तीन दिन बाद भी बीसीसीएल की दहीबाड़ी परियोजना की आग बेकाबू, प्रबंधन और DGMS की कार्यशैली पर सवाल

26 और 27 जुलाई की रात बीसीसीएल की दहीबाड़ी परियोजना में आग लग गई थी। आग भूमिगत है। जमीन के अंदर कोयले में आग भड़की है। कोयले में धधकती आग से इलाके में दहशत है। खान सुरक्षा महानिदेशालय की टीम सोमवार को निरीक्षण करेगी।

By MritunjayEdited By: Publish:Sun, 29 Aug 2021 07:42 AM (IST) Updated:Sun, 29 Aug 2021 01:00 PM (IST)
तीन दिन बाद भी बीसीसीएल की दहीबाड़ी परियोजना की आग बेकाबू, प्रबंधन और DGMS की कार्यशैली पर सवाल
दहीबाड़ी में आग का जायजा लेते बीसीसीएल अधिकारी ( फोटो जागरण)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। बीसीसीएल चांच विक्टोरिया एरिया बारह में प्रबंधन की लापरवाही से दहीबाड़ी खदान में धधकी आग आसपास के गांव तक पहुंच सकती है। आग का दायरा अंदर ही अंदर बढ़ता जा रहा है। जिसका असर दहीबाड़ी बसंतीमाता कोलियरी के आसपास के इलाकों पर पड़ेगा। आसपास गांव है। इन गांवों में कुमारबस्ती, आम बगान, पलिया, जमादेही आदि शामिल है। आग दहीबाड़ी बंसतीमाता के समीप सुशील भूमिगत खदान में लगी है। यह खदान आठ साल से बंद है। इसका दायरा अंदर ही अंदर काफी बड़ा है। जहरीली गैस का फैलाव के साथ साथ अंदर अंदर ही कोयला जल रहा है। कहां भूधंसान हो जाए इसका भी खतरा अधिक है। इस घटना ने खान सुरक्षा महानिदेशालय ( DGMS) की भूमिका को भी सवालों में खड़े कर दिया है। घटना के तीन दिन बाद उसने आग की सुध नहीं ली है।

खान सुरक्षा महानिदेशालय की टीम करेगी जांच

खान सुरक्षा महानिदेशालय की टीम सोमवार जांच करने पहुंच रही है। आग शुक्रवार को लपटों के साथ उठने लगी, जिसके कारण आसपास दहशत का माहौल है। निदेशक एमडी मिश्रा अपनी टीम के साथ अग्नि-प्रभावित खदान का दौरा कर हर बिंदु पर रिपोर्ट तैयार करेंगे। डीजीएमएस ने वैसे पहले ही यहां कोयला सहित अन्य गतिविधियों पर रोक लगाते हुए प्रभावित स्थल पर आग पर काबू करने का निर्देश दे रखा है। उसके बाद भी अधिकारियों ने गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। समय रहते ध्यान दिया होता तो आग पर निश्चित काबू पाया जा सकता था। डीजीएमएस के डीजी एमडी मिश्रा ने कहा कि दहीबाडी़ बसंतीमाता की स्थिति पर लगातार वहां से रिपोर्ट ली जा रही है।

प्रबंधन के पास नहीं संसाधन

मौजूदा समय में जो स्थिति बीसीसीएल प्रबंधन की रही उससे साफ लग रहा है कि कोयला निकासी करने के बाद आगू पर काबू पाने का ठोस इंतजाम नहीं किया गया। चूंकि पूर्व के अनुभव से यह संकेत मिलता है कि बीसीसीएल व डीजीएमएस केवल कोयला निकासी करने तक ही सिमट कर रह जाती है।

खान हादसा के बाद 2013 से बंद है भूमिगत खदान

चांच विक्टोिरिया महाप्रबंधक एमएस दूत ने बताया कि आग को नियंत्रित किया जा रहा है। नवंबर 2013 में सुशील भूमिगत खदान में खान हादसे में चार लोगों की हुई मौत के बाद से कोयला उत्पादन सहित सारी गतिविधियों पर रोक है। काफी दिन बंद रहने के कारण गैस के कारण आग की लपटें निकलने लगीं। डीजीएमएस ने भी एक साल पहले आग पर काबू करने का पत्र जारी करते है दिशा निर्देश दिया था। उसी आधार पर काम किया जा रहा था। सुरक्षा को लेकर हर स्थिति पर नजर रखी जा रही है।

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