आइआइटी आइएसएम में देखा था ख्वाब, हकीकत बनाने जा रहे इसरो

धनबाद आइआइटी आइएसएम से एमटेक की पढ़ाई के दौरान मैंने जिस प्रोजेक्ट के लिए काम किया था। वह विमान और अंतरिक्ष यान से संबंधित था। एक तरह से वह हवाई जहाज उपग्रह रॉकेट या अंतरिक्ष यान की प्रारंभिक पढ़ाई थी। अब इसरो से जुड़ने से इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा काम करने और अनुभव हासिल करने का अवसर मिलेगा। देखा जाए तो आइआइटी में पढ़ाई के दौरान जो सपने देखे थे वह अब सच होने जैसा लग रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 06:14 AM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 06:14 AM (IST)
आइआइटी आइएसएम में देखा था ख्वाब, हकीकत बनाने जा रहे इसरो
आइआइटी आइएसएम में देखा था ख्वाब, हकीकत बनाने जा रहे इसरो

जागरण संवाददाता, धनबाद : आइआइटी आइएसएम से एमटेक की पढ़ाई के दौरान मैंने जिस प्रोजेक्ट के लिए काम किया था। वह विमान और अंतरिक्ष यान से संबंधित था। एक तरह से वह हवाई जहाज, उपग्रह, रॉकेट या अंतरिक्ष यान की प्रारंभिक पढ़ाई थी। अब इसरो से जुड़ने से इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा काम करने और अनुभव हासिल करने का अवसर मिलेगा। देखा जाए तो आइआइटी में पढ़ाई के दौरान जो सपने देखे थे, वह अब सच होने जैसा लग रहा है। यह कहना है सरायढेला के विकास नगर में रहने वाले आशुतोष कुमार का, जिन्हें इसरो से बुलावा आया है। इसरो में रेफ्रिजेरेशन एंड एयर कंडिशनिग में ऑल इंडिया रैंक वन लानेवाले आशुतोष का चयन बतौर विज्ञानी इसरो में हुआ है। आशुतोष अभी रेलवे में जूनियर इंजीनियर के तौर पर चयनित हैं। रक्षा मंत्रालय से भी ऑफर लेटर आ गया है। लेकिन आशुतोष ने अब इसरो से जुड़ने का मनाया है।

आशुतोष ने 10वीं डिनोबिली सीएमआरआइ और 12वीं दून पब्लिक स्कूल से की। इसके बाद बीआइटी मेसरा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग किया। पिता चंद्र भूषण सिंह धनबाद में रेलवे के मेल-एक्सप्रेस गार्ड के पद पर पदस्थ हैं। मां रेणु देवी गृहिणी हैं। आशुतोष यूपीएससी की तैयारी भी कर रहे हैं। आशुतोष बताते हैं कि उनके दादा चाहते थे कि मैं बड़ा होकर विज्ञानी बनूं। दादा के सपने को हकीकत बनाने की हसरत को मुझे शुरू से ही रही है। अब इसरो से आए बुलावा ने मेरे और दादा जी के ख्वाब को हकीकत में बदलने का मौका दे दिया है।

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