहे।

पुलिस की टीम लगातार इनके काल डिटेल्स व अन्य सूचना के मार्फत साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसने में जुटी रहती है, लेकिन पुलिस हर आम-खास को शक की नजर से नहीं देख सकती है। इन्हीं बातों का फायदा कई बार इन शातिरों को मिलता है और पुलिस के आने की सूचना इन्हें इनके मुखबिरों से मिल जाती है। आज की तारीख में हर किसी के पास मोबाइल उपलब्ध है, अब ऐसे में कौन सी सूचना किस तक पहुंच रही यह पता करना मुमकिन नहीं होता।

-सुरेश प्रसाद, साइबर थाना प्रभारी

chat bot
आपका साथी