आइआइटी की तकनीक बताएगी वाहनों के मेंटेनेंस का आ गया टाइम

आइआइटी खड़गपुर के पूर्व छात्रों ने ऐसी तकनीक विकसित की है जो वाहनों के मेंटेनेंस के लिए पहले ही आगाह कर देगी। उन्होंने इसे स्टार्टअप का रूप दिया है। इस तकनीक को खनन उद्योग में ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए खास तौर पर विकसित किया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 06:22 AM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 06:22 AM (IST)
आइआइटी की तकनीक बताएगी वाहनों के मेंटेनेंस का आ गया टाइम
आइआइटी की तकनीक बताएगी वाहनों के मेंटेनेंस का आ गया टाइम

धनबाद : आइआइटी खड़गपुर के पूर्व छात्रों ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जो वाहनों के मेंटेनेंस के लिए पहले ही आगाह कर देगी। उन्होंने इसे स्टार्टअप का रूप दिया है। इस तकनीक को खनन उद्योग में ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए खास तौर पर विकसित किया गया है। खनन उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले बड़े वाहनों के लिए एक विशेष प्रकार के सेंसर का आविष्कार किया गया है। छात्रों की ओर से विकसित इस तकनीक के लिए शुरू हुए स्टार्टअप का नाम बाइडल है। छात्रों के पास इस सेंसर का पेटेंट भी है। आर्टिफिसिएल इंटेलिजेंस पर आधारित इस सेंसर की मदद से खदानों में वाहन दुर्घटना की रोकथाम में मदद मिल सकेगी। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि सेंसर यह भी बताएगा कि वाहनों को कब मेंटेनेंस कराना है। बाइडल के साथ ही कुल पांच स्टार्टअप कंपनियों के साथ शनिवार को एमओयू होगा। रांची के होटल रेडिसन ब्लू में आयोजित कार्यक्रम के दौरान एमओयू पर हस्ताक्षर होगा। इस एमओयू पर टेक्समिन और इंडिया चैंबर आफ कामर्स की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित सेमिनार के दौरान हस्ताक्षर किया जाएगा। सेमिनार का उद्घाटन राज्यपाल रमेश बैस करेंगे। आइआइटी के निदेशक प्रो. राजीव शेखर भी शामिल होंगे। साथ ही सीएमपीडीआइएल, यूरेनियन कार्पोरेशन आफ इंडिया के सीएमडी, मेकान, सीसीएल समेत देशभर कई शीर्ष कंपनियों के सीईओ भी मौजूद रहेंगे।

टेक्समिन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर व आइआइटी आइएसएम में डीन इनोवेशन प्रो. धीरज कुमार ने बताया कि इन स्टार्टअप का चयन कई दौर की चयन प्रक्रिया के बाद किया गया है। सभी स्टार्टअप खनन उद्योग में अलग अलग क्षेत्र में आर्टिफिसियल इंटेलिजेंसी को बढ़ावा देंगे। सभी स्टार्टअप की स्थापना आइआइटियन ने की है। खनन क्षेत्र में काम करने वाले पांच स्टार्टअप को 3.5 करोड़ का फंड मिलेगा। यह रकम आइआइटी आइएसएम की ओर से स्थापित टेक्नोलाजी इनोवेशन हब-टेक्समिन की ओर से दी जाएगी। इन स्टार्टअप के साथ होगा एमओयू :

खनिज की गुणवत्ता की जांच करेगा क्वारा लैब

धनबाद : आइआइटी खड़गपुर के पूर्व छात्रों ने खनिज की गुणवत्ता की जांच और अधिक सुगम और पारदर्शी बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित तकनीक विकसित की है। इस तकनीक में गामा रेडियशन बेस्ड सेंसर की मदद ली जाएगी। इससे खनिज के खदानों से निकलते ही कंवेयर बेल्ट पर ही उनके वाहनों पर लोड होने से पहले गुणवत्ता को बता देगा। इस तकनीक की मदद से खनिजों के सैंपल को लैब में ले जाने की जरूरत नहीं होगी। इस तकनीक को भी बतौर स्टार्टअप शुरू किया जा रहा है। स्टार्टअप का नाम क्वारा लैब है। आइआइटी रूड़की के छात्रों ने विकसित किया पेटेंट रिसर्च एनालिटिक्स स्टार्टअप :

धनबाद : इंक्यूबिग आइआइटी रुड़की के पूर्व छात्रों की ओर से स्थापित स्टार्टअप है। इसे पेटेंट रिसर्च एनालिटिक्स स्टार्टअप के तौर पर स्थापित किया गया है। इस स्टार्टअप ने आर्टिफिशियल इंटलेलिजेंस पर आधारित ऐसी तकनीक विकसित किया है, जो दूसरे क्षेत्र के पेटेंट का एलगरिदम तैयार करता है। उस आविष्कार की उपयोगिता की जांच करता है। अगर यह आविष्कार या तकनीक खनन उद्योग में उपयोग होने के लायक होता है तो इसी आधार पर खनन उद्योग के लिए नई तकनीक विकसित कर सकता है। खनन उद्योगों में खराब मौसम से होनेवाले नुकसान पहले ही बता देगा क्लाइमेट-बी

- आइआइटी खड़गपुर और कनाडा विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों ने विकसित की तकनीक

धनबाद : क्लाइमेट बी स्टार्टअप की स्थापना आइआइटी खड़गपुर और कनाडा के विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों ने की है। इस तकनीक से बड़े खनन उद्योगों में खराब मौसम से होने वाले संभावित नुकसान का पहले ही मूल्यांकन किया जा सकता है। स्टार्टअप खास तौर से फ्लड यानी बाढ़ माडल पर काम रहा है। इस माडल की मदद से उद्योगों को बाढ़ से होने वाले नुकसान काफी हद तक बचाया जा सकेगा। तेल व प्राकृतिक गैस खनन-भंडारण में मदद करेगी आइआइटी आइएसएम छात्रों की तकनीक

- पूर्ववर्ती छात्रों ने शुरू किया स्टार्टअप डाइसलाइटिक, कार्बन डाइआक्साइड की मदद से पेट्रोलियम के दोहन में मिल सकेगी मदद

धनबाद : आइआइटी आइएसएम के पूर्व छात्रों की ओर से विकसित तकनीक जहां तेल और प्राकृतिक गैस खनन और भंडारण में मददगार होगी, वहीं इस तकनीक की मदद से तेल व प्राकृतिक गैस के खनन के समय ही इससे निकलने वाले कार्बन डाइआक्साइड अलग कर स्टोर किया जा सकता है। स्टोर किए गए कार्बन डाइआक्साइड की मदद से पेट्रोलियम के दोहन में मदद लिया जा सकता है। आइआइटी आइएसएम छात्रों ने इस तकनीक को स्टार्टअप के तौर पर शुरू करने की योजना बनाई है। इसका नाम डाइसलाइटिक रखा गया गया है। शनिवार को रांची में इसके लिए एमओयू पर हस्ताक्षर होगा।

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