आइआइटी धनबाद ने डीआरडीओ के साथ मिलकर बनाया माइक्रो इलेक्ट्रोकेमिकल डिस्चार्ज मशीन
आइआइटी आइएसएम ने एक और बड़ी को अपने नाम कर लिया है। इस बार माइक्रो इलेक्ट्रोकेमिकल डिस्चार्ज मशीन को स्वदेशी रूप से विकसित किया है।
धनबाद : आइआइटी आइएसएम ने एक और बड़ी को अपने नाम कर लिया है। इस बार माइक्रो इलेक्ट्रोकेमिकल डिस्चार्ज मशीन को स्वदेशी रूप से विकसित किया है। आइआइटी धनबाद के वैज्ञानिकों ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञनिकों के साथ मिल कर माइक्रो इलेक्ट्रोकेमिकल डिस्चार्ज मशीन विकसित किया है। इस मशीन को भारतीय पेटेंट भी प्रदान किया गया है। डीआरडीओ के हैदराबाद स्थित डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेटरी (डीआरडीएल) में शुक्रवार को इस मशीन को स्थापित किया गया। वहां इस मशीन का उद्घाटन डीआरडीएल के निदेशक डा. दशरथ राम ने किया।
मशीन को विकसित करने वाले टीम का नेतृत्व संस्थान के मैकेनिकल इंजीनियरिग विभाग के प्रो. आलोक कुमार दास व उनकी टीम ने किया है। इस टीम में डीआरडीओ के वैज्ञानिक निलाद्री मंडल, किरण पी और बी हरि प्रसाद शामिल हैं। मशीन को विकसित आइआइटी आइएसएम और डीआरडीएल के संयुक्त परियोजना के रूप में किया गया है। इस प्रोजेक्ट पूरी फंडिग डीआरडीओ ने की है। माइक्रो इलेक्ट्रोकेमिकल डिस्चार्ज मशीन एयरोस्पेस उद्योग के लिए एलाय, सुपरएलाय या सिरामिक तैयार करने में सक्षम है। माइक्रो इलेक्ट्रोकेमिकल डिस्चार्ज मशीन :
माइक्रो इलेक्ट्रोकेमिकल डिस्चार्ज मशीन (एमइसीडीएम) एक ऐसी गैर-पारंपरिक हाइब्रिड मशीन है, इसमें विद्युत प्रवाह की मदद से एलाय, सुपरएलाय या सिरामिक सामग्री को भी मशीन में विकसित किया या इन्हें विखंडित करने में सक्षम है। इसीडीएम के प्रोसेस पैरामीटर्स का मटेरियल रिमूवल रेट (एमआरआर) पर प्रभाव का अध्ययन बोरोसिलिकेट ग्लास पर किया जाता है। प्रो आलोक कुमार दास के नेतृत्व वाली टीम ने जिस एमइसीडीएम को विकसित किया है यह 50 माइक्रोन तक पतले सिलेंड्रिकल उपकरणों को एलाय, सुपर एलाय या सिरामिक से फैब्रिकेशन करने में सक्षम है। इसके अलावा यह मशीन एक दम सुक्ष्म उपकरणों का भी फैब्रिकेशन करने में सक्षम है। आनलाइन के माध्यम से इस मशीन में फैब्रिकेशन के पूरे कार्य की निगरानी की जा सकती है।