Ram Navami 2021: परंपरागत रूप से मनाया जा रहा रामलला का जन्मोत्सव, कोरोना के कारण नहीं निकलेगा अखाड़ा
Ram Navami 2021 धनबाद समेत झारखंड में तो राम नवमी का त्योहार बहुत की खास है। यहां बड़े पैमाने में राम नवमी का जुलूस निकाला जाता है। इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। हालांकि कोरोना महामारी के कारण झारखंड सरकार ने जुलूस निकालने पर रोक लगा रखी है।
धनबाद, जेएनएन। आज ( 21 अप्रैल, 2021) को राम नवमी ( Ram Navami 2021) है। चैत्र नवरात्र के नाैंवा दिन राम नवमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की विधि-विधान और धूमधाम से पूजा होती है। धनबाद समेत झारखंड में तो राम नवमी का त्योहार बहुत की खास है। यहां बड़े पैमाने में राम नवमी का अखाड़ा निकाला जाता है। इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। हालांकि कोरोना महामारी के कारण झारखंड सरकार ने अखाड़ा निकालने पर रोक है। लोगों से घरों में रहकर की भगवान राम की पूजा करने की अपील की गई है। इस कारण राम नवमी फीकी-सी लग रही है। धनबाद में राम नवमी की पूजा का आयोजन मंदिरों और घरों तक सिमट कर रह गया है।
आज ही के दिन भगवान राम का हुआ था जन्म
हिंदू धर्म में राम नवमी विशेष महत्व रखता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान राम का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि में हुआ था। इसी खुशी में राम नवमी मनाई जाती है। राम नवमी का पर्व भगवान राम के आदर्शों को अपनाने पर बल देता है। भगवान राम ने अपने आचरण से समाज में ऐसे मूल्यों की स्थापना की, जिसे अपनाकर मानव रूपी जीवन को धन्य बनाया जा सकता है। इसीलिए भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है।
अबकी राम नवमी बहुत खास
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक भगवान राम का जन्म कर्क लग्न और अभिजीत मुहूर्त में मध्याह्न 12 बजे हुआ था। संयोगवश अबकी राम नवमी को अश्लेषा नक्षत्र, लग्न में स्वग्रही चंद्रमा, सप्तम भाव में स्वग्रही शनि, दशम भाव में सूर्य, बुध और शुक्र है और दिन बुधवार है। ग्रहों की यह स्थिति इस दिन को अति मंगलकारी बनाएगी। इस दिन शुभ मुहूर्त में की गई पूजा अत्यंत लाभकारी और शुभकारी होगी।
आज ही के दिन राम चरित मानस की रचना हुई थी प्रारंभ
राम नवमी की एक खासियत यह है कि आज ही के दिन महाकवि तुलसीदास ने राम चरित मानस की रचना प्रारंभ की थी। ऐसी मान्यता है। भगवान श्रीराम के जन्म के समय कैसा माहाैल था, इस पर श्रीराम चरित मानस के बालकांड में तलसीदास ने बहुत ही रोचक ढंग से प्रकाश डाला है- भए प्रकट कृपाला दीनदयाला काैसल्या हितकारी/ हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी/ लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुजचारी/ भूषण बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी।