गिरिडीह के सीताराम को मिला मरणोपरांत राष्ट्रपति पुलिस पदक, Jammu & Kashmir की सीमा पर पाक रेंजरों से मुकाबला में हुए थे शहीद

सीताराम 18 मई 2018 को जम्मू में पाकिस्तान की सीमा से सटे भारतीय चौकी पर तैनात थे कि आधी रात पाकिस्तानी रेंजरों ने अकारण चौकी पर हमला करते हुए फायङ्क्षरग शुरू कर दी थी। इसका सीताराम ने जबर्दस्त जवाब दिया। इस क्रम में वे बहादुरी के साथ शहीद हो गए।

By MritunjayEdited By: Publish:Sun, 18 Jul 2021 11:38 AM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 07:18 PM (IST)
गिरिडीह के सीताराम को मिला मरणोपरांत राष्ट्रपति पुलिस पदक, Jammu & Kashmir की सीमा पर पाक रेंजरों से मुकाबला में हुए थे शहीद
बीएसएफ के शहीद जवान सीताराम उपाध्याय ( फाइल फोटो)।

संस, पीरटांड़ (गिरिडीह)। सीमा सुरक्षा बल के बलिदानी जवान सीताराम उपाध्याय को मरणोपरांत शनिवार को दिल्ली में वीरता के लिए पुलिस पदक दिया गया। इसे राष्ट्रपति की ओर से गृहमंत्री अमित शाह ने बलिदानी की पत्नी रेशमी उपाध्याय को एक समारोह में सौंपा। रेशमी अपने दो बच्चों के साथ यह पुरस्कार लेने दिल्ली गई हुई हैैं। विज्ञान भवन में आयोजित सीमा सुरक्षा बल के अलंकरण समारोह और रूस्तमजी स्मृति व्याख्यान में सीताराम समेत बीएसएफ के आधा दर्जन शहीद जवानों को यह पदक दिया गया। सीताराम उपाध्याय गिरिडीह के पीरटांड़ स्थित पालगंज गांव के रहने वाले थे।

18 मई, 2018 को हुए थे शहीद

सीताराम 18 मई 2018 को जम्मू में पाकिस्तान की सीमा से सटे भारतीय चौकी पर तैनात थे कि आधी रात पाकिस्तानी रेंजरों ने अकारण चौकी पर हमला करते हुए फायरिंग शुरू कर दी थी। इसका सीताराम ने जबर्दस्त जवाब दिया। इस क्रम में वे बहादुरी के साथ शहीद हो गए। 19 मई को पालगंज के कुलमती नदी के किनारे उनके पार्थिव शरीर गांव पहुंचने के बाद उसका अंतिम संस्कार किया गया था।

पत्नी को मिल चुकी है नौकरी

सीताराम उपाध्याय की पत्नी को घोषणा के मुताबिक नौकरी मिल चुकी है। वो पीरटांड़ प्रखंड कार्यालय में बतौर किरानी के तौर पर पदस्थापित हैैं। उनके बच्चे अभी छोटे-छोटे हैं जो अपनी मां के साथ रहते हैं। बीएसएफ और राज्य सरकार से मिलने वाली राशि उनकी पत्नी को मिल चुकी है। वे अभी मधुबन में रहती हैं। सीताराम की मां और पिता दोनों अपने पुस्तैनी मकान पालगंज में ही रहते हैं।

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