INTUC: जेबीसीसीआइ-11 के लिए एक मंच पर आएं ददई व रेड्डी, इसलिए पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने की अपील

पूर्व मंत्री त्रिपाठी ने कहा कि तीनों ही गुटों के चार-चार लोगों का नाम कोल इंडिया प्रबंधन को भेजा जाए। श्रमिकों की संख्या के अनुसार कोल इंडिया प्रतिनिधियों की संख्या तय करती है। ऐसे में इंटक कोल इंडिया की सभी अनुषंगी कंपनियों में सबसे अधिक संख्या वाला मजदूर संगठन है।

By MritunjayEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 11:51 AM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 12:06 PM (IST)
INTUC: जेबीसीसीआइ-11 के लिए एक मंच पर आएं ददई व रेड्डी, इसलिए पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने की अपील
इंटक नेता केएन त्रिपाठी ( फाइल फोटो)।

धनबाद, जेएनएन। तीन गुटों में बंटे इंटक के केके तिवारी गुट ने अन्य दो गुटों से जेबीसीसीआइ-11 के लिए एकजुट होने की अपील की है। बुधवार को धनबाद परिसदन में अध्यक्ष केएन त्रिपाठी ने कहा कि वे पूर्व सांसद चंद्रशेखर दुबे व संजीवा रेड्डी से अपील करते हैं कि वे मजदूर हित के लिए एक मंच पर आएं। संगठन का जो विवाद है, वह सुलझता रहेगा। तब तक केंद्र की साजिश को विफल करने के लिए तीनों ही गुटों के अध्यक्ष संयुक्त हस्ताक्षरित पत्र कोल इंडिया प्रबंधन व कोयला मंत्रालय को भेज कर मांग करें कि हमारे प्रतिनिधियों को भी जेबीसीसीआइ में बैठने दिया जाए।

तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा, इंटक के तीन-तीन गुट

पूर्व मंत्री त्रिपाठी ने कहा कि तीनों ही गुटों के चार-चार लोगों का नाम कोल इंडिया प्रबंधन को भेजा जाए। श्रमिकों की संख्या के अनुसार कोल इंडिया प्रतिनिधियों की संख्या तय करती है। ऐसे में इंटक कोल इंडिया की सभी अनुषंगी कंपनियों में सबसे अधिक संख्या वाला मजदूर संगठन है। यह एक हो जाए तो पूरे कोल इंडिया में उसके अनुसार हमें सबसे अधिक प्रतिनिधित्व मिलेगा। पूर्व की तरह छह प्रमुख व छह वैकल्पिक प्रतिनिधित्व पर हमारा अधिकार बनता है। संयुक्त पत्र के बाद कोल इंडिया को हमारी बात माननी होगी।

त्रिपाठी का अपना गुट

समझौते के संदेश के साथ-साथ त्रिपाठी ने इंटक पर अपना दावा भी नहीं छोड़ा है। उन्होंने अन्य गुटों पर हमला भी जारी रखा। कहा कि इंटक का फेडरेशन पूरे देश में इकलौता है, जिसका निबंधन रजिस्ट्रार ऑफ ट्रेड यूनियन के पास है। यह 1947 से है। अन्य संगठनों का निबंधन भारत सरकार से है। इसमें इंटक के रेड्डी गुट व ददई गुट भी शामिल हैं। ये लोग पहले मुख्य इंटक में पदाधिकारी थे। फिर इन्हें क्या जरूरत थी भारत सरकार से निबंधन कराने की। यही एक कदम बताता है कि उन्हें पता था कि वे असली इंटक के सामने टिकेंगे नहीं। इसलिए उन्होंने अलग से अपने गुट का निबंधन कराया।

त्रिपाठी पहले अपना विवाद सुलझाएं

इधर इंटक के राष्ट्रीय सचिव व रेड्डी के करीबी ललन चौबे का कहना है कि त्रिपाठी को पहले अपना विवाद सुलझाना चाहिए। जिस फौजी ने उन्हें अध्यक्ष बनाया था, उसी ने उन्हें निकाल बाहर किया है। पहले वह विवाद सुलझे, उसके बाद आगे की सोचेंगे। इंटक रजिस्टर्ड संस्था है। जिसका रजिस्ट्रेशन है केवल वही अपने प्रतिनिधि का नाम भेजेगी। हम किसी गुट को मान्यता नहीं देते। रेड्डी सर्वमान्य अध्यक्ष हैं।

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