बिना डॉक्टर के चल रहा संयुक्त औषधालय, एक भी पूर्णकालिक चिकित्सक नहीं Dhanbad News

सदर अस्पताल परिसर में ही स्थापित है आयुष मंत्रालय का जिला संयुक्त औषधालय। नाम के ही अनुरूप हर चीज यहां संयुक्त रूप से है। मसलन डॉ. निर्मला सिन्हा औषधालय की प्रभारी हैं। उनके पास यहां के अलावा वासेपुर माेहलबनी व गिरिडीह औषधालय का भी दायित्व है।

By Atul SinghEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 11:09 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 11:09 AM (IST)
बिना डॉक्टर के चल रहा संयुक्त औषधालय, एक भी पूर्णकालिक चिकित्सक नहीं Dhanbad News
मसलन डॉ. निर्मला सिन्हा औषधालय की प्रभारी हैं। (फाइल फोटो)

धनबाद, जेएनएन: सदर अस्पताल परिसर में ही स्थापित है आयुष मंत्रालय का जिला संयुक्त औषधालय। नाम के ही अनुरूप हर चीज यहां संयुक्त रूप से है। मसलन डॉ. निर्मला सिन्हा औषधालय की प्रभारी हैं। उनके पास यहां के अलावा वासेपुर, माेहलबनी व गिरिडीह औषधालय का भी दायित्व है। वह यहां सोम, मंगल व बुधवार काे १० से दाे बजे तक रोगियों का इलाज (अगर कोई आ जाए) करती हैं। डॉ. कुमकुम आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं। वह मूल रूप से टुंडी के गाेवाकाेला केंद्र की चिकित्सक हैं। डॉ. कुमकुम सप्ताह में मात्र एक दिन गुरुवार काे सुबह १० बजे से दाे बजे तक जिला संयुक्त औषधालय में बैठती हैं। इस दाैरान काेई राेगी आ जाए ताे उसे चिकित्सीय सलाह देती हैं। यहां यूनानी पद्धति से भी इलाज हाेना है पर इस पद्धति से चिकित्सा करने वाले काेई चिकित्सक जिले में नहीं हैं। लिहाजा यह विभाग पूरी तरह खाली है। मजेदार बात यह कि प्यून भी संयुक्त रूप से हाेम्याेपैधिक पद्धति की चिकित्सा में मिश्रक का दायित्व निभाता है।

१४ की जगह छह कर्मचारी हैं पदस्थापित:

औषधालय में १४ अधिकारियाें-कर्मचारियाें का स्वीकृत पद है। हालांकि काम मात्र छह से चलाया जा रहा है। नियमानुसार यहां एक जिला संयुक्त औषधालय प्रभारी, आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक व यूनानी पद्धति के एक-एक चिकित्सक (कुल पद-तीन), एक लिपिक सह भंडारपाल, एक स्टेनाेग्राफर, कार्यालय के लिए एक चतुर्थवर्गीय कर्मचारी, मिश्रक-तीन, और तीन चपरासी का पद स्वीकृत है। वर्तमान में यहां दाे मिश्रक, एक लिपिक सह भंडारपाल व तीन प्यून हैं।

ऑक्सीजन की कमी का होम्योपैथ में नहीं इलाजः

अस्पताल की प्रभारी सह होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. निर्मला सिन्हा ने बताया कि इस बार कोरोना को लेकर कोई दिशानिर्देश सरकार से प्राप्त नहीं हुआ है। कोरोना संक्रमित होने पर इलाज की व्यवस्था भी नहीं है। विशेषकर माैजूदा स्ट्रेन के दाैर में जहां ऑक्सीजन की कमी रोगियों में काफी महसूस हाे रही है, होम्योपैथी में इसका कोई इलाज नहीं। सांस लेने में तकलीफ महसूस हाे ताे एलाेपैथी ही बेहतर है। रोगियों को बड़े अस्पताल जाना चाहिए। कोरोना के बचाव के लिए जरूर कुछ होम्योपैथिक दवाओं को अपनाने की सलाह दी जा सकती है। इसमें आर्सेनिक एल्बाेमिन-३० सर्वाधिक लाभदायी रहा है। इसके अलावा अन्य लक्षण दिखने उनकी दवाएं दी जाती हैं। एटिनटॉक, बायाेनिया इत्यादि का हम अन्य लक्षणों में इस्तेमाल कर रहे हैं। ये दवाएं औषधालय में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध भी हैं।

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