Dhanbad Municipal Corporation: जिस पानी कनेक्शन को मुफ्त बताकर वाहवाही लूटी जा रही है, टेंडर में पहले से ही किया गया है प्रावधान
पूर्व मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल ने सरकार की ओर से नगर निकाय में मुफ्त पानी कनेक्शन देने पर सवाल जवाब किया है। मौजूदा सरकार नगर निकायों में मुफ्त पानी कनेक्शन देने की बात कर रही है। यह कोई नई बात नहीं है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: पूर्व मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल ने सरकार की ओर से नगर निकाय में मुफ्त पानी कनेक्शन देने पर सवाल जवाब किया है। मौजूदा सरकार नगर निकायों में मुफ्त पानी कनेक्शन देने की बात कर रही है। यह कोई नई बात नहीं है। धनबाद नगर निगम की ओर से शहरी जलापूर्ति योजना के लिए किए गए टेंडर में इस बात का पहले से ही प्रावधान किया गया है। सिर्फ श्रेय लेने का प्रयास किया जा रहा है। सोमवार को अपने आवासीय कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता पूर्व मेयर ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि सरकार की कथनी और करनी में फर्क है। कितनी संजीदा है, इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पहले जिस काम पर रोक लगाती है, उसका अध्ययन करने के बाद गलती होने पर दोबारा शुरू कर देती है। सरकार पहले हर योजना पर रोक लगाती है। उसके बाद जब योजनाओं का अध्ययन करती है तो पलट कर वही काम शुरु करवा देती है। सिर्फ जलापूर्ति योजना ही नहीं इसी तरह आठ लेन सड़क का काम रोका गया, बाद में शुरू कर दिया गया। 20 हजार लाइट लगाने के काम पर भी रोक लगा दी गई थी। अब फिर से नगर निगम क्षेत्र में लाइट का काम जोरों से चल रहा है। जलापूर्ति योजना की बात करें तो टेंडर में ही मुफ्त पानी कनेक्शन देने का प्रावधान किया गया है। सिर्फ नई ही नहीं पुरानी योजना में भी इसका जिक्र है। घरेलू उपभोक्ताओं के साथ-साथ कमर्शियल उपभोक्ताओं को भी मुफ्त पानी कनेक्शन देने की बात है। जलापूर्ति योजनाओं की तीन चार माह से मॉनिटरिंग तक नहीं हुई है। मैथन से समानांतर पाइपलाइन धनबाद पहुंचना है। इसके लिए एलएंडटी को टेंडर भी कर दिया गया है। दो वर्ष बीत गए, सरकार एनओसी तक नहीं दिला पाई है। सरकार कितनी संजीदा है इस बात से अंदाजा लग सकता है। सिर्फ नगर निगम ही नहीं झमाडा में भी निश्शुल्क पानी कनेक्शन मिलना चाहिए। आठ लेन का काम भी लेट हो चुका है। जिसकी वजह से गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। गोल बिल्डिंग के आगे की सड़क की गुणवत्ता से समझौता कर काम किया जा रहा है। इसे देखने की जरूरत है। इस पर किसी का ध्यान नहीं है। समय और संसाधन दोनों की बर्बादी हो रही है।
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