Jharkhand By Election 2020: चुनावी तपीश में सब्जियों के भाव ने चढ़ाया मतदाताओं का पारा, 400 रुपये किलो बिक रहा हरा धनिया
Jharkhand By Election 2020 दुमका में चुनावी तापमान से इतर सब्जियों के भाव भी मतदाताओं का पारा गरम कर रहा है। दुमका में हरी सब्जियों का भाव सुनकर ग्राहक के पसीने छूट रहे हैं। बाजार में 250 ग्राम भिंडी 25 रुपये में मिल रही है।
दुमका, [राजीव]। सूबे की उपराजधानी दुमका में चुनावी तापमान से इतर सब्जियों के भाव भी मतदाताओं का पारा गरम कर रहा है। दुमका में हरी सब्जियों का भाव सुनकर ही ग्राहक एक बार उछल जा रहे हैं। बाजार में सुबह भिंडी 25 रुपये में 250 ग्राम बिकती है और शाम होने पर भी 20 रुपये से नीचे नहीं आती है। हरी धनिया पत्ती का भाव सुनते ही ग्राहकों का चेहरा ऐसा लाल हो रहा कि टमाटर की लाली भी फीका पड़ जाए। हरी मिर्च जले पर नमक छिड़क रहा है। बाजार में कोई ऐसी सब्जी नहीं है जिसके भाव 30 रुपये प्रतिकिलो से नीचे है।
दुमका के टीन बाजार स्थित सब्जी मंडी में ग्राहकों की भीड़ तो रोजाना उमड़ रही है, लेकिन भाव की वजह से ग्राहक न सिर्फ बजट में कटौती कर रहे हैं बल्कि मात्रा भी घटा कर ले रहे हैं। सब्जी विक्रेता रंजीत सिंह के मुताबिक सब्जियों की आवक में कमी है। पश्चिम बंगाल के लिए वाहनों के आवागमन में कमी के कारण भी सब्जियों के भाव पर असर पड़ रहा है। महंगाई की वजह पूछने पर रंजीत ने कहा कि इस मौसम में सब्जियों के भाव चढ़े रहते हैं। लगातार बारिश की वजह से भी खेतों में हरी सब्जियों के उत्पादन पर असर पड़ा है जिसके कारण महंगाई है। सब्जी का नाम - भाव प्रतिकिलो हरी पत्ती - 400 रुपये भिंडी - 80 से 100 रुपये कटहल - 160 रुपये टमाटर - 60 रुपये मशरूम - 300 रुपये हरी मिर्च - 120 रुपये शिमला मिर्च - 200 रुपये परवल - 50 रुपये करैला - 50 रुपये लहसून - 150 रुपये मूली - 40 रुपये बंधा गोभी - 60 रुपये खीरा - 40 रुपये फूलगोभी - 50 रुपये जोड़ा पालक - 80 रुपये खेक्शा - 120 रुपये भतुआ - 40 रुपये आंवला - 80 रुपये बैंगन - 50 रुपये नया आलू - 60 रुपये
महंगाई से आम जनता त्रस्त है। सरकार को इसकी कोई फिक्र नहीं है। हरी सब्जियों के भाव से आमजनों के पसीने छूट रहे हैं, लेकिन सरकारी कुनबा और प्रशासनिक तंत्र उपचुनाव की तैयारी में व्यस्त है। -विक्रम पांडेय, अधिवक्ता, दुमका।
हरी सब्जियां थाली से गायब हो गई हैं। इतनी महंगाई है कि हरी सब्जी खरीदना संभव नहीं हो रहा है। महंगाई के कारण जीना दूभर हो गया है। सरकार और प्रशासन को इसकी कोई फिक्र नहीं है। -प्रदीप कुमार गोस्वामी, गांधीनगर दुमका।
हरी सब्जियों का भाव सुनकर पारा चढ़ जाता है। बजट के साथ मात्रा में कटौती करने की लाचारी है। जिस तरीके से हरी सब्जियों का भाव चढ़ा है उससे यह महसूस होता है कि महंगाई चरम पर है। -अजय कुमार, व्यवसायी, कुमारपाड़ा।