वासेपुर के बुजुर्ग को बेटा नहीं; मजहब की दीवार तोड़ चार बेटों ने दिया कंधा Dhanbad News
वासेपुर के आरा मोड़ में रहने वाले 75 साल के मधुसूदन चक्रवर्ती जिंदगी की जंग हार गए। कोरोना संदिग्ध होने की वजह से उन्हें कंधा देने ना तो रिश्तेदार आए और ना ही पड़ोसी। परिवार में भी सिर्फ पत्नी और एक बेटी ही है।
धनबाद, जेएनएन : वासेपुर के आरा मोड़ में रहने वाले 75 साल के मधुसूदन चक्रवर्ती जिंदगी की जंग हार गए। कोरोना संदिग्ध होने की वजह से उन्हें कंधा देने ना तो रिश्तेदार आए और ना ही पड़ोसी। परिवार में भी सिर्फ पत्नी और एक बेटी ही है। घर वाले सोच रहे थे कि आखिर शव का अंतिम संस्कार कैसे होगा। उनका दुख बांटने युवाओं की टोली पहुंच गई। युवाओं में अंकित गढ़िया, रवि शेखर, चतुर्भुज कुमार, बंटी विश्वकर्मा के साथ शाहिद अंसारी भी था जिन्होंने मजहब की दीवार तोड़ उस बुजुर्ग को एक पिता की तरह कांधा दिया। चारों ने मिलकर अर्थी सजाई और उन्हें कंधा दिया। इसके बाद मारवाड़ी यूथ ब्रिगेड के मुक्ति वाहन से शव को श्मशान घाट तक ले गए जहां रस्मो रिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार किया।
युवाओं ने कहा कि समाज को आज एक साथ मिलकर कदम बढ़ाने की जरूरत है। अपनों से दूर होने के बजाय उन्हें अपना मान कर मदद कीजिए। कहा कि शहर में ऐसा कोई भी परिवार है जिन्हें कंधा देने के लिए अपने नहीं मिल रहे हैं। उनके लिए परिवार बनकर कंधा देने को तैयार हैं। सद्गति के सारथी बने युवाओं की पूरे शहर में तारीफ हो रही है।