लिलोरीपथरा बस्ती के बंद घर में तेज आवाज के साथ चानक का मुंह खुला

संस लोदना-झरिया बीसीसीएल लोदना क्षेत्र के कुजामा कोलियरी अंतर्गत अग्नि व भू धंसान प्रभावित लिलोर

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 10:31 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 10:31 PM (IST)
लिलोरीपथरा बस्ती के बंद घर में तेज आवाज के साथ चानक का मुंह खुला
लिलोरीपथरा बस्ती के बंद घर में तेज आवाज के साथ चानक का मुंह खुला

संस, लोदना-झरिया : बीसीसीएल लोदना क्षेत्र के कुजामा कोलियरी अंतर्गत अग्नि व भू धंसान प्रभावित लिलोरीपथरा बस्ती में रहनेवाले सुरेंद्र पांडेय के बंद घर में रविवार की शाम जोरदार आवाज के साथ 20 फीट वर्ग का गोफ बन गया। उसके नीचे कभी चानक हुआ करता था, जिसका मुहाना इससे खुल गया।

घर बंद रहने व लोगों के धनबाद में रहने के कारण जानमाल का नुकसान नहीं हुआ। घटना के बाद से बस्ती में रहनेवाले सैकड़ों लोगों में भय समा गया है। स्थानीय लोगों ने कहा कि जहां घटना हुई है, पहले वहां कोलियरी का चानक था। कुछ लोगों ने इसे हवा चानक बताया। कुजामा कोलियरी के माइनिग मैन मौके पर पहुंचकर छानबीन की। झरिया के सीओ प्रमेश कुशवाहा के निर्देश पर राजस्व उप निरीक्षक विपिन उपाध्याय भी मौके पर पहुंचकर लोगों से जानकारी ली। कुजामा प्रबंधन कई साल पहले क्षेत्र को अग्नि व भू धंसान प्रभावित बताकर बस्ती खाली करने का नोटिस दे चुका है। दशकों से यहां रह रहे लोगों का पुनर्वास नहीं किए जाने से यहां जान हथेली पर रखकर रहने को मजबूर हैं।

बस्ती की एक बच्ची खेलने के दौरान सुरेंद्र के बंद आवास के सामने गिर पड़ी। बच्ची को उठाने के लिए उसकी मां जब पहुंची तो घटना की जानकारी हुई। चानक का मुंह खुला देखकर शोर मचाने लगी। आसपास के लोग जुट गए। सुरेंद्र के परिवारवालों को सूचना दी। सुरेंद्र की मां, पत्नी व उनका पुत्र मौके पर पहुंचकर घर का दरवाजा खोला। कुजामा कोलियरी के ओवरमैन व माइनिग सरदार मंसूर अली व रंजीत राम ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। गहरे चानक को चारों ओर से ईंट से गाथनी किया गया। इस तरह की गाथनी चानक की ही होती है। प्रबंधन का कहना है कि पूर्व में चानक की भराई कर ऊपर से इसे बंद कर दिया गया होगा। चानक के नीचे से पानी के कटाव के कारण चानक का मुंह खुल गया। घटना स्थल से करीब दो सौ मीटर की दूरी पर एक और चानक बना है। इससे पहले कोयला निकाला जाता था।

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घर में परिवार के नहीं रहने से बड़ा हादसा टला :

सुरेंद्र पांडेय पुजारी हैं। मंदिर व आवासों में पूजा पाठ करवाते हैं। कुछ वर्ष पूर्व धैया में नया घर बनाया है। परिवार के साथ वहां भी रहते हैं। पत्नी अष्टमा देवी ने बताया एक दिन पहले ही पति के साथ धैया आए थे। जिस जगह पर घटना हुई, वहीं कुर्सी लगाकर बैठते थे। कुर्सी, चूल्हा समेत कई सामान नीचे चला गया। घर में रहते तो बड़ा हादसा हो सकता था। सुरेंद्र की 90 वर्षीय मां रेखा देवी ने बताया कि करीब 70 वर्ष पूर्व इसी आवास में आए थे। वृद्ध मां की आंखें यह कहते हुए भर आई कि हमारे परिवार को भगवान ने बचा लिया।

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आसपास बड़ी आबादी, दहशत में लोग

घटनास्थल के आसपास बड़ी संख्या में असंगठित मजदूर रहते हैं। पास में ही मां लिलोरी का मंदिर है। घटना के बाद से लोगों में भय व्याप्त है। प्रबंधन का कहना है कि यहां के लोगों को पूर्व में नोटिस दिया गया है। बावजूद लोग यहां से नहीं हट रहे हैं। घटना वाले स्थान के पास लोग आते-जाते भी हैं। कई लोग आसपास रहते हैं। यह खतरनाक क्षेत्र है। यहां रहना ठीक नहीं है। सुरेंद्र के बगल में रहने वाले अवध किशोर पांडेय, सुमित्रा देवी व अन्य ने बताया कि हमलोग आवास से बाहर निकल कर रह रहे है। घर के अंदर जाने से अब डर लग रहा है।

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जेआरडीए की ओर से किया गया आवास आवंटित

लिलोरीपथरा के करीब 124 लोगों को जेआरडीए की ओर से बेलगढिया में आवास आवंटन किया गया है। वहां पर घर छोटा होने और कोई रोजगार का साधन नहीं होने से लोगों ने वहां जाने से इंकार कर दिया। प्रशासन व प्रबंधन क्षेत्र को खतरनाक बता कर खाली कराने का लगातार दबाव बना रहा है। लोगों का कहना है कि बस्ती के लोगों को एक साथ एक जगह बसाकर रोजगार दें। तभी हमलोग आवास खाली करेंगे।

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लिलोरीपथरा बस्ती अग्नि प्रभावित है। लगातार नोटिस देने के बाद भी लोग अवैध तरीके से रहे हैं। कई लोगों को जेआरडीए की ओर से आवास आवंटन किया गया है। लोग वहां नहीं जा रहे हैं। जान जोखिम में डालकर यहां रहना ठीक नहीं है। बस्ती को हर हाल में खाली करना होगा। नक्शा देखने के बाद ही स्प्ष्ट हो पाएगा कि वहां पर चानक या कुछ ओर था।

- एम कुंडू, परियोजना पदाधिकारी कुजामा कोलियरी।

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