व‍िदेशी माया को भा गया भारत! बकर‍ियोंं का ब‍िजनेस कर कमा रही 20 से 25 हजार रुपये प्रत‍िमाह Dhanbad News

नेपाल से आकर निरसा में रह रही माया देवी लगभग 31 वर्षों से बकरी पालन कर स्वयं आत्मनिर्भर बनी है। अन्य लोगों को भी बकरी पालन के लिए प्रेरित कर रही है। इसके यहां वर्तमान समय में बड़े से लेकर छोटी लगभग 55 बकरिया हैं।

By Atul SinghEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 05:38 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 05:38 PM (IST)
व‍िदेशी माया को भा गया भारत! बकर‍ियोंं का ब‍िजनेस कर कमा रही 20 से 25 हजार रुपये प्रत‍िमाह Dhanbad News
वर्तमान समय में बड़े से लेकर छोटी लगभग 55 बकरिया हैं। (जागरण)

संजय सिंह, निरसा : नेपाल से आकर निरसा में रह रही माया देवी लगभग 31 वर्षों से बकरी पालन कर स्वयं आत्मनिर्भर बनी है।  अन्य लोगों को भी बकरी पालन के लिए प्रेरित कर रही है। इसके यहां वर्तमान समय में बड़े से लेकर छोटी लगभग 55 बकरिया  हैं। इसमें उन्नत किस्म की बकरियां बीटल, सिरोही, बोर व जमुनापारी  शामिल है।

बकरी पालन कर माया देवी प्रतिमाह 25000 रुपए कमा रही है।  माया देवी ने बताया कि उसकी शादी नेपाल में राम बहादुर सिंह के साथ हुई थी। उसके बड़े भाई सीताराम निरसा कोलियरी में काम करते थे। 1987 में मेरे पति व मुझे साथ लेकर निरसा आए।  मेरे पति को पेट्रोल पंप में काम पर लगा दिया। मैं घर में अकेली रहती थी। आस पड़ोस के लोगों की भाषा व रहन सहन हम लोगों से बिल्कुल अलग था । पति काम पर चले जाते थे। दिन भर में घर में अकेले रहती थी। मैंने अपने पति से कहा कि मुझे यहां मन नहीं लगता है।  मुझे नेपाल पहुंचा दो या तो मुझे बकरी ला दो। उससे मेरा समय आसानी से गुजर जाएगा। मेरे पति व  बड़े भाई ने वर्ष 1990 में एक  बकरी ला दिया।  अपना मन लगाने के लिए बकरी पालन शुरू किया। एक बकरी से   बाद में लगभग 20 बकरियां हो गई। मैंने बकरियों की बिक्री शुरू की  जिससे अच्छी आमदनी होने लगी। इसके बाद मेरा मन बकरी पालन में ही रम गया। 

वर्ष 2011  में उन्नत प्रजाति की बकरियां ले आई 

उन्होंने बताया कि वर्ष 2011 में निरसा  में प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी के पद पर डॉक्टर श्रीनिवास सिंह आए। मैं बकरियों की दवा लेने वहां आया जाया करती थी। उन्होंने मेरी लगन को देखकर मुझसे कहा कि उन्नत किस्म की बकरियों का पालन करें। हम लोग हर संभव मदद करेंगे। उसके बाद मैंने पंजाब से बिटल प्रजाति,  राजस्थान से सिरोही प्रजाति, उत्तर प्रदेश से जमुनापारी  प्रजाति की बकरियों को मंगवाई  तथा उसका पालन शुरू किया।  बकरी पालन का पूर्व से अनुभव था इसलिए  ज्यादा परेशानी नहीं हुई। उन्नत किस्म की बकरियां लाने के बाद मुझे फायदा भी ज्यादा होने लगा। डॉक्टर श्रीनिवास सिंह के जाने के बाद प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी के रूप में  डॉक्टर संतोष कुमार आए। उन्होंने भी मुझे बकरी पालन के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया और बकरियों की बीमारी ना हो इसके लिए स्वयं आकर उनका इलाज करते हैं। उन दोनों के कारण आज मेरे पास देश में पाई जाने वाली सभी उन्नत प्रजाति की बकरियां मौजूद है।

धनबाद एवं दूर-दराज से बकरियों की नस्ल बदलवाने के लिए आते हैं लोग

माया देवी ने बताया कि मेरे यहां उतना प्रजाति के बकरे हैं। इसके कारण धनबाद एवं दूर-दराज से लोग मेरे यहां अपनी बकरियों की नस्ल बदलने के लिए क्रॉसब्रीड करवाने के लिए हमारे यहां पहुंचते हैं। उन्नत किस्म के बकरों से क्रॉसब्रीड करवाने के एवज में मैं ₹500 लेती हूं।

एक से डेढ़ वर्ष का बकरा बिकत है 30 से 40हजार रुपये में : 

उन्होंने बताया कि उन्नत प्रजाति का बकरा एक से डेढ़ वर्ष में लगभग ₹40000 में आसानी से बिक जाता है। इतने सालों में ज्यादातर लोग हम लोगों को जान गए हैं। इसलिए वह लोग मेरे घर से आकर ही खरीदारी कर जाते हैं। पूजा पर्व के समय बिक्री ज्यादा होती है। वहीं 4 माह की उन्नत प्रजाति की बकरी की बिक्री ₹10000 में हो जाती है। हम लोग बकरी बेचकर प्रतिमाह लगभग 25000 कमा लेते हैं।

बीते 5 वर्ष से पति भी कर रहे हैं पूरी तरह बकरी पालन में मदद

माया देवी के पति राम बहादुर सिंह भी अभी से 5 वर्षों से पेट्रोल पंप का काम छोड़कर पूरी तरह पत्नी के साथ बकरी पालन में रम गए हैं। बकरियों के लिए लगभग 5 किलोमीटर दूर जाकर प्रतिदिन हरी पतियां लाना, उन्हें समय पर भोजन एवं पानी देने में पत्नी का हाथ बंटा रहे हैं। पति पत्नी दोनों पूरी तरह बकरी पालन के स्वरोजगार में लगे हुए हैं।

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