Guru-Chela App: सास-बहू की जोड़ी हो तो ऐसी, गुरु-चेला बनकर बना डाला रोजगारपरक एप
Guru-chela app सास-बहू ने मिलकर कोरोना काल में लोगों को रोजगार देने की पहल शुरू की। दो माह पहले गुरु-चेला एप बनाया है जो शिक्षक-छात्रों को एक-दूसरे से मिलाता है।
धनबाद [ आशीष सिंह ]। Guru-Chela App आम धारणा है कि सास-बहू के विचार समान नहीं हो सकते। यह भी कि गृहिणियों में तकनीकी दक्षता और रोजगारपरक सोच खत्म हो जाती है, मगर इन्होंने दोनों मिथकों पर विराम लगा दिया। इस सास-बहू ने घर संभालते हुए न केवल गुरु-चेला एप बनाया बल्कि शिक्षितों को रोजगार भी दिलाया। ये हैं, देश की कोयला राजधानी धनबाद की धैया निवासी 70 वर्षीय सास मनोरमा सिंह और 32 साल की बहू स्वाति कुमारी।
दोनों ने मिलकर कोरोना काल में लोगों को रोजगार देने की पहल शुरू की। दो माह पहले एप बनाया। जो शिक्षक-छात्रों को एक-दूसरे से मिलाता है। दोनों एप पर रजिस्टर कर सकते हैं। आवश्यकता अनुसार शिक्षक ऑनलाइन या ऑफलाइन क्लासेज लेने के लिए हाजिर हो जाते हैं। इससे स्कूली शिक्षा से लेकर इंजीनियरिंग, यूपीएससी, गीत, संगीत, योग, चित्रकला आदि के शिक्षक आसानी से मिल जाते हैं। कुछ दिनों में ही 40 लोगों को रोजगार भी इस एप ने दिया। 110 छात्र इस एप की बदौलत मार्गदर्शन पा रहे। शिक्षित बेरोजगार आठ हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक कमाई कर ले रहे हैं।
एप से आइआइटी आइएसएम, बीआइटी सिंदरी, बीएड कर चुके छात्र भी जुड़े हैं। छात्रों की काउंसिलिंग के लिए सीआइएमएफआर (सेंटल माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च) के सेवानिवृत्त विज्ञानी डॉ. केके शर्मा भी जुड़े हैं। घर बैठे ही अभिभावकों के लिए शिक्षकों की तलाश आसान हो गई। बच्चों को भी आसानी से गुरु मिल रहा है।
इस वर्ष 250 को रोजगार देने का लक्ष्य
मनोरमा और स्वाति कहती हैं कि शिक्षितों की बेरोजगारी और बच्चों की पढ़ाई में दिक्कत की खबरें परेशान करती थीं। इसलिए यह एप बनाया। इससे वर्ष के अंत तक 250 लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है। इसमें किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जा रहा है। स्वेच्छा से कोई शिक्षक कुछ राशि देते हैं तो कोई बात नहीं।
चार किमी तक साइकिल दस किमी के लिए बाइक
10 वीं पास सास मनोरमा सिंह और परास्नातक, बीएड बहू स्वाति दो माह पहले तक फोन के माध्यम से छात्रों और शिक्षकों को एक दूसरे से जोडऩा शुरू किया। दिल्ली विवि से कंम्प्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे मनोरमा के नाती वत्सल सिंह को यह प्रयास अच्छा लगा। उन्होंने एक प्लेटफार्म बनाने का सुझाव दिया। कहा कि एप बनाकर अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जा सकता है। बस मनोरमा और स्वाति ने वत्सल के सहयोग से एप बना लिया। एप को सास-बहू ने खुद से संचालित करना शुरू किया। इन्होंने सिस्टम बनाया है। चार किमी जाने के लिए साइकिल और दस किमी तक के लिए बाइक व स्कूटी की व्यवस्था की है।
ऐसे काम करता है एप
प्ले स्टोर पर गुरु-चेला एप उपलब्ध है। इसमें गौतम बुद्ध की ध्यानमग्न मुद्रा में तस्वीर लगी हुई है। डाउनलोड करने के बाद रजिस्ट्रेशन करना होता है। इसमें दो विकल्प आते हैं। एक गुरु और दूसरा चेला यानी छात्र। गुरु का रजिस्ट्रेशन होने पर छात्रों की जानकारी, मोबाइल नंबर, लोकेशन मिलेगी। चेला का रजिस्ट्रेशन होने पर विषय के शिक्षकों की जानकारी मिलेगी।