आज भी भगवान भगत के वश में हैं : संतोष शास्त्री

भूली सी ब्लॉक दुर्गा मंदिर प्रांगण में सात दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिन प्रवचनकर्ता पंडित संतोष शास्त्री ने कहा कि भागवत महापुराण देवताओं के मुख से बोला गया शब्द है। भागवत के एक-एक शब्द में भगवान वास करते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 10:42 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 10:42 PM (IST)
आज भी भगवान भगत के वश में हैं : संतोष शास्त्री
आज भी भगवान भगत के वश में हैं : संतोष शास्त्री

संसू, भूली : भूली सी ब्लॉक दुर्गा मंदिर प्रांगण में सात दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिन प्रवचनकर्ता पंडित संतोष शास्त्री ने कहा कि भागवत महापुराण देवताओं के मुख से बोला गया शब्द है। भागवत के एक-एक शब्द में भगवान वास करते हैं। भागवत को सुन लेने से प्रभु के प्रति प्रेम बढ़ता है। उन्होंने भक्तों को उदाहरण देते हुए बताया कि जैसे भगवान कृष्ण ने दुर्योधन का छप्पन भोग त्याग कर एक दासी पुत्र विदुर के कुटिया में केले के छिलके का भोग लगाया और छप्पन भोग का त्याग किया। यह दर्शाता है कि आज भी भगवान भगत के वश में हैं क्योंकि अगर भगवान चाहते तो कौरवों के घर में 56 भोग ग्रहण कर सकते थे। कहा कि मनुष्य जीवन में जो कष्ट है, वो प्रभु को भूलने व अपने वचन को भूलने के कारण उत्पन्न हुआ है। जन्म के समय मनुष्य अपने ईष्ट देव से कई वादे करता है और कष्ट से उबरने के बाद उन्हें भूलकर सकार कर्म में लिप्त हो जाता है। जबकि भगवान सकार नहीं निर्गुण भक्ति के वश में होते हैं। मनुष्य जीवन में लाभ हानि के फल की चिता पहले करते हैं और फिर उस कर्म को करने का प्रयत्न करते हैं और इसी आधार पर अपने भगवान को भी अपने लाभ हानि के अनुरूप याद करते हैं और भोग लगाते हैं। जबकि भगवान इस लाभ हानि के गणित से विमुख होकर भक्त के भक्ति को ही स्वीकार करते हैं।

दूसरे प्रवचनकर्ता श्याम सुंदर पांडेय ने कहा कि जात पात का भेदभाव पूरे समाज से दूर करें और अपने धर्म की रक्षा करें। सनातन धर्म की रक्षा के लिए संकल्प लें और कथा के माध्यम से लोगों के विचार को बदलें। कहा कि जब मनुष्य जीवन में भक्त अपने निर्गुण भाव को छोड़ कर लाभ हानि का गणित पहले करने बैठ जाता है और सकार भक्ति को मानने लगता है। यही मनुष्य जीवन में कष्ट का मूल कारण है।

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नारायण के शरण में जाने और जीवन के संबंधों को देखने व समझने का अवसर मिला। भागवत कथा से मन को शांति मिली।

पूनम देवी

भागवत कथा से मन को शांति व शक्ति मिली। मानव जीवन की सार्थकता को सिद्ध करने का उपाय मिला।

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भगवान के शरण में जाकर ही सुख व शांति को प्राप्त किया जा सकता है। आचार्य महाराज के प्रवचन मन को मोहने वाला है।

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कथा को जीवन में उतार लिया तो जीवन बदल जाएगा। भागवत का हर प्रसंग हमें बेहतर तरीके से जीवन जीने की सीख देता है।

बिपिन यादव

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