Corona Death: पति ने श्मशान में चिता पर पत्नी को सिंदूर लगाते हुए देह त्याग निभाया जनम-जनम के साथ का वादा, पढ़ें बोकारो की मार्मिक स्टोरी
65 वर्षीय पत्नी कांता खेतान की कोराना से मौत के बाद उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे 70 वर्षीय पति साबरमल खेतान को अपनी पत्नी के जाने का गम कुछ इस कदर घर कर गया कि श्मशान घाट पर ही पत्नी की चिता सजने से पहले ही चल बसे।
बोकारो, जेएनएन। कहते हैं न कि पति-पत्नी का संबंध सात जन्मों का बंधन होता है। यह क्रूर कोरोना को पता नहीं है। उसने क्रूरता से 65 वर्षीय कांता खेतान की जान ले ली। इसके बाद जो हुआ वह क्रूर कोरोना को बताने के लिए काफी है कि पति-पत्नी का रिश्ता कैसा होता ? श्मशान घाट पर चिता सजाई गई। कांता के पति साबरमल खेतान अपनी पत्नी की मांग में सिंदूर भर रहे थे उसी उन्होंने अपना देह त्याग दिया। एक तरह से उन्होंने कोरोना को बता कि हम साथ-साथ हैं। तुम्हारी औकात नहीं है जनम-जनम के इस रिश्ते को तोड़ने की। इसके बाद कांता और साबरमल पति-पत्नी का एक साथ अंतिम संस्कार हुआ।
सिंदूर से शुरू हुई जिंदगी, सिंदूर देते वक्त हुई खत्म
दरअसल हुआ यूं कि 65 वर्षीय पत्नी कांता खेतान की कोराना से मौत के बाद उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे 70 वर्षीय पति साबरमल खेतान को अपनी पत्नी के जाने का गम कुछ इस कदर घर कर गया कि श्मशान घाट पर ही पत्नी की चिता सजने से पहले ही चल बसे। मृत पत्नी साबर मल खेतान अंतिम विदाई देने के लिए श्मशान घाट पहुंचे थे । हिंदू रीति रिवाज के अनुसार सुहागन स्त्री का अंतिम संस्कार से पहले मांग में सिंदूर भरा जाता है । साबरमल जब हाथों से चुटकी भर सिंदूर लेकर मृत पत्नी के मांग में भर रहे थे । तब वह अपने आप को रोक नहीं सके। जिस जीवन साथी के जीवन की शुरुआत सिंदूर के साथ किया था। उसी सिंदूर के साथ दोनों विदा हो गए । इस हृदय विदारक दृश्य को देखकर श्मशान घाट पर शव जलाने पहुंचे कई अन्य लोगों के स्वजनों का कलेजा भी फट गया । बोकारो की यह पहली घटना थी जब श्मशान में किसी पति-पत्नी की मौत हुई । मां के बाद पिता की मौत ने बेटे साकेत को भी झकझोर दिया।
जैनामोड़ में पचास वर्षों से रहते साबरमल खेतान व उनका परिवार
जैनामोड़ स्थित श्रीराम वस्त्रालय के मालिक साबरमल खेतान व उनका परिवार पचास वर्षों से रहता था। कांता खेतान की तबीयत बीते कुछ दिनों से खराब थी । मंगलवार को उनकी कोरोना जांच पॉजीटिव पाए जाने के बाद चास के नीलम नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया । लगातार ऑक्सीजन लेवल कम होने के साथ-साथ उनकी तबीयत खराब हो रही थी । बुधवार की शाम लगभग पांच बजे मौत हो गई । कोविड-प्रोटोकोल के अनुसार शव को घर तक ले जाने की अनुमति नहीं थी।
मां को गए थे मुखाग्नि देने, पिता को भी देर लाैटे
परिवार के सदस्यों ने शव का अंतिम संस्कार चास के श्मशान घाट में ही करने का निर्णय लिया। हिंदू रीति रिवाज के अनुसार सुहागन स्त्री होने के नाते कांता के मांग में सिंदूर भरने की रश्म उनके पति साबरमल खेतान को करना था । पत्नी का चेहरा देखकर बिलखने लगे। किसी तरह मृत पत्नी के मांग में सिंदूर भरा। कुछ पाल बाद वे भी वहां गिर पड़े। अचानक से अचेत होने पर लोगों ने उठाने का प्रयास किया पर तब तक उनकी भी मुत्यु हो चुकी थी। अब बेटे पर दुखों का पहाड़ टूट गया है। मुकेश खेतान अपने पिता के साथ मां की अर्थी को कांधा देने पहुंचा था और साथ में दोनों को मुखाग्नी देकर लौटा।