Hard Coke Industry: कोरोना वायरस ने चीन और आस्ट्रेलिया के बिगाड़े रिश्ते तो भारत के हाई कोक उद्योग को मिली उर्जा

Hard Coke Industry कोरोना काल में रिश्ते बिगड़ गए तो चीन को आस्‍ट्रेलिया ने हार्डकोक बनाने के लिए कोयला देना बंद कर दिया। आस्ट्रेलिया से भारत में कोयले का आयात पूर्ववत बना रहा। आस्ट्रेलिया से भारत आने वाले कोयले की कीमत भी तनिक कम हुई।

By MritunjayEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 07:05 AM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 05:35 AM (IST)
Hard Coke Industry: कोरोना वायरस ने चीन और आस्ट्रेलिया के बिगाड़े रिश्ते तो भारत के हाई कोक उद्योग को मिली उर्जा
धनबाद के हार्ड कोक उद्योग की चिमनियों से निकलते धुआं ( फाइल फोटो)।

गिरिडीह [ दिलीप सिन्हा ]। कोरोना से जहां पूरी दुनिया तबाह है, वहीं कोरोना के कारण हार्डकोक उद्योग में नई जान आई है। गिरिडीह समेत पूरे झारखंड की करीब डेढ़ सौ हार्डकोक फैक्ट्रियों की चिमनियों से धुआं निकलना शुरू हो गया है। करीब 15 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। झारखंड में सबसे अधिक 111 हार्डकोक फैक्ट्रि‍यां धनबाद में हैं। इसके अलावा गिरिडीह एवं रामगढ़ में हार्डकोक उद्योग हैं। पहले चीन से भारत के लौह व अन्‍य उद्योगों के लिए अधिकांश हार्डकोक भारत आता था, जो यहां बने हार्डकोक से सस्‍ता पड़ता था। इसको बनाने के लिए चीन आस्‍ट्रेलिया से कोयला मंगाता था। इसका असर ये हुआ कि झारखंड का हार्डकोक उद्योग बीमार पड़ गया। अधिकांश बंद हो गए या फिर नाममात्र के चल रहे थे। कोरोना काल में जब भारत व आस्‍ट्रेलिया से चीन के रिश्‍ते बि‍गड़े तो सीधा असर हार्डकोक उद्योग पर पड़ा। चीन में आस्ट्रेलिया का कोयला जाना बंद हो गया। स्वाभाविक तौर पर चीन में हार्ड कोक का उत्पादन कम हुआ। इससे भारत का हार्डकोक उद्योग चमक गया।


दरअसल, कोरोना काल में रिश्ते बिगड़ गए तो चीन को आस्‍ट्रेलिया ने हार्डकोक बनाने के लिए कोयला देना बंद कर दिया। आस्ट्रलिया से भारत में कोयले का आयात पूर्ववत बना रहा। आस्ट्रेलिया से भारत आने वाले कोयले की कीमत भी तनिक कम हुई। नतीजतन, चीन में हार्डकोक बनाने का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ। इधर भारत के उद्योगों ने भी वहां से हार्डकोक मंगाना बंद कर दिया। अब स्थिति यह है कि अपने देश के उद्योगों को हार्डकोक आपूर्ति के साथ भारत से विदेशों में भी निर्यात हो रहा है। सिर्फ मार्च में ही चार लाख टन हार्डकोक का निर्यात होना है। 28 हजार प्रति टन के अनुसार इससे 1120 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा आएगी।  कई कोयला कारोबारियों ने बताया कि पूरी दुनिया में उत्तम गुणवत्ता का कोयला आस्ट्रेलिया में है। इसमें राख का प्रतिशत कम है। आस्ट्रेलिया से कोयला न मिलने से चीन में इस उद्योग की हालत बिगड़ गई। हालात ये हैं कि चीन की भी कई कंपनियां यहां से हार्डकोक आयात कर रही हैं।



हल्दिया बंदरगाह पर आता है आस्‍ट्रेलिया से कोयला
आस्ट्रेलिया से कोयला हल्दिया बंदरगाह पर आता है। इसके बाद वहां से रैक से धनबाद, गिरिडीह, रामगढ़ पहुंचाया जाता है। झारखंड के छोटे-छोट हार्डकोक उद्योग के मालिक जो वहां से सीधे मंगा नहीं सकते, उनको यहां की स्‍टील कंपनियां कोयला उपलब्ध कराकर हार्डकोक बनवा रही हैं। झारखंड में बना हार्डकोक अब उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा के स्टील प्लांटों में जा रहा है। इसके अलावा ईरान, ब्राजील, चीन को इसका निर्यात हो रहा है। पांच साल से बंद हार्डकोक फैक्ट्रियों में अब दिन-रात काम चल रहा है। विदेशों से हो रही मांग के कारण कामगार भी जमकर पसीना बहा रहे हैं।

इन उद्योगों में काम में आता है हार्डकोक
हार्डकोक धुआं रहित कोयला है। इसे बनाने के दौरान तारकोल बनता है, जिसके कई उपयोग होते हैं। हार्डकोक का प्रयोग धातुओं काे गलाने, फाउंड्री उद्योग, पिग आयरन उद्योग, लौह उद्योग में होता है। वात्‍या भट्ठी को गर्म करने के लिए यही सर्वश्रेष्‍ठ कोयला है। इसकी ऊष्‍मीय तीव्रता सामान्‍य कोयले से काफी ज्‍यादा हाेती है।

आस्ट्रेलिया से सस्ता एवं गुणवत्तापूर्ण कोयला हल्दिया होते हुए झारखंड आ रहा है। इससे हार्डकोक बनाकर देश के उद्योगों के साथ विदेशों में निर्यात किया जा रहा है। चीन से जो हार्डकोक आ रहा था, उससे बेहतर गुणवत्ता का हार्डकोक झारखंड में तैयार हो रहा है। इससे यहां के इस कोयले की मांग खूब हो रही है। स्टील उद्योग को भी देश में ही इसकी उपलब्‍धता से लाभ हो रहा है। हजारों लोगों को इससे रोजगार मिला है। देश को निर्यात से विदेशी मुद्रा मिलेगी।
-अमितेष सहाय, अध्यक्ष झारखंड इंडस्ट्री एंड ट्रेड एसोसिएशन सह हार्डकोक उद्यमी

आस्ट्रेलिया से कोयला मंगाकर झारखंड में हार्डकोक तैयार करने से मृतप्राय हार्डकोक उद्योग में अब नई जान आई है। आस्‍ट्रेलिया से मिले कोयले से बना हार्डकोक बेहतर गुणवत्‍ता के साथ चीन से सस्ता भी पड़ रहा है। हार्डकोक उद्योग में जान पड़ने से सिर्फ गिरिडीह में ढ़ाई हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिल गया है।
-संदीप सराउगी, निदेशक, अतिवीर इंडस्ट्रीज, गिरिडीह

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