मुख्यमंत्री जी आम आदमी पार्टी का नेता जेएसएलपीएस का राज्य समन्वयक कैसे हैं Dhanbad News

मुख्यमंत्री जी आम आदमी पार्टी के टिकट से चुनाव हार चुका व्यक्ति झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन का राज्य समन्वयक कैसे हैं। गुरजीत सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भाग लिया और अपना जो हलफनामा दायर किया उसने सेल्फ बिजनेस को प्रोफेशन दिखाया।

By Atul SinghEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 11:54 AM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 11:54 AM (IST)
मुख्यमंत्री जी आम आदमी पार्टी का नेता जेएसएलपीएस का राज्य समन्वयक कैसे हैं Dhanbad News
लोकसभा चुनाव में भाग लिया और अपना जो हलफनामा दायर किया उसने सेल्फ बिजनेस को प्रोफेशन दिखाया। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

धनबाद, जेएनएन : मुख्यमंत्री जी आम आदमी पार्टी के टिकट से चुनाव हार चुका व्यक्ति झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन का राज्य समन्वयक कैसे हैं। गुरजीत सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भाग लिया और अपना जो हलफनामा दायर किया उसने सेल्फ बिजनेस को प्रोफेशन दिखाया। इसके पास वीआरपी, बीआरपी, एसआरपी, डीआरपी, एफइपी की लंबी फौज है जो सोशल ऑडिट के नाम पर भयादोहन कर मनरेगा कर्मियों से राशि की उगाही कर रहे हैं। यह कहना है ग्रामीण विकास श्रमिक संघ के मंत्री प्रवीण कुमार झा का। झा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर रघुवर सरकार की ओर से मनरेगा कार्यों का सोशल ऑडिट जेएसएलपीएस को देने का विरोध किया है और इसे रद्द करने की मांग की है।

उन्होंने कहा है कि ऑडिट के नाम पर सभी दस्तावेजों की छाया प्रति कराने में लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। जबकि सभी कागजात ऑनलाइन है। यह काम यदि ग्राम सभा की ओर से कराई जाए तो यह 0 खर्च पर हो सकता है। उन्होंने कहा है कि पहले 14वें वित्त आयोग के माध्यम से सामाजिक अंकेक्षण दल के सदस्यों का पैसा लिया जाता था जो प्रति पंचायत अंकेक्षक टीम के हिसाब से ₹12997 था। झारखंड में 4402 पंचायतें हैं इनमें साल में दो बार अंकेक्षण किया जाता है। यदि इस हिसाब से जोड़ा जाए तो 1144.25 लाख रुपया प्रति वित्तीय वर्ष खर्च किया जाता है। इसके अतिरिक्त ऑडिट टीम में वीआरपी, बीआरपी, डीआरपी, एसआरपी, एफइपी मानदेय पर रखे हुए हैं। इन पर भी करोड़ों का खर्च होता है। जबकि नियमानुसार ग्राम सभा से अंकेक्षण कराने पर इन खर्चों से बचा जा सकता है। सामाजिक अंकेक्षण में भी पंचायत स्तरीय जनसुनवाई, प्रखंड स्तरीय जनसुनवाई, राज्य स्तरीय जनसुनवाई के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए प्रशिक्षण, नाश्ता, टेंट इत्यादि पर खर्च कराए जाते हैं जिससे बचा जा सकता है।

पत्र में उन्होंने बताया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में बिरसा मुंडा बागवानी योजना का ऑडिट 28 नवंबर से 10 दिसंबर तक लगातार किया गया। फरवरी 21 में इसकी प्रखंड स्तरीय जन सुनवाई की गई। यह अभी खत्म भी नहीं हुआ कि 11 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2019 के चालू अपूर्ण एवं पूर्ण योजना का सामाजिक अंकेक्षण का कैलेंडर निकाल दिया गया। बेहद कम समय देते हुए ऑडिट प्रारंभ कर दिया गया है। जिस पर स्वयं प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है। झा ने जेएसएलपीएस द्वारा सोशल ऑडिट में  फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए मनरेगा अधिनियम के तहत ग्राम सभा से ऑडिट कराने की मांग की है।

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