सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं बनी बेसहारों का सहारा

धनबाद राज्य सरकार ने कुछ साल पहले सबका साथ सबका विकास का नारा देते हुए एक बेहतर और समतामूलक राज्य के लिए कई योजनाओं की घोषणा की थी। अब इन योजनाओं खासकर महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखकर शुरू किए गए योजनाओं के सुखद परिणाम मिलने लगे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 05:16 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 05:16 AM (IST)
सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं बनी बेसहारों का सहारा
सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं बनी बेसहारों का सहारा

जागरण संवाददाता, धनबाद : राज्य सरकार ने कुछ साल पहले सबका साथ सबका विकास का नारा देते हुए एक बेहतर और समतामूलक राज्य के लिए कई योजनाओं की घोषणा की थी। अब इन योजनाओं खासकर महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखकर शुरू किए गए योजनाओं के सुखद परिणाम मिलने लगे हैं।

धनबाद की बात करें तो इन योजनाओं की मदद से जहां गरीब मां-बाप अपने बेटियों के हाथ पीले कर पा रहे हैं। वहीं सिगल पैरेंट्स वाले बच्चों को आर्थिक संबल भी मिल रहा है। विशेषकर उन बच्चों को जिन के सिर से कोरोना के दौरान अपने मां या बाप में से किसी एक का साया छिन गया हो।

निरसा की बीपीएल परिवार से आनेवाली दो साल की बच्ची के पिता की मौत कोरोना से हो गई। ऐसे में उसकी मां के सामने बच्ची की परवरिश करने का सवाल आन पड़ा। जब इस परिवार की कहानी तत्कालीन उपायुक्त उमाशंकर सिंह को मिली तो उन्होंने राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित मुख्यमंत्री सुकन्या योजना के तहत उस परिवार को मदद दिलाई। बच्ची को बालिग होने तक समय-समय पर उसकी पढ़ाई लिखाई के लिए कुल 40000 रुपये पांच-पांच हजार रुपये की किस्तों में मिलेंगे। पिछले वित्तीय साल में कुल 15158 बच्चे इस योजना का लाभ लेकर अपनी जिदगी संवार रहे हैं। इस योजना में तहत जिले ने अपना लक्ष्य सौ फीसद पूरा कर लिया है।

कुछ ऐसा ही हाल मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का भी है, जिसमें जिला ने अपने हिस्से का 83 फीसद लक्ष्य तो प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का 98 प्रतिशत प्राप्त कर मजलूमों की मदद करने में कामयाब रहा है। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की शुरूआत करते समय राज्य सरकार के माना था कि इससे अनाथ और आर्थिक तौर पर पिछड़े परिवार की बेटियों के हाथ पीले करने में सहूलियत होगी। पिछले तीन सालों में ही इस योजना से 350 बच्चियों के असहाय अभिभावकों को उनके हाथ पीले करने में सफलता मिल पायी है।

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