श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होनी चाहिए मित्रता : गोपाल जी

संस निरसा निरसा स्थित श्री राधा गोविद मंदिर में 35 वीं श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन सोमवार

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 06:35 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 06:35 PM (IST)
श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होनी चाहिए मित्रता : गोपाल जी
श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होनी चाहिए मित्रता : गोपाल जी

संस, निरसा : निरसा स्थित श्री राधा गोविद मंदिर में 35 वीं श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन सोमवार को कथावाचक सनत गोपाल जी ने श्रीकृष्ण- रुक्मिणी विवाह लीला, द्वारिका लीला, महाभारत प्रसंग एवं कृष्ण सुदामा लीला प्रसंग का बड़ा ही सुंदर वर्णन किया।

श्रीकृष्ण-सुदामा प्रसंग का विस्तार से वर्णन करते हुए सनत गोपाल जी महाराज ने बताया कि श्रीकृष्ण एवं सुदामा जी के बीच बड़ी गहरी मित्रता थी। विवाह के बाद से ही सुदामा अपनी पत्नी एवं बच्चों को श्रीकृष्ण की उदारता एवम दयालुता के विषय में बताते रहते थे। सुदामा जी के घर की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय थी। कभी-कभी तो दो वक्त की दाल-रोटी के भी दर्शन दुर्लभ हो जाते थे। सुदामा जी की पत्नी सुशीला ने काफी जिद कर परिवार की दयनीय स्थिति देखकर सुदामा जी को श्रीकृष्ण के पास द्वारिका भेजा। सुदामा जी जब श्री कृष्ण के महल के बाहर पहुंचे तो द्वारपालों को कहा कि श्रीकृष्ण से जाकर कह दो कि उनके बचपन का मित्र सुदामा उनसे मिलने आया है, लेकिन द्वारपाल और वहां मौजूद लोग सुदामा की दुर्दशा देखकर हंसने लगे और कहने लगे कि यह लगता है कोई पागल दरिद्र बाह्मण है, जो अपने आप को श्रीकृष्ण का मित्र बता रहा है। फिर भी एक सैनिक ने श्रीकृष्ण को जाकर यह संदेश दिया कि द्वार पर कोई दरिद्र ब्राह्मण आया है, जो अपने आप को आपके बचपन का मित्र सुदामा बता रहा है। इतना सुनते ही प्रभु श्रीकृष्ण नंगे पैर दौड़ पड़े। यह देखकर सभी आश्चर्यचकित हो गए। ऐसी अटूट मित्रता थी श्रीकृष्ण और सुदामा के बीच। मौके पर सूंदर एवं आकर्षक झाकियां भी सजाई गई, जिसका कथा में आए हुए श्रद्धालुओं ने आनंद उठाया।

मौके पर मुख्य यजमान भागीरथ लाहा, गंगाराम अग्रवाल, मोहन अग्रवाल, रघुवीर खेड़िया, चिन्मय घोष, नौरंग खरकिया, ललित गोयल, माधव प्रसाद खरकिया, संजीव भगत, राजेन्द्र शर्मा, राजकुमार अग्रवाल, हरिराम अग्रवाल उपस्थित थे।

chat bot
आपका साथी