डीसी कार्यालय में मलाईदार पद पर एकतरफा राज, कुछ बाबुओं का ऐसा सिंडिकेट जिसकी मर्जी सर्वोपरि Dhanbad News
उपायुक्त व उनके अधीनस्थ संचालित कार्यालयों में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी में आने वाले बाबुओं का तीन साल में अनिवार्य तबादला होना चाहिए। पर 7 साल पहले 2013 में इनका तबादला किया गया था।
धनबाद, [चरणजीत सिंह]। उपायुक्त और उनके अधीनस्थ संचालित कार्यालयों में मलाईदार पद पर कुछ बाबुओं के सिंडिकेट का एकतरफा राज है। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी में आने वाले सरकारी बाबुओं का तीन साल में अनिवार्य तबादला होना चाहिए। सात साल पहले 2013 में उपायुक्त कार्यालय के कर्मचारियों का नियमानुसार तबादला किया गया था। इसके बाद स्थापना समिति की कुछ बैठकें जरूर हुई है। इसमें तीन साल से अधिक अवधि से एक स्थान पर कार्यरत कर्मचारियों को दूसरी जगह भेजने पर फैसला नहीं लिया गया है। शांतनु सरकार, असलम परवेज, सुबोध सिंह, मन पूरण सिंह चौधरी, ओपी सिंह जैसे कुछ ऐसे नाम हैं जिनकी मर्जी के बगैर पत्ता तक नहीं हिलता।
दरअसल, उपायुक्त कार्यालय में अभिलेखागार, स्थापना, सामान्य, नजारत, निर्वाचन, शस्त्र, राजस्व, कोषागार समेत अधिकतर महत्वपूर्ण जगहों के प्रधान लिपिक दस सालों से कुर्सी पकड़े हुए हैं। धनबाद अनुमंडल का क्षेत्रफल उतना ही है, जितना जिले का। इस नाते अनुमंडल कार्यालय के भी कई पद बेहद अहम है जिस पर कुछ बाबु काबिज हैं। अफसर बदल जाते हैं, वो नहीं। ये सरकारी बाबु नहीं चाहे तो आम जनता का काम नहीं हो सकता। सरकारी फाइलों पर इतनी जिज्ञासा करते रहते हैं कि अफसर तक उलझ जाते हैं। इस बाबत उपायुक्त अमित कुमार को कॉल किया गया। बात नहीं हो सकी।
धनबाद अंचल में मंजू तो गोविंदपुर में संजय का सिक्का : धनबाद अंचल कार्यालय में मंजू लंबे समय से हैं तो गोविंदपुर अंचल में संजय दास का सिक्का चल रहा है। ये ऐसे अंचल कार्यालय है जहां कमाई की कमी नहीं है। धनबाद जिले के 20 प्रखंड एवं अंचल कार्यालयों में लंबे समय से पदस्थापित कर्मचारी उपायुक्त एवं अनुमंडल कार्यालय आना चाहते हैं। नियमानुसार जून में तीन साल से अधिक समय से एक पद पर रहने वाले कर्मचारियों के स्थानांतरण के लिए स्थापना समिति की बैठक होनी चाहिए। इस साल भी अभी तक स्थापना समिति की न बैठक हुई है, न तिथि तय हुई है। इस कारण दूरदराज के प्रखंड एवं अंचल कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारी निराश हैं।
कुछ चपरासी के तेवर तो साहब से भी कम नहीं : उपायुक्त के अधीन आने वाले कार्यालयों में कार्यरत कुछ चपरासी (अनुसेवक) के तेवर तो साहब से कम नहीं हैं। अनुमंडल कार्यालय में मिथिलेश भारती, आपूर्ति में लाला कुमार, राजेंद्र राय, गोपनीय में विमल दत्ता, भोला प्रसाद, जयराम प्रजापति, नजारत में प्रभु साव, अश्विनी कुमार, नरेंद्र महथा समेत प्रखंड एवं अंचल कार्यालयों में ऐसे अनुसेवक हैं जो दस से अधिक सालों से कार्यरत हैं।
लंबे समय से विभागों में यह सब अभिलेखागार : शांतनु सरकार, मोहम्मद असलम स्थापना : शांतनु सरकार, शौकत अली राजस्व : सुशील सिंह, अजीत कुमार, आलोक झा आपूॢत : जंगली दास, रतन पासवान, मतीन अंसारी सामान्य : ओपी सिंह, राजकुमार सिंह व चंद्रशेखर रेड्डी नजारत : मन पूरण सिंह चौधरी, उनका रिश्तेदार अनुसेवक नरेंद्र महथा, अश्विनी दास, प्रभु साव सामाजिक सुरक्षा कोषांग : विजय दास निर्वाचन : ओम प्रकाश सिंह, रमेश तिवारी, परमानंद सिंह अनुमंडल कार्यालय : सुबोध कुमार, रूबी सहाय, रूबिता, विपिन सिंह, सुशील खां, अनुसेवक मिथिलेश भारती, मुकेश सिंह जिला कल्याण : महेंद्र सिन्हा, विनोद पासवान, संजय सिंह कोषागार : असगर अंसारी समाज कल्याण : कन्हैया प्रसाद, अंकेश्वर एलआरडीसी कार्यालय : कनक कुमारी, मुनमुन बनर्जी पंचायती राज : अरुण धारी, प्रमोद मालतो विकास : बिनोद ग्राही भू अर्जन : महेंद्र साव विधि : चित रंजन प्रसाद लेखा : उपेंद्र कुमार गोपनीय : प्रशांत कुमार व अमित दास आदि
एडीएम अनिल कुमार से सीधी बात : जागरण : 2013 के बाद सामूहिक स्थानांतरण के लिए स्थापना समिति की बैठक क्यों नहीं हुई है? जवाब : स्थापना शाखा का वरीय प्रभारी पदाधिकारी रहते दो बार बैठक हुई है। इसमें कुछ कर्मचारियों का स्थानांतरण हुआ है, प्रोन्नति भी हुई है। जागरण : नियमानुसार तीन साल में तबादला होना चाहिए। यहां दस सालों से कर्मचारी एक कुर्सी पर हैं? जवाब : जो लोग दस साल से एक कुर्सी पर हैं, उनके नाम बताइये। अवश्य हटाया जायेगा। यह बात उपायुक्त महोदय के संज्ञान में लायेंगे।