France में पढ़ी जाएगी Dhanbad के इलियास की कहानी; गाय-भैंस चराते-चराते लिख डाला था फायर एरिया उपन्यास
झरिया में 1932 को साधारण गद्दी परिवार में जन्मे इलियास अहमद गद्दी को झरिया की कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों की दुर्दशा शोषण और खान मालिकों माफियाओं की ओर से मजदूरों को दी जाने वाली फायर एरिया के लिए साहित्य अकादमी का पुरस्कार 1996 में मिला था।
गोविन्द नाथ शर्मा, झरिया: Lockdown Positive News, Fire Area Novel, Iliyas Ahmad, काले हीरे की प्राचीन नगरी झरिया का नाम साहित्य के क्षेत्र में भी बड़े अदब के साथ लिया जाता है। यहां के कई साहित्यकारों ने अपनी कृति से देश में अपनी पहचान बनाई है। झरिया में 1932 को साधारण गद्दी परिवार में जन्मे इलियास अहमद गद्दी को झरिया की कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों की दुर्दशा, शोषण और खान मालिकों, माफियाओं की ओर से मजदूरों को दी जाने वाली प्रताड़ना पर लिखे गए उर्दू उपन्यास Fire Area के लिए साहित्य अकादमी का पुरस्कार 1996 में मिला था।
14 भाषा में प्रकाशित होने वाली फायर एरिया
गद्दी बिरादरी से जुड़े अहमद गद्दी के पुत्र इलियास अहमद की पहली कहानी 1948 में अजायब सिंह पत्रिका में आई। इसके बाद कई कहानियां व नावेल इन्होंने लिखे। इनमें फायर एरिया, जख्म, मरहम, थका हुआ दिन, आदमी उर्दू नावेल, बगैर आसमान की जमीन सफरनामा प्रमुख हैं।
फायर एरिया 14 भाषा में प्रकाशित होने वाली है। इलियास के साथ रहने वाले प्रो शमीम अहमद, साहित्यकार डॉ हसन निजामी, डॉ रौनक शहरी, गंगा शरण शर्मा, अशोक कुमार ने कहा कि जीवन के अंतिम वर्षों में इलियास ने दूध के कारोबार के दौरान गाय-भैस चराते-चराते ही झरिया के लोदना, होरलाडीह, भालगोरा आदि इलाके में दो साल में फायर एरिया उपन्यास लिख डाले।
फ्रांस में पढ़ी जाएगी, इलियास की कहानी
इलियास की प्रसिद्ध उर्दू कहानी दास्तां फ्रांसीसी फ्रेंच भाषा में जल्द प्रकाशित होने जा रही है। इसे फ्रांस के लोग भी अब पढ़ सकेंगे। जामिया मिलिया विवि नई दिल्ली के फ्रेंच भाषा के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मोहम्म्द फैजुल्लाह ने उर्दू से इलियास की इस कहानी काे फ्रांस की भाषा में अनुवाद किया है। कहानी संग्रह पुस्तक की संपादक JNU की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शोभा शिवशंकरण हैं।
संषर्षमय रहा इलियास का जीवन
इलियास की पुत्री साइस्ता गद्दी, पोता शादाब गद्दी, नायाब गद्दी व इश्तियाक गद्दी ने कहा कि उनका जीवन काफी संघर्षमय रहा। परिवार के भरण-पोषण के लिए शुरुआत में वे बस में कंडक्टर का काम किए। इसके कई वर्षों बाद मटकुरिया धनबाद में लेथ मशीन की दुकान की। जीवन के अंतिम वर्षों में दूध का कारोबार किया। इलियास उर्दू के प्रसिद्ध अफसाना निगार गयास अहमद गद्दी के छोटे भाई थे। वे जनवादी लेखक संघ झरिया से भी जुड़े थे। 27 जुलाई 1997 को झरिया में इलियास का निधन हो गया।
सरकार ने परिवार पर नहीं दिया ध्यान
इलियास अहमद गद्दी के परिवार वालों ने कहा कि साहित्य रत्न प्राप्त करनेवाले साहित्यकार के परिवार के लोगों पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया। इनकी कृतियोें को सुरक्षित रखने की पहल नहीं की गई। सरकार की ओर से इस परिवार को कोई सहयोग नहीं किया गया। इसक कारण हमलोग जैसे-तैसे जीवन गुजारा कर रहे हैं।