Dumka के मलूटी में मौलीछा की आज्ञा से होती है काली की पूजा

मलूटी में तारापीठ की मां तारा की बड़ी बहन मौलीक्षा से आदेश लेने के बाद ही मलूटी वासी दीपावली के दिन काली पूजा का अनुष्ठान करते हैं। मंत्र के साथ तंत्र की साधना भूमि मलूटी में काली पूजा की परंपरा अनूठी है।

By Atul SinghEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 05:41 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 06:08 PM (IST)
Dumka के मलूटी में मौलीछा की आज्ञा से होती है काली की पूजा
मझौली की आज्ञा लेकर होती है काली की पूजा। (जागरण)

राजीव, दुमका: ऐतिहासिक मंदिरों का गांव मलूटी में तारापीठ की मां तारा की बड़ी बहन मौलीक्षा से आदेश लेने के बाद ही मलूटीवासी दीपावली के दिन काली पूजा का  अनुष्ठान करते हैं। मंत्र के साथ तंत्र की साधना भूमि मलूटी में काली पूजा की परंपरा अनूठी है। पूरे मलूटी गांव में आठ मंडपों में काली की प्रतिमा पूरे विधि-विधान से स्थापित की जाती है।

जिसमें राजार बाड़ी में दो, मध्यम बाड़ी में एक, सिकीड़ बाडी में दो, छय तरफ में एक, चौठी बाड़ी में एक और श्मशान में एक काली की प्रतिमा स्थापित की जाती है। यहां काली पूजा के दौरान तारापीठ समेत कई इलाकों से तांत्रिक भी साधना के लिए पहुंचते हैं। अधिकांश तांत्रिकों का जमावड़ा श्मशान काली मंदिर में ही होता है।

एओजा अनुष्ठान के बाद होती है आतिशबाजी

परंपरा के मुताबिक काली पूजा के दिन व्रतधारी व पूरे मलूटी गांव के ग्रामीण ढोल-ढाक के साथ शाम होते ही मां मौलीक्षा की मंदिर में पहुंचकर एओजा पूजन अनुष्ठान करते हैं। इस अनुष्ठान के जरिए ग्रामीण मां मौलीक्षा से काली पूजन की अनुमति लेते हैं। इसके बाद मंदिर से सटे काली मंदिर के प्रांगण में जमकर आतिशबाजी की जाती है जिसे देखने चके लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु व ग्रामीणों की भीड़ जुटती है। इस अनुष्ठान के बाद सभी काली मंडपों में मां काली की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके उपरांत महानिशा की बेला में काली की पूजा प्रारंभ की जाती है। पूजन के उपरांत बलि देने की परंपरा है। यहां छय तरफ काली मंडप पर भैंसा की बलि आज भी दी जाती है जबकि शेष हिस्सों में पाठा की बलि पड़ती है। जबकि सुबह छह बजे विधि-विधान से मां काली का सांकेतिक विसर्जन किया जाता है। इसी दिन शाम में सभी प्रतिमाओं को मां मौलीक्षा के मंदिर के समक्ष लाकर रखा जाता है। इसके बाद श्रद्धालु व ग्रामीण मां को श्रद्धा से प्रणाम कर अपने-अपने तालाबों में इसका विसर्जन करते हैं।

14 अंक को माना गया है शुभ

मलूटी में काली पूजा में 14 अंक को शुभ माना गया है। यही कारण है कि काली पूजा के दिन मंडपों में 14 दीप जलाने की परंपरा है। इसके अलावा 14 प्रकार की साग को एक साथ बनाकर मां को भोग लगाया जाता है। इसके अलावा प्रसाद के रूप में भात, दाल, सब्जी, मछली व मांस समेत कई तरह के व्यंजन को शामिल किया जाता है।

वर्जन

मलूटी में दीपावली के दिन काली पूजा करने की परंपरा है। गांव के विभिन्न हिस्सों में आठ काली की प्रतिमा स्थापित होती है। यहां काली मां की पूजा के लिए मां मौलीक्षा से आज्ञा लेने का विधान है जिसे एओजा कहते हैं।

कुमुदवरण राय, शिक्षक व ग्रामीण, मलूटी

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