कोरोना की वजह से हर्ल उर्वरक संयंत्र का निर्माण प्रभावित
संस सिदरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी उर्वरक परियोजना सिदरी के हर्ल उर्वरक
संस, सिदरी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी उर्वरक परियोजना सिदरी के हर्ल उर्वरक संयंत्र के निर्माण पर कोरोना संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। हर्ल प्रबंधन की ओर से वर्क आउट शिड्यूल के अनुसार सिदरी उर्वरक संयंत्र में 17 नवंबर से उत्पादन शुरू होना था, लेकिन कोरोना की पहले और उसके बाद दूसरी लहर ने उर्वरक संयंत्र के निर्माण को प्रभावित किया है।
हर्ल सिदरी के जीएम हिम्मत सिंह चौहान ने कहा कि हर्ल संयंत्र में शिड्यूल के अनुसार उत्पादन कोरोना की स्थिति पर निर्भर करता है। हर्ल की ओर से निर्मित 28.5 मेगावाट क्षमता के कैप्टिव पावर प्लांट की दोनों यूनिट का ट्रायल नहीं हुआ है। उर्वरक संयंत्र के लिए कैप्टिव पावर प्लांट का सफल होना जरूरी है। कैप्टिव पावर प्लांट प्राकृतिक गैस पर आधारित है। गेल का गैस टर्मिनल अभी तक तैयार नहीं हुआ है। इसमें समय लगने की संभावना है। यूरिया प्रीलिग टावर, अमोनिया प्लांट, कुलिग पाउंड सहित लगभग सभी यूनिट निर्माण के आखिरी चरण में हैं। लगभग 80 से 85 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। कोरोना संक्रमण के कारण हर्ल के कर्मचारियों में भी दहशत है। आधे से ज्यादा कर्मचारी काम छोड़ अपने-अपने घर वापस लौटे गए हैं। हर्ल में फिलहाल 25 सौ कर्मचारी ही काम कर रहे हैं, जबकि निर्माण कार्य में छह हजार कर्मचारियों की जरुरत है।
जीएम ने बताया कि फ्रांस की कंपनी टेक्निप हर्ल के सिदरी उर्वरक संयंत्र का निर्माण कर रही है। कंपनी के विशेषज्ञों की ओर से टेस्टिग और कमिशनिग होनी है, लेकिन देश में कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता को देखते हुए टेक्निप के विदेशी एक्सपर्ट नहीं आ सके हैं। जीएम ने कहा कि कोरोना लहर के शांत पड़ने के बाद ही हर्ल प्रबंधन उत्पादन को लेकर दुबारा वर्कआउट करेगी। संभव है उत्पादन की निर्धारित अवधि और आगे बढ़ेगी। उत्पादन के लिए 2022 तक इंतजार करना पड़ सकता है।